उज्जैन में ऐसे हुई विकास दुबे की गिरफ्तारी / वीआईपी दर्शन के लिए 250 रु. की रसीद कटवाई, दर्शन के बाद लौटा और कहा- मैं विकास दुबे, मुझे पकड़ लो

कानपुर के बिकरू में 2 जुलाई को विकास और उसकी गैंग ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी विकास पर 5 लाख का इनाम, अब तक विकास के 5 साथी मारे गए, 13 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए

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उज्जैन. कानपुर के बिकरू में हुए शूटआउट के मुख्य आरोपी विकास दुबे काे पुलिस ने गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार कर लिया है। गुरुवार सुबह महाकाल मंदिर की सुरक्षा कंपनी ने संदिग्ध जानकर पकड़ा और महाकाल थाना पुलिस को सूचना दी। सूत्राें के अनुसार, साथियाें के लगातार एकाउंटर से डरा विकास सुबह 8 से 8.30 बजे के बीच मंदिर परिसर में अपने दाे साथियाें के साथ सरेंडर के इरादे से ही पहुंचा था।

उसने बाबा महाकाल के दर्शन के लिए वीआईपी एंट्री के लिए 250 रुपए की रसीद कटवाई। इस दौरान उसने अपना सही नाम विकास दुबे ही लिखवाया। इसके बाद वह महाकाल बाबा के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में पहुंचा। दर्शन के बाद विकास वहां मौजूद जवानों के पास गया और बोला कि मैं कानपुर वाला विकास दुबे हूं, मुझे पकड़ लो। इसके पहले उसने शंका को देखते हुए अपने मोबाइल पर कुछ वीडियो भी बनाए। इसके बाद जवानों ने उसे पकड़ लिया और एग्जिट मार्ग से बाहर लाकर चौकी में बिठा लिया। इसके बाद उच्च अधिकारियों को जानकारी दी। कुछ देर बाद मौके पर पहुंचे अधिकारी उसे महाकाल थाने से किसी गोपनीय जगह पर लेकर रवाना हो गए।

विकास दुबे सुबह से पूरे महाकाल मंदिर परिसर में घूमता देखा गया।

मामले में मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि 5 लाख के इनामी गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी हो गई है। अभी वह पुलिस की कस्टडी में है। अभी गिरफ्तारी कैसे हुई, इसके बारे कुछ भी कहना ठीक नहीं है। वह क्रूरता की हदें शुरू से यह पार कर रहा था। इंटेलीजेंस की बात है- ज्यादा कुछ भी कहना सही नहीं है। वारदात होने के बारे से ही हमने पूरी मप्र पुलिस को अलर्ट पर रखा था।

इससे पहले गुरुवार को विकास के दो करीबी प्रभात मिश्रा और बऊआ उर्फ प्रवीण मारा गया। प्रभात को पुलिस ने बुधवार को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था। यूपी पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर कानपुर ले जा रही थी। रास्ते में प्रभात ने भागने की कोशिश की, उसने पुलिस की पिस्टल छीनकर फायरिंग कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में प्रभात मारा गया। दूसरी ओर विकास गैंग के ही बऊआ दुबे उर्फ प्रवीण को पुलिस ने इटावा में मार गिराया। दोनों बदमाश 2 जुलाई को बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल थे

पुलिस ने पकड़कर उसे चौकी पर ही बिठा लिया।

7 दिन में विकास दुबे गैंग के 5 बदमाशों का एनकाउंटर
पुलिस ने बुधवार को ही विकास के करीबी अमर दुबे का भी एनकाउंटर कर दिया था। अमर हमीरपुर में छिपा था। अब तक विकास गैंग के 5 लोग एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं। विकास की तलाश में यूपी के अलावा दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान पुलिस अलर्ट है। विकास मंगलवार को फरीदाबाद के एक होटल में देखा गया था, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही फरार हो गया।

कानपुर से उज्जैन तक इस तरह पहुंचा गैंगस्टर विकास दुबे, पढें पूरी कहानी
कानपुर शूटआउट (Kanpur Shootout) का मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे (Gangster Vikas Dubey) गिरफ्तार हो गया है. मध्य प्रदेश की उज्जैन पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है. अब बड़ा सवाल यह है कि 8 पुलिसवालों की हत्या का आरोपी विकास कानपुर से उज्जैन कैसे पहुंचा? इस मामले में न्यूज18 हिंदी ने जानकारों के हवाले से पहले ही उसके लोकेशन के बारे में जानकारी दी थी. औरैया की आखिरी लोकेशन के मुताबिक गैंगस्‍टर विकास दुबे इटावा के रास्ते चंबल के बीहड़ों में उतर चुका है. बीहड़ के आगरा सेंटर से व‍ह एमपी (MP) या राजस्थान भी भाग सकता है. इस सेंटर से एमपी या राजस्थान भागने में सिर्फ 30 मिनट लगते हैं.

यूपी पुलिस के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह बताते हैं, इटावा के रास्ते से चंबल के बीहड़ शुरु हो जाते हैं. हाइवे को इस्तेमाल किए बिना बीहड़ के रास्तों से होते हुए आराम से आगरा पहुंचा जा सकता है. बीहड़ में आगरा सेंटर पर बाह-पिनहाट ऐसी जगह हैं जहां से 30 मिनट में यूपी का बॉर्डर पार कर एमपी और राजस्थान में दाखिल हुआ जा सकता है. यह वो रास्ते हैं जहां पुलिस की कोई चेकिंग भी नहीं होती है. इन रास्तों पर आप अपनी गाड़ी भी ले जा सकते हैं.

पूर्व डीजीपी रहे विक्रम सिंह ने न्यूज18 हिंदी से बातचीत में बताया कि कुख्यात अपराधियों के मामले में अक्सर देखा गया है कि सेटिंग के चलते दो स्टेट की पुलिस में कोऑर्डिनेशन बनना मुश्किल हो जाता है या फिर दूसरे स्टेट की पुलिस दिखावे के लिए अपने यहां सर्च ऑपरेशन चलाती है, लेकिन अपराधी उसके यहां छिपा बैठा रहता है. बीहड़ के कितने ही बागी इस झोल का फायदा उठाकर आतंक का खूनी खेल खेलते रहे हैं.

दूसरी बात यह भी है कि बारिश के मौसम में चंबल नदी में पानी आ जाता है. बारिश के चलते हरियाली भी उग आती है. ऐसे में अगर चंबल की किसी टेकरी के पास से पुलिस के 10 ट्रक भी गुज़र जाएं तो यह पता लगाना मुश्किल हो जाएगा कि टेकरी के पीछे कौन छिपा बैठा है.

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