चंडीगढ़। बिक्री की मंजूरी लिए बिना धान के ब्रीडर बीज तैयार करके किसानों को ऊंची कीमतों पर बेचने के खुलासे ने कैप्टन सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। शिरोमणि अकाली दल ने सीधे प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा है कि यह करोड़ों रुपये का घोटाला है और इसकी केंद्रीय एजेंसी से जांच करवाई जानी चाहिए। इस घोटाले की कई परतें अभी खुलनी बाकी हैं।
बिना मंजूरी के बाजार में चार गुणा कीमत पर धान के ब्रीडर बीज बिकने का मामला
सबसे बड़ा सवाल यह है कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना की ओर से तैयार की धान की नई वेरायटी पीआर-129 व पीआर-128 बीज जो अभी तक अधिकारिक तौर पर बिक्री के लिए नहीं दी गई थी वह प्राइवेट बीज स्टोरों पर कैसे मिल रही है, वह भी अन्य बीजों के मुकाबले चार गुणा कीमत पर।
शिरोमणि अकाली दल ने कांग्रेस सरकार को घेरा, उच्च स्तरीय जांच की मांग
प्रदेश में इस समय कृषि विभाग मुख्यमंत्री कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह के पास है। मामले का खुलासा तब हुआ जब पीएयू के सामने ही बीज विक्रेता उक्त दोनों वैरायटियों के नाम पर गैर तस्दीकशुदा बीज बेचते हुए पकड़ा गया। खेती विभाग ने केस दर्ज करके पूछताछ शुरू कर दी है। इसमें सामने आया है कि इस बीज विक्रेता ने बीज गुरदासपुर के वैरोवाल गांव में एक बीज फर्म से लिया था।
बीज बेचनेवाला कैबिनेट मंत्री रंधावा का करीबी : मजीठिया
वेरोवाल गांव कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के विधानसभा क्षेत्र का है। अकाली नेता व पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया ने रंधावा को निशाने पर ले लिया है। उनका कहना है कि बीज बेचने वाली फर्म का मालिक रंधावा का करीबी है। पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि दोनों नेता प्रदेश के माझा क्षेत्र से हैं और दोनों में वर्चस्व की लड़ाई है।
मजीठिया चाहें तो मेरे खिलाफ केस दर्ज करवा दें : रंधावा
दूसरी तरफ सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा है कि वह न तो खेतीबाड़ी विभाग के मंत्री हैं और न ही उस दुकान के मालिक या पार्टनर जहां से बीज मिला है। मजीठिया चाहें तो उनके खिलाफ केस दर्ज करवा दें। मुद्दाविहीन अकाली दल के नेता इस तरह के आरोप लगाकर अपनी राजनीति को चमकाना चाहते हैं, लेकिन लोग इन्हें माफ नहीं करेंगे।
बाजार में बीज के पहुंचने पर सवाल
जिस बीज को पीएयू ने अभी बेचा ही नहीं, वह बाजार में कैसे बिक रहा है, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैैं? कहीं इसमें पीएयू के वैज्ञानिकों की मिलीभगत तो नहीं है? दूसरा, कहीं ऐसा तो नहीं कि बाजार में जो बीज पीआर-129 और पीआर-128 के नाम से बिक रहा है वह वास्तव में गैर प्रमाणिक लोकल बीज हो? जो बीज अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है, वह वैरोवाल गांव के बीज फर्म के पास कैसे आ गया?
ट्रायल के दौरान पहुंच किसानों के पास पहुंचती है नई वेरायटी : बैैंस
पीएयू के डायरेक्टर रिसर्च डा. नवतेज बैंस का कहना है कि जब भी पीएयू किसी नई वैरायटी को तैयार करता है, तो उसके फील्ड में ट्रायल होते हैं। पीआर-128 व पीआर-129 किस्म तैयार की गई, तो बड़े स्तर पर ट्रायल किए गए। इस तरह किसानों के पास नई वैरायटी के बीज पहुंच गए। हो सकता है कि कई किसानों ने टेस्टिंग के लिए दिए गए बीज को मल्टीप्लाई कर लिया हो। यह भी हो सकता है कि कुछ ने अपने लिए बीज तैयार कर लिया हो, लेकिन जो बीज बिक रहा है वह अभी सर्टीफाई नहीं है।