कोरोना के मरीज 1 लाख पार / हालात बिगड़े तो कैसे संभालेंगे, क्योंकि हमारे यहां 50 हजार से कम वेंटिलेटर, 1 लाख से भी कम आईसीयू बेड और 70 हजार से कम अस्पताल

देश में 25,778 सरकारी अस्पताल, 43,486 प्राइवेट अस्पताल, दोनों को मिलाकर 69 हजार 264 अस्पताल ही हैं सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में 19 लाख से भी कम बिस्तर, सिर्फ 94 हजार 961 ही आईसीयू बेड

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नई दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख के पार पहुंच गई है। 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है। पिछले कुछ दिन से रोजाना औसतन 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। अगर इसी रफ्तार से संख्या बढ़ती रही, तो जून के पहले हफ्ते तक मरीजों की संख्या 2 लाख से ज्यादा होने का अंदेशा है।

अगर ऐसा होता है और हालात बिगड़ते हैं तो संभालना भी मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि, सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि हमारे यहां अस्पताल में 1700 मरीजों के लिए एक बेड है।

देश में न सिर्फ अस्पतालों की बल्कि डॉक्टरों की भी कमी है। 30 सितंबर 2019 को लोकसभा में दिए जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया था कि देश में 12 लाख के आसपास एलोपैथिक डॉक्टर हैं। अगर ये मान लें कि एक समय में इनमें से 80% यानी 9.61 लाख डॉक्टर भी काम करने की स्थिति में होते हैं, तो 1404 लोगों पर एक डॉक्टर होगा।

ये आंकड़ा डब्ल्यूएचओ के मानक से भी कम है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हर 1 हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए।

सेंटर फॉर डिसीज डायनामिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी यानी सीडीडीईपी की रिपोर्ट बताती है कि हमारे देश में सिर्फ 69 हजार 264 अस्पताल ही हैं। इनमें से 25 हजार 778 सरकारी और 43 हजार 486 प्राइवेट अस्पताल हैं। इन अस्पतालों में 18 लाख 99 हजार 228 बेड ही हैं।

देश में सबसे ज्यादा 17 हजार 103 अस्पताल उत्तर प्रदेश में हैं। यहां 4 हजार 635 सरकारी और 12 हजार 468 प्राइवेट अस्पताल हैं। उसके बाद कर्नाटक का नंबर आता है, जहां सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की संख्या 10 हजार 684 है।

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