नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने हैदराबाद रेप पीड़िता की पहचान सामने लाने के लिए ट्विटर को चेतावनी दी है. कोर्ट ने कहा है कि अगर पीड़िता का परिवार मीडिया घरानों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कार्रवाई की मांग करता हैं तो वह उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगा सकती है.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की एक बेंच ने ट्विटर से कहा है कि वो ऐसी गलती फिर से न दोहराए इसका एक एफिडेविट दे. अगर आप एफिडेविट नहीं देते हैं तो कोर्ट आप पर जुर्माना करेगा.
एफिडेविट के लिए दिया चार हफ्तों का समय
उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने पहले भी रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने के ऐसे ही एक मामले में मीडिया घरानों पर 10 लाख का जुर्माना लगाया था. उन्होंने कहा कि वो उस ऑर्डर को दोहराना नहीं चाहते हैं. कोर्ट ने ट्विटर को एफिडेविट देने के लिए चार हफ्तों का टाइम दिया है.
बता दें कि इस मामले पर कोर्ट 4 मई को अगली सुनवाई करेगी. कोर्ट ने यशदीप चहल द्वारा दायर एक पीआईएल की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है. दरअसल, याचिकाकर्ता ने हैदराबाद रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने का आरोप ट्विटर और मीडिया घरानों पर लगाया था.
धारा 228ए के उल्लंघन का आरोप
भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए के अनुसार, रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने पर दो साल की कैद के साथ-साथ जुर्माने का भी प्रावधान किया जा सकता है. याचिका में मीडिया घरानों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ धारा 228ए के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.
याचिका में कहा गया है कि कई ऑनलाइन और ऑफलाइन पोर्टल ने हैदराबाद रेप पीड़िता के चारों आरोपियों की पहचान उजागर किया है. गौरतलब है कि हैदराबाद में बीते 27 नवंबर की रात एक 26 वर्षीय महिला डॉक्टर से रेप के बाद हत्या कर दी गई थी.