प्रशोत्तम मन्नू, रामपुरा फूल। रामपुरा फूल जिले में सट्टेबाजी, जुए व दड्डा सट्टे का प्रमुख अड्डा बन गया है। राजनीतिक संरक्षण में यहां सट्टे का धंधा लंबे समय से बेखौफ चल रहा है। राजनीतिक नेताओं का संरक्षण मिलने के कारण पुलिस भी इन लोगों के खिलाफ किसी तरह का एक्शन लेने में कतराती है। हालात यह है कि इनमें से कुछ आदतन किस्म के लोग बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड के पास खुलेआम पर्ची काटकर एवं मोबाइल के माध्यम से भी इस अवैध कारोबार को संचालित कर लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रहे हैं जिसकी जानकारी शायद पुलिस को छोड़कर सभी को है। सट्टे के हिसाब-किताब की जगह बार-बार बदल कर प्रमुख खाईवाल अपनी होशियारी का भी परिचय देने की कोशिश करते हैं।
कुछ समय पहले इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता ने इस धंधे के खिलाफ आवाज बुलंद की थी तो पंजाब के सीएम हाउस ने मामले में एक्शन लेने की हिदायत दी लेकिन स्थानीय नेताओं को इस धंधे से हर माह मिलने वाली प्रोटेक्शन कमाई के चलते मामले में पुलिस भी बेवस दिखाई दी। मामले में यहां तक कहा गया कि इलाके में सट्टेबाज मिलकर पुलिस, नेता व धंधे को संरक्षण देने वाले लोगों को हर माह 25 से 30 लाख रुपए की राशि का भुगतान करते हैं। भारी भरकम राशि को इकट्ठा करने के लिए स्थानीय नेताओं के साथ धंधा चलाने वाले खाईवाल प्रतिदिन सट्टे के अड्डों में जाते हैं व एक सट्टेबाज से पांच से दस हजार रुपए की वसूली की जाती है। यह राशि एक जगह पर इकट्ठा कर आगे बड़े नेताओं के पास पहुंचती है।
जब कभी भी इस मामले में अखबारों में खबरे लगती है तो पुलिस एक अड्डा पकड़कर खानापूर्ति कर लेती है, जबकि यहां अनेकों चल रहे हैं। पकड़े गए अड्डे के अलावा गीता भवन के पास कई अड्डे पकडऩे की भी जरूरत है। कुछ साल पहले रामपुरा पुलिस ने शहर में छापामारी कर जुए का अड्डा पकड़ा था, जहां करीब 2 दर्जन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया और उनसे 50 लाख रुपए पकड़े गए परन्तु पुलिस का कहना है कि मौके पर कुछ व्यक्ति पकड़े गए जिनसे 2.90 लाख रुपए पकड़े गए थे। इनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था।
सूत्रों अनुसार कई दुकाने व व्यापारिक संस्थाएं, जो खुद को समाज सेवी व मनोरंजन का जरिया करार दे रही हैं, के द्वारा कई तरह की गैरकानूनी गतिविधियों को जन्म दिया जा रहा है। इन संस्थाओं पर कुछ अन्य जगह पर ताश का जुआ ही नहीं बल्कि दड़ा-सट्टा, गैरकानूनी लॉटरी या क्रिकेट सट्टा भी चलता है और कुछ संस्थाओं के पास शराब रखने या पिलाने का लाइसैंस नहीं है लेकिन शराब फिर भी चलती है। एक संस्था में तो शराब पकड़ी भी गई थी। अगर यह सब कुछ आम लोगों को पता है तो पुलिस विभाग भी इससे अनजान नहीं होगा।
बताते चले कि कभी चोरी-छिपे चलने वाला दड्डा सट्टा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से खाईवाल के संरक्षण में रामपुरा फूल में खुलेआम चल रहा है। ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे यही प्रतीत होता है कि प्रमुख खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।
रामपुरा फूल में मौड़ रोड, बस स्टेंड, गांधी नगर, कृष्णा टाकी के पास टैंकी के नीचे, राम बाग रोड व शहर के बीचों बीच हर गली मुहल्ले में जुआ व सट्टे का काम सरेआम किया जाता है। इसमें स्थिति यह है कि इस धंधे में इलाके के नौजवान व मजदूरी कर पेट पालने वाले लोगों के साथ व्यापारी वर्ग के लोग भी रातों रात पैसा दस गुणा करने के चक्कर में लूटे जा रहे हैं। वही दड्डा सट्टा लगाने वाले रातों रात नामी व बेनामी संपत्ति के मालिक बन रहे हैं। इसमें खेल के बढ़ते कारोबार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महिलाएं एवं बच्चे भी दिन-रात अंकों के जाल में उलझे रहते हैं।
प्रमुख खाईवाल के एजेंट जो पर्ची काटते हैं प्राय: हर गली-मोहल्ले में आसानी से घूमते पर्ची काटते नजर आते हैं। इनमें से कुछ आदतन किस्म के लोग बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड के पास खुलेआम पर्ची काटकर एवं मोबाइल के माध्यम से भी इस अवैध कारोबार को संचालित कर लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रहे हैं जिसकी जानकारी शायद पुलिस को छोड़कर सभी को है। सट्टे के हिसाब-किताब की जगह बार-बार बदल कर प्रमुख खाईवाल अपनी होशियारी का भी परिचय देने की कोशिश करते हैं।
सूत्रों की मानें तो वर्तमान समय में इस अवैध कारोबार का हिसाब-किताब प्रत्येक शनिवार को किया जा रहा है। कुछ लोग ‘अचूक, और अन्य नामों से साप्ताहिक व मासिक सट्टा चार्ट की भी बिक्री कर रहे हैं जिसकी मांग सट्टï प्रेमियों में ज्यादा है।गरीब बेरोजगार युवाओं को मोटे कमीशन का लालच देकर इस अवैध कारोबार में उतारा जा रहा है। आगे चलकर यही युवा अपराध की ओर अग्रसर हो जाते हैं। शिकायत होने पर जब पुलिस अभियान चलाती है तो खाईवाल को बक्श कर अक्सर इन्हीं युवाओं के खिलाफ कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेती है।
इलाके के लोगों ने मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए है जबकि कुछ राजनेता भी इन गौरखधंधा करने वालों को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। लोगों ने बताया कि सट्टा के अवैध कारोबार ने कई घरों को तबाह कर दिया है। सब कुछ जानते हुए भी पुलिस जिस प्रकार आंख बंद किए बैठी है उससे पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
जिस प्रकार सट्टा का अवैध कारोबार खुलेआम संचालित हो रहा है उससे यह साफ दिखता है कि उन्हें किनका संरक्षण प्राप्त है। इलाके की समाज सेवी संस्थानों ने कहा कि इसके समूल नाश के लिए शीघ्र अभियान नहीं चलाया गया तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा। अब सवाल है कि क्षेत्र में सट्टा के अवैध कारोबार से पुलिस की छवि धूमिल हो रही है। सट्टा पट्टी काटने वाले तक कानून के हाथ पहुंचते हैं, लेकिन खाईवाल के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?