लॉकडाउन: मंदिरों में अब चरणामृत-प्रसाद बांटने पर हो सकती है रोक, ये राज्य बना रहे हैं नए नियम

लॉकडाउन (Lockdown) के पूरी तरह समाप्त होने के बाद कैसे होंगे मंदिरों में दर्शन इसके लिए राज्य सरकारें विचार कर रही है. पूरी तरह लॉकडाउन खुलने के बाद भी मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा.

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नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रसार को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन 3.0 (lockdown 3.0) रविवार को ख़त्म हो जाएगा. लेकिन बढ़ते संक्रमण के खतरे को देखते हुए लॉकडाउन का बढ़ना तय है. लॉकडाउन 4.0 को लेकर आज गृह मंत्रालय की ओर से गाइडलाइन जारी हो जाएगी. कोरोना के चलते 23 मार्च से ही मंदिरों में भी ताले लटके पढ़े हैं, पुजारी के अलावा किसी को भी अनुमति नहीं दी गई है. लॉकडाउन के पूरी तरह समाप्त होने के बाद कैसे होंगे मंदिर में दर्शन इसके लिए कई राज्यों ने अपनी गाइडलाइन तैयार कर ली है.

कैसी होंगी व्यवस्थाएं

संक्रमण को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग सबसे ज्यादा जरूरी है. इसलिए फिलहाल तो मंदिरों को बंद ही रखा जाएगा, लेकिन राज्य सरकारें और देशभर के मंदिर प्रशासन इस बात पर विचार कर रहे हैं कि लॉकडाउन पूरी तरह से खुलने के बाद की व्यवस्थाएं कैसी होनी चाहिए. लॉकडाउन खुलने के बाद भी मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा. आंध्र प्रदेश और कर्नाटक ने नए नियम भी बना लिए हैं. अभी अंतिम फैसला होना बाकी है.

ये हो सकते हैं नए नियम>> चरणामृत और प्रसाद बांटने पर रहेगी रोक

>> गर्भगृहों में जाने की नहीं होगी अनुमति
>> दर्शन के लिए आधार कार्ड लाना होगा जरूरी
>> दूर से ही होंगे भगवान के दर्शन
>> एक दिन पहले ही बुक कराना होगा स्लॉट
>> SMS से मिलेगी जानकारी
>> फूल-मालाएं और प्रसाद पर लग सकती है रोकगुरुद्वारा में भी बदल सकते हैं नियम
गुरुद्वारा में लंगरों में होने वाली भीड़ को रोकने और सोशल डिस्टेंस बनाए रखने के लिए गुरुद्वारा समितियां भी इस पर विचार कर रही हैं.

  • तिरुपति में कर्मचारियों के साथ दर्शन की रिहर्सल

तिरुपति मंदिर में लॉकडाउन खत्म होने के बाद दर्शन की व्यवस्था कैसी होगी इसे लेकर जल्दी ही तैयारी शुरू कर सकता है। मंदिर में दर्शन शुरू होने के पहले इसकी रिहर्सल करने पर विचार किया जा रहा है। मंदिर के कर्मचारियों और लोकल लोगों की मदद से इसे किया जाएगा। मंदिर प्रशासन लॉकडाउन खुलने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने को लेकर पूरी योजना बना रहा है।

  • क्या बदल सकता है मंदिरों में 

मंदिरों में परंपराएं कुछ महीनों के लिए बदल सकती हैं। जैसे-
1. मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए हार-फूल और प्रसाद पर रोक लग सकती है।
2. मंदिर के पुजारियों की सुरक्षा के लिए चरणामृत और प्रसाद वितरण रोका जा सकता है क्योंकि उन्हें भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।
3. मंदिरों के गर्भगृहों में प्रवेश रोका जा सकता है, क्योंकि वहां जगह कम होती है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो सकता।
4. लंबी कतारों में दर्शन करवाने की व्यवस्था भी नहीं रहेगी।
5. मंदिरों में मिलने वाले अन्न प्रसाद आदि की व्यवस्थाओं में भी बदलाव होगा।
6. मंदिरों की सवारी और पालकियों पर भी कुछ समय रोक लग सकती है।

चर्च में होने वाली प्रेयर्स में अगले कुछ महीनों खासा असर दिखाई देगा। संडे की प्रेयर में कम से कम लोगों के आने या सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आयोजन किया जाएगा। 
  • चर्च की संडे प्रेयर्स में भी दिखेगा बदलाव

चर्च में होने वाली संडे प्रेयर्स में भी बदलाव दिखने वाला है। केरल सहित कई जगहों पर इसकी तैयारी की जा रही है। रविवार की प्रार्थना में काफी लोग रहते हैं। इससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल होगा। केरल के कुछ चर्च विवाह समारोह आदि में भी ज्यादा भीड़ न आए इसको लेकर योजना बना रहे है।

गोल्डन टैम्पल अमृतसर में भी लॉकडाउन के दौरान लंगर व्यवस्था पर खासा प्रभाव देखा गया। हाल ही में एक पर्व में यहां गिनती के लोग ही शामिल हो पाए। 
  • गुरुद्वारों की लंगर व्यवस्था में बदलाव भी की संभावना

सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का प्रभाव अमृतसर के गोल्डन टेंपल से लेकर पटना साहिब तक पड़ने वाला है। लंगर में बैठने की व्यवस्था को लेकर गुरुद्वारा समितियों को विचार करना होगा। इसके साथ ही यहां होने वाले अरदास सहित अन्य उत्सवों में भी सोशल डिस्टेसिंग को लेकर ध्यान रखना होगा।

  • जिनालयों पर भी होगा असर 

जैन मुनियों के विहार में होने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ और मंदिरों में होने वाले उत्सव समारोह पर असर पड़ सकता है। कुछ जगहों पर संतों के विहार के समय निर्धारित संख्या में लोगों की उपस्थिति और चातुर्मास जैसे आयोजनों में भी लोगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का नियम बनाया जा रहा है।

  • बौद्ध उत्सवों में कम से कम लोग होंगे शामिल 

बौद्ध धर्म से जुड़े अधिकतर उत्सवों में कम से कम लोगों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि हाल ही में 7 मई को बुद्ध पूर्णिमा पर लुंबिनी, सारनाथ और बोधगया जैसे तीर्थों में भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव मात्र 10-10 लोगों की उपस्थिति में मनाया गया। इसी तरह की व्यवस्था आने वाले समय में भी लागू रह सकती है। कोरोना वायरस के चलते ज्यादातर उत्सव और पब्लिक गैदरिंग वाले कार्यक्रमों को थोड़े समय के लिए टाला जा रहा है।

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