भारत को मिला अमेरिका का साथ, चीनी सेना का मुकाबला करने के लिए चारों चरफ से कर दी है घेराबंदी

अमेरिका की ये चेतावनी खोखली नहीं है. चीन के आस-पास अमेरिका के इतने बेस मौजूद हैं कि वो ड्रैगन को आसानी से घुटने टेकने पर मजबूर कर सकता है. अमेरिका ने पहले ही ताइवान के करीब अपने तीन न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात कर दिया है. जिसमें से दो ताइवान और बाकी मित्र देशों के साथ युद्धाभ्यास कर रहे हैं, वहीं तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर जापान के पास गश्त लगा रहा है.

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लद्दाख में चीन की आक्रामक कार्रवाई के बाद अमेरिका ने चीन को भारत समेत कई देशों के लिए खतरा बता दिया है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ऐलान किया है कि चीनी सेना के खतरे से निपटने के लिए अमेरिका एशिया में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाएगा. बेकाबू होते जा रहे चीन की घेराबंदी अब तय हो गई है.

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लद्दाख में भारत के मुंहतोड़ जवाब का सामना कर रहे चीन को सबक सिखाने के लिए अब अमेरिका भी खुलकर सामने आ गया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ऐलान किया है कि चीन के आक्रामक रुख का जवाब देने के लिए अमेरिका एशिया में अपनी फौज को बढ़ाने जा रहा है.

भारत और अपने मित्र देशों के लिए चीन को खतरा बताने वाले पोम्पियो ने चीन को चेतावनी दी कि ज़रूरत पड़ी तो अमेरिकी सेना उसकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से मुकाबला करने को तैयार है.

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अमेरिका की ये चेतावनी खोखली नहीं है. चीन के आस-पास अमेरिका के इतने बेस मौजूद हैं कि वो ड्रैगन को आसानी से घुटने टेकने पर मजबूर कर सकता है. अमेरिका ने पहले ही ताइवान के करीब अपने तीन न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात कर दिया है. जिसमें से दो ताइवान और बाकी मित्र देशों के साथ युद्धाभ्यास कर रहे हैं, वहीं तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर जापान के पास गश्त लगा रहा है.

प्रशांत महासागर में तैनात ये तीन विमान वाहक हैं यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट, यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन हैं. एक अनुमान के मुताबिक पूरे एशिया में चीन के चारों ओर 2 लाख से ज्यादा अमेरिकी सेना के जवान तैनात हैं. वहीं पॉम्पियो के ताजा बयान के बाद चीन की घेराबंदी कसी जा रही है.

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राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश पर अमेरिका जर्मनी में मौजूद अपने 52 हजार सैनिकों को घटाकर 25 हजार कर रहा है. इन सैनिकों को एशिया में चीन का मुकाबला करने के लिए तैनात किया जाएगा.

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, अमेरिका के दुनिया में करीब 800 सैन्य ठिकाने हैं. लेकिन चीन की घेराबंदी के लिए मालदीव में डियेगो गार्सिया में अमेरिकी और ब्रिटिश नौसेना का बेस मौजूद है. वहीं सिंगापुर, ताइवान, दक्षिण कोरिया, गुआम और जापान में भी अमेरिका का सैन्य ठिकाना है. बता दें कि जापान में 10 अलग-अलग बेस पर एक लाख से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात हैं और यहां से अमेरिका दक्षिण चीन सागर पर नजर रखता है.

इन ठिकानों के अलावा सैकड़ों ठिकाने ऐसे हैं, जो छोटे-छोटे द्वीप पर अमेरिका ने बना रखे हैं. उनमें कुछ आर्टिफिशियल यानी कृत्रिम तौर पर बनाए गए द्वीप भी हैं. अमेरिका की इस घेराबंदी से चीन हमेशा से ही बेचैन रहा है लेकिन अमेरिका ने इन देशों में अपने सैन्य ठिकाने इस वजह से बना रखे हैं कि इनमें से कई उसके मित्र देश हैं जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उस पर है. चूंकि चीन भारत समेत इन देशों के लिए खतरा बन गया है. लिहाजा अमेरिका ने उसकी नकेल कसनी शुरू कर दी है.

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जापान से अमेरिका की संधि है और दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ही वहां अमेरिका की नेवी, आर्मी और एयरफोर्स मौजूद है. दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया के कोप से बचाने के लिए अमेरिका ने वहां अपने सैनिक तैनात कर रखे हैं. फिलीपींस ने अमेरिका के साथ दो दशक पुराने करार को आगे बढ़ाकर अमेरिकी सेना की तैनाती को मंजूरी दे दी है.

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इन देशों के अलावा माइक पोम्पियो ने वियतनाम, मलेशिया और इंडोनेशिया की सुरक्षा का हवाला देकर उनके साथ खड़े होने का साफ संकेत दे दिया है. वहीं, जापान-अमेरिका साझा युद्धाभ्यास से तिलमिलाए चीन की परेशानी अब और बढ़ने वाली है.

 

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