दिल्ली हिंसा में सामने आया लक्खा सिधाना का नाम- किसी समय कबड्डी में नाम कमाने वाली एमए पास लक्खा सिधाना लंबे समय तक रहा अपराध की दुनिया में

-अपराध की दुनिया से बाहर निकल राजनीति पैठ बनाने के लिए समाज सेवा के साथ ज्वलंत मुद्दों पर पैदा करता रहा कंटरवर्सी, -पंजाबी बोली के सम्मान को लेकर साइन बोर्ड में कालिख पोतने से आया था सुर्खियों में, अब किसान आंदोलन में हिंसा फैलाने के लग रहे आरोप

बठिंडा. किसी समय गैंग बनाकर लोगों में दहश्त फैलाने वाला लक्खा सिधाना दिल्ली में गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी के दिन किसानों की प्रायोजित ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के मामले में एक बड़ा नाम सामने आया है। अपराध की दुनिया को छोड़कर समाज सेवा करते राजनीति में नाम चमकाने की ठानकर चले लक्खा सिधाना ने मीडिया व सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए समय-समय पर नए विवाद को जन्म दिया। कभी पंजाबी भाषा को उत्साहित करने के लिए हिंदी व अंग्रेजी में लिखे साइन बोर्ड में कालिफ पोथकर विरोध जताया तो कभी सभ्याचार के नाम पर गलत शब्दावली का विरोध किया। पंजाब के बठिंडा जिले के रहने वाला पूर्व गैंगस्टर लक्खा सिंह सिधाना कभी अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह हुआ करता था, जो बाद में राजनीति में आया और फिर समाजसेवा करने में लग गया। हाल ही में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा में वो भी एक्टिव था और उसकी बड़ी भूमिका भी सामने आई है जिसमें दिल्ली पुलिस ने उसके खिलाफ मामला भी दर्ज किया है।
पंजाब के बठिंडा का रहने वाले लक्खा सिधाना का असली नाम लखबीर सिंह है। वह कबड्डी का अच्छा खिलाड़ी भी रह चुका है। बचपन से खेल में नाम कमाने वाला फिर खेल से अपराध की दुनिया में आने के बाद वह फिर राजनीति में चला आया। लक्खा सिधाना शिक्षा में डबल एमए है। उसने किसान आंदोलन में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। लक्खा पर हत्या, हत्या के प्रयास और मारपीट के कई आरोप लगे हैं। 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा और लाल किले के प्राचीर में पीला झंडा फहराये जाने की घटना में सिधाना का नाम आ रहा है।
लक्खा कैसे राजनीति में पहुंचा. इस बारे में कहा जाता है कि पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने पहले अपनी पार्टी पंजाब पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) बनाई थी और इसी पार्टी की तरफ से सिधाना ने सबसे पहले रामपुरा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि इसमें उसकी जमानत जब्त हो गई थी। इस विधानसभा चुनाव के दौरान लक्खा सिंह पर गांव भगता भाई में फायरिंग भी हुई थी, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस घटना के बाद सिधाना ने तत्कालीन अकाली मंत्री सिकंदर सिंह मलूका पर गंभीर आरोप लगाए थे। राजनीति के बाद लक्खा सिंह सिधाना पिछले कुछ साल से पंजाबी सत्कार कमेटी के साथ जुड़कर पंजाबी भाषा को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था। इसके साथ ही गैंगस्टर लक्खा सिंह सिधाना पंजाब के नौजवानों को बड़े स्तर पर अपने साथ जोड़ भी रहा था।
कुछ समय पहले लक्खा ने नेशनल हाईवे के साइन बोर्ड पर पंजाबी भाषा को तीसरे नंबर पर होने की वजह से उस पर कालिख पोत दी थी। सिधाना के पास दो-दो महंगी लग्जरी गाड़ियां हैं वही किलानुमा मकान इलाके में चर्चा का कारण बनता है। 25 जनवरी को सिधाना ने सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन में स्टेज पर चढ़कर युवाओं को कहा था कि जैसे युवा चाहते है, वैसी ही परेड होगी। लक्खा सिधाना ने कुछ दिनों पहले अपने सोशल मीडिया पेज पर वीडियो डालकर मीडियाकर्मियों को धमकाया भी था और अपने खिलाफ खबरें लिखने का विरोध भी किया था। फिलहाल गणतंत्र दिवस पर हिंसा के बाद जो नाम सुर्खियों में है जिसमें दीप सिद्धू पर आरोप लग रहे हैं कि इसी शख्स ने किसानों की भीड़ को लाल किला की तरफ मोड़ा, जिसके बाद हिंसा फैल गई। सिद्धू के बाद दूसरा एक और नाम सामने आ रहा है, लक्खा सिधाना जिसने आंदोलन में शामिल नौजवानों को भड़काया। जानकारी के मुताबिक दीप सिद्धू और लाखा सिधाना ने ही किसानों को लाल किला पर जाने के लिए भड़काया। लाल किले पर पहुंचने के बाद दीप सिद्धू ने ही प्रचार पर निशान साहिब फहराने के लिए भी कहा। इस बात को सिद्धू ने एक फेसबुक वीडयो में कुबूल भी किया है।
लक्खा पर पंजाब में दो दर्जन से ज़्यादा मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, लूट, अपहरण, फिरौती जैसे अपराध शामिल हैं। साथ ही लक्खा पर आर्म्स एक्ट के मामले भी दर्ज है। अपराध की दुनिया में पैर रखने के बाद उसने कबड्डी व शिक्षा को छोड़ दिया। लाखा सिधाना अभी युवाओं को सरकार और सिस्टम के खिलाफ भड़काने का काम करता है। सिधाना चुनाव भी लड़ना चाहता है इसी के लिए वह अपनी जमीन विभिन्न आंदोलनों में शामिल होकर व उनकी अगुवाई करता रहा है ताकि वह सुर्खियों में बना रहे।

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