नई दिल्ली: दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी इसकी तस्वीर कल साफ हो जाएगी. कल सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी. ज्यादातर एग्जिट पोल के आंकड़ें ये बता रहे हैं कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ‘हैट्रिक’ लगाएंगे. हालांकि, बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने का दावा कर रही है. दिल्ली में इस बार कुल 62.59 फीसदी वोटिंग हुई. साल 2015 में विधानसभा चुनाव में 67.47 फीसदी वोटिंग हुई थी.
सबसे अधिक वोटिंग बल्लीमारान में हुई
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रणबीर सिंह ने ने रविवार को बताया कि सबसे अधिक मतदान 71.6 फीसद बल्लीमारान में हुआ जबकि सबसे कम 45.4 फीसद मतदान दिल्ली कैंट में हुआ. ओखला निर्वाचन क्षेत्र में 58.54 मतदान दर्ज किया गया जहां शाहीन बाग है. दिल्ली में वोट डालने के लिए 13750 मतदान केंद्र बनाए गए थे.
क्या कहते हैं Exit Polls के आंकड़ें?
सर्वे एजेंसी/चैनल | AAP | BJP | Congress |
एबीपी-सी वोटर | 51-65 सीट | 3-17 सीट | 0-3 सीट |
आज तक-एक्सिस माई इंडिया | 59-68 | 2-11 | 0 |
रिपब्लिक-जन की बात | 48-61 | 9-21 | 0-1 |
टाइम्स नाऊ-आईपीएसओएस | 47 | 23 | 0 |
टीवी-9 और सिसरो | 54 | 15 | 1 |
इंडिया न्यूज़-नेता | 53-57 | 11-17 | 0-2 |
पोल ऑफ एग्जिट पोल्स | 56 | 13 | 1 |
पिछली बार आप ने जीती थी 67 सीटें
अलग-अलग एग्जिट पोल के आंकड़ों में ये साफ है कि दिल्ली में तीसरी बार अरविंद केजरीवाल सरकार बनाने जा रहे हैं. दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं. सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 36 है. पिछली बार के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
दिल्ली चुनाव में कुल 672 उम्मीदवारों ने लिया हिस्सा
इस बार आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. इसके अलावे बीजेपी ने 67 और कांग्रेस ने 66 सीटों पर अपने उम्मीदवारे थे. दिल्ली चुनाव में कुल 672 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. इसमें 593 पुरुष और 79 महिला उम्मीदवार शामिल थीं.
सबसे अधिक उम्मीदवार नई दिल्ली सीट पर
सबसे अधिक उम्मीदवार नई दिल्ली नई दिल्ली विधानसभा सीट से उतरे. इस सीट पर 28 उम्मीदवार थे. इसी सीट से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ते हैं. वहीं सबसे कम चार उम्मीदवार पटेल नगर विधानसभा सीट पर हैं.
दिल्ली में विधानसभा के लिए हुई वोटिंग के बाद ईवीएम फिलहाल स्ट्रांग रूम में बंद हैं. इसी में बंद है दिल्ली विधानसभा चुनावों के प्रत्याशियों की किस्मत भी. मंगलवार यानि 12 फरवरी को ईवीएम वोटों की काउंटिंग के लिए बाहर निकलेंगी. जानते हैं कि वोटों की गिनती की पूरी प्रक्रिया किस तरह होती है. इसके लिए चुनाव आयोग के किन नियमों का पालन किया जाता है.
वोटों की गिनती का समय और स्थान कैसे तय होता है?
चुनाव आयोग के नियम 51 के अनुसार वोटों की गिनती का समय और स्थान निर्वाचन अधिकारी तय करता है. ये निर्णय वोटिंग वाले दिन से कम से कम एक हफ्ते पहले सभी उम्मीदवारों और उनके एजेंट्स को लिखित में देना होता है.
उम्मीदवार वोटिंग हॉल में कितने प्रतिनिधि नियुक्त कर सकता है?
भारतीय चुनाव आयोग के नियम 52 के अनुसार एक उम्मीदवार वोटिंग हॉल में अपने नीचे एजेंट्स की नियुक्ति कर सकता है. एक स्थान पर 16 एजेंट्स की नियुक्त किए जा सकते हैं.
वोटिंग हॉल में कौन-कौन मौजूद रह सकता है?
नियम 53 के अनुसार, जहां वोटों की गिनती होती है वहां निर्वाचन अधिकारी, गिनती करने वाला स्टाफ, उम्मीदवार, उसके एजेंट और चुनाव आयोग द्वारा प्रमाणित सरकारी कर्मचारी ही उपस्थित रह सकते हैं.
वोटों की गिनती से पहले क्या EVM की जांच होती है?
हां, गिनती करने वाले स्टाफ और एजेंटों के लिए यह अनिवार्य है कि वोटों की गिनती शुरू करने से पहले जांच लें कि किसी भी EVM मशीन में कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है. यदि किसी भी किस्म का की हस्तक्षेप पाया जाता है तो तुरंत चुनाव आयोग को सूचित करना आवश्यक है.
कैसा होता है वो हॉल जहां वोटों की गिनती होती है?
वोटों की गिनती के लिए अधिकतर किसी स्कूल, कम्युनिटी सेंटर या जिला कार्यालय का ऑफिस चुना जाता है. ये वो जगहें होती हैं जहां टेबल कुर्सियों की व्यवस्था आसानी की करवाई जा सकती है. एक हॉल में अधिकतम 14 टेबल लगवाए जाते हैं. 2009 के लोक सभा चुनावों में 25 टेबलों की अनुमति भी चुनाव आयोग ने इस शर्त पर दी थी क्योंकि हॉल बहुत बड़े थे. इन 14 टेबलों के अलावा 1 टेबल निर्वाचन अधिकारी के लिए और 1 समीक्षक के लिए होती है.
उम्मीदवारों के एजेंट उस हॉल में इसलिए मौजूद होते हैं ताकि इस बात पर नजर रख सकें कि उनके उम्मीदवार के वोट गिनने में कोई कोताही तो नहीं बरती जा रही है. ये एजेंट निर्वाचन अधिकारी के साथ बैठते हैं.
यह ध्यान रखा जाता है कि हर गिनती टेबल को लकड़ी के फट्टों से अच्छी तरह ढककर रखा जाए ताकि हर एजेंट को गिनती करना कर्मचारी तो दिखता रहे, लेकिन EVM या बैलेट बॉक्स के भीतर किसी की नजर ना पड़ सके.
हर टेबल पर क्या-क्या उपलब्ध होता है?
गिनती किये जाने वाले हर टेबल पर 1 नीली इंक वाला बॉल पॉइंट पेन, एक चाकू जिससे सील काटी जा सके, फॉर्म17C का पार्ट 2 होना अनिवार्य है. इसके साथ ही अतिरिक्त गिनती स्टाफ / माइक्रो पर्यवेक्षक और NOTA द्वारा सुरक्षित वोटों की रिकॉर्डिंग के लिए प्रोफार्मा भी हर टेबल पर पहले से ही रखा जाता है.
हर टेबल पर एक-एक लाउडस्पीकर होता है जिस पर स्थानीय वोटों के रुझान की घोषणा होती रहती है. इसके अलावा हर टेबल को एक अतिरिक्त स्टाफ भी दिया जाता है जो EVM को सील और दूसरे दस्तावेजों को लिफाफों में रख सके.
क्या वोटों की गिनती के दौरान कैमरे का प्रयोग किया जा सकता है?
जहां वोटों की गिनती हो रही हो, वहां सिर्फ आधिकारिक व्यक्ति द्वारा पूरे हॉल की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है. इसके अलावा वहां कोई भी व्यक्ति ना तो फोटो खींच सकता है ना ही वीडियो बना सकता है. मीडियाकर्मियों को भी वहां जाने की अनुमति नहीं होती. कई बार कुछ मीडिया वालों को पास के जरिए वहां जाने की अनुमति मिल जाती है लेकिन एक निर्धारित रेखा से आगे जाने की इजाजत उन्हें भी नहीं होती. किसी भी कीमत पर EVM को कैमरे में कैद नहीं किया जा सकता.
पोस्टल बैलेट की गिनती पहले होती है या ईवीएम के वोटों की?
नियम 54A के मुताबिक, जब भी पोस्टल बैलेट और EVM दोनों के जरिए वोटिंग होती है, हमेशा पोस्टल बैलेट पहले गिने जाते हैं. किसी भी कीमत पर पोस्टल बैलेट पहले ही राउंड में गिने जाते हैं.
EVM के वोटों की गिनती पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के 30 मिनट बाद शुरू होती है. भले ही 30 मिनट में पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी नहीं हुई हो, लेकिन इससे अधिक रुकने की अनुमति नहीं होती.