कर्नाटक : पुलिस कमिश्नर की सुरक्षा में विधानसभा पहुंचे स्पीकर, मुंबई से बेंगलुरू पहुंचे बागी MLA, विधानसभा स्पीकर ने SC का दरवाजा खटखटाया

कर्नाटक में चल रहा सियासी ड्रामा अभी तक थमा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी बागी विधायकों को गुरुवार शाम 6 बजे तक विधानसभा स्पीकर के सामने पेश होने को कहा है. वहीं, स्पीकर रमेश कुमार ने इस समय को बढ़ाने की मांग की है, लेकिन वो मंजूर नहीं हुई है. ऐसे में अब स्पीकर विधायकों का इस्तीफा स्वीकारते हैं या नहीं, इस पर हर किसी की नज़र है.

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बेंगलुरू: कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडीएस के 10 बागी विधायक मुंबई से बेंगलुरू पहुंच चुके हैं. वे थोड़ी देर में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात करेंगे और अपना इस्तीफा दोबारा सौंपेंगे. इसके लिए विधानसभा के आसपास सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं.

 

इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आज शाम 6 बजे विधायक स्पीकर से मिलें और उन्हें इस्तीफा देने के अपने फैसले की जानकारी दें.

 

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली एक पीठ ने कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष से कहा कि वह इन विधायकों के इस्तीफे के बारे में आज ही निर्णय लें. पीठ ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा लिये गये फैसले से शुक्रवार को अवगत कराया जाये जब न्यायालय इस मामले में आगे विचार करेगा.

स्पीकर ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कर्नाटक के स्पीकर रमेश कुमार ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ये नहीं कहा कि फैसला आज ही सुनाना है. मुझे नहीं समझ आ रहा कि विधायकों को मुझसे मिलने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की क्या ज़रूरत थी. मैं तो यहीं हूं. शाम को आएंगे, स्वागत करूंगा, नियमानुसार फैसला लूंगा.

 

स्पीकर भी पहुंचे SC
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष रमेश कुमार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की पीठ के समक्ष विधानसभा अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले का उल्लेख किया और कहा कि अध्यक्ष के आवेदन पर शुक्रवार को मुख्य मामले के साथ ही विचार किया जाये.

 

पीठ ने सिंघवी से कहा कि वह पहले ही सवेरे इस मामले में एक आदेश दे चुकी है और अब यह अध्यक्ष को अपनी कार्य योजना के बारे में फैसला लेना है.पीठ ने सिंघवी से कहा कि कुमार के आवेदन पर शुक्रवार को विचार किया जायेगा.

 

बागी विधायकों ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक मुंबई के पोवई स्थित एक होटल में ठहरे विधायकों ने कहा कि वह फैसला नहीं बदलेंगे. बागी विधायक बी बसावराज ने कहा कि वे कर्नाटक के विधानसभाध्यक्ष से शाम चार बजे मुलाकात करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सम्मान करते हैं. हम आज ही शाम चार बजे विधानसभाध्यक्ष से मिलेंगे और उन्हें हमारे इस्तीफे देंगे. हम अपने इस्तीफे वापस नहीं लेंगे.’’

 

यह पूछे जाने पर कि क्या कर्नाटक विधानसभा से उनके इस्तीफा देने के निर्णय के पीछे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का हाथ है, बसावराज ने कहा, ‘‘हमारे निर्णय के पीछे बीजेपी नहीं है. इसका बीजेपी से कोई लेना देना नहीं है.’’

 

कांग्रेस, जेडीएस और निर्दलीयों सहित 14 विधायक कर्नाटक विधानसभा से इस्तीफा देने और कर्नाटक में गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद यहां के होटल में रुके हुए थे.

 

बुधवार को कर्नाटक के वरिष्ठ मंत्री डी के शिवकुमार को पुलिस ने तब होटल में प्रवेश करने से रोक दिया था जब उन्होंने बागी विधायकों से मुलाकात की जिद की. शिवकुमार को बाद में बेंगलुरू वापस भेज दिया गया था.

स्पीकर पक्षपातपूर्ण तरीके से कर रहे कामः मुकुल रोहतगी

भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहे हैं. स्पीकर के पास कोर्ट की अथॉरिटी को चुनौती देने का अधिकार नहीं है. अगर विधायक अपना इस्तीफा देना चाहते हैं, तो आगे कुछ नहीं बचता है. कोर्ट ने सिर्फ विधायकों को सुनने के लिए स्पीकर से कहा है.

कांग्रेस नेता बोले- बीजेपी ने हमारे विधायकों को बनाया बंधक

कांग्रेस नेता ईश्वर खड़गे ने कहा कि पार्टी ने बागी विधायकों को सब कुछ दिया है. वो पार्टी के टिकट से चुनाव भी जीते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि हमारे विधायकों को बीजेपी ने बंधक बना लिया है. उनको बीजेपी के शीर्ष नेताओं द्वारा बंधक बनाया गया है. उनका अपहरण किया गया है. साथ ही ईश्वर खड़गे ने दावा किया कि अगर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है, तो हम जरूर विश्वास मत हासिल करेंगे.

बागी विधायकों के खिलाफ दलबदल की कार्रवाई के बाद कांग्रेस लेगी फैसला

कर्नाटक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने कहा कि हम बागी विधायकों से संपर्क नहीं करेंगे. हालांकि विधानसभा के अध्यक्ष को यह फैसला लेने के लिए समय चाहिए कि दलबदल कानून के तहत ऐसे विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाए या नहीं? पहले विधानसभा अध्यक्ष को इन विधायकों को अयोग्य घोषित करना चाहिए. इसके बाद कांग्रेस पार्टी मामले को देखेगी. अगर विधानसभा में हमारे सदस्यों की संख्या कम होती है और हम बहुमत से कम पर आ जाते हैं, तो बीजेपी अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है.

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