सिविल अस्पताल रामपुरा में उठे विवाद में सामाजिक संस्थाओं ने एमएमओ के पक्ष में खोला मोर्चा

-सेहत विभाग के कुछ कर्मी एमएमओ की तरफ से उठाए जा रहे कदमों को लेकर जता रहे हैं विरोध -तहसीलदार व डीएमसी ने किया सिविल अस्पताल का दौरा, बैठक के बाद भी नहीं हुआ हल

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प्रशोत्तम मन्नू, रामपुरा फूल. रामपूरा फूल सिविल अस्पताल में पिछले एक सप्ताह से सेहत अधिकारियों व कर्मियों के बीच चल रहे विवाद में मंगलवार को तहसीलदार रामपुरा व डीएमसी बठिंडा ने अस्पताल का दौरा किया। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे कर्मियों के साथ बैठक कर मसले का हल निकालने की कोशिश की लेकिन इसमें किसी तरह की सफलता नहीं मिल सकी है।

इसी बीच अस्पताल के कुछ कर्मी सीनियर मेडिकल अफसर डा. अंजू कांसल के तबादले की मांग कर रहे हैं वही मंगलवार को इसी विवाद के बीच शहर की प्रमुख सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं ने डा. अंजू कांसल के पक्ष में मोर्चा खोल दिया। इसमें संस्थाओं ने कहा कि सीनियर मेडिकल अफसर के खिलाफ ऐसे लोगों ने मोर्चा खोला है जो अस्पताल में काफी समय से अव्यवस्था का माहौल बना रहे थे वही एसएमओ ने पदभार संभालते ही इन तमाम अव्यवस्थाओं में सुधार लाने की कोशिश की है जिसमें शहर के लोग काफी खुश है व रामपुरा शहर का हर बांशिदा एसएमओ डा. अंजू कांसल का समर्थन करता है।

गौरतलब है कि रामपुरा फूल सिविल अस्पताल में उस समय विवाद खड़ा हो गया जब अस्पताल में एसएमओ डा. अंजू कांसल ने पदभार संभाला। इस दौरान उन्होंने लोगों की शिकायत पर कुछ मामलों की जांच शुरू कर दी। इसमें खुलासा हुआ कि अस्पताल स्टाफ में कुछ कर्मी घपलों को अंजाम दे रहे हैं जिसमें मरीजों के साथ नर्सिंग की ट्रेनिंग लेने के लिए आने वाले बच्चों से वसूली जाने वाली फीसों में बड़े स्तर पर घपला किया जा रहा है। मामले में डा. अंजू कांसल ने बताया कि जब वह अस्पताल में पदभार संभाल रही थी तो कुछ लोग उन्हें मिले व अस्पताल में की जा रही अनियमियतता की शिकायते की थी। इस दौरान उन्होंने पाया कि अस्पताल स्टाफ में तैनात कुछ कर्मी अस्पताल में दवा होने के बावजूद बाहर मेडिकल स्टोर से दवाईयां खरीदने के लिए मरीजों को मजबूर कर रहे हैं। वही कई मरीज ऐसे सामने आए जिनसे 570 रुपए की वसूली की गई व सरकारी खजाने में मात्र 120 रुपए जमा करवाए गए। इसके लिए अस्पताल की कार्बन कापी को टैंपर किया गया जो सरकारी खजाने के साथ धोखा है। यही नहीं अस्पताल में नर्सिंग स्टूडेंट की डमी एडमीशन के साथ अवैध वसूली के मामले भी सामने आए है। वही एक मामला ऐसा भी सामने आया जिसमें अस्पताल में तैनात कर्मी के पति रात के समय अस्पताल खुलवाकर वहां सोने के लिए आते थे। इस बाबत उन्होंने लिखित में एक रिपोर्ट तैयार कर पंजाब हेल्थ कार्पोरेशन के एमडी, सचिव, डीसी बठिंडा, सिविल सर्जन बठिंडा, डीएमसी के साथ स्थानीय आला अधिकारियों को भेजी है। उन्होंने बताया कि सिविल अस्पताल में कुछ कर्मी प्राइवेट मेडिकल स्टोर के संचालकों को फायदा पहुंचाने के लिए गरीब मरीजों को बाहर से दवाईयां लेने के लिए मजबूर करते हैं। इसमें कई मामले ऐसे भी सामने आए है जिसमें मरीज से अतिरिक्त दवा मंगवाई जाती है व बाद में बाहर मेडिकल की दुकानों में उन्हें वापिस कर पैसे वसूले जाते हैं जिसकी जांच की जा रही है।

हालांकि इस मामले में अभी किसी तरह की कारर्वाई नहीं हो सकी है। इस कदम के बाद अस्पताल में तैनात कुछ कर्मियों ने किसान संगठनों को बुलाकर धरना लगा दिया जबकि इस बाबत जानबूझकर घपलों को दबाने के लिए इस तरह की कारगुजारी की जा रही है। वही सीनियर मेडिकल अफसर की तरफ से उठाए कदमों को लेकर शहर वासियों ने स्वागत किया है। वही एक तरफ जहां किसानों व कर्मियों ने अस्पताल के बाहर धरना लगा रखा है वही शहर की दो दर्जन सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सीनियर मेडिकल अफसर का समर्थन किया है व उन्हें हरसंभव सहयोग देने का वायदा किया। वही संगठनों ने चेतावनी दी कि अगर मामले में लोगों के हित में काम कर रही मेडिकल अफसर को प्रशासन ने सहयोग नहीं दिया तो लोग सड़कों में उतरेंगे व भ्रष्ट लोगों की पोल खोलेंगे।
फोटो -रामपुरा सिविल अस्पताल के बाहर धरना देते किसान व सेहत कर्मी। वही कर्मियों से बैठक करते तहसीलदार व डीएमसी बठिंडा। मामले में अपना पक्ष रखती एसएमओ डा. अंजू कांसल।

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