इस शख्स ने 40 हजार से ज्यादा मुस्लमानों के खून-पीसने की कमाई को एक झटके में डुबोया

मंसूर खान बेंगलुरु स्थित कंपनी आईएमए यानी आई मॉनिटिरी एडवाजयरी ज्वैलर्स नाम से एक बैंक चलाने का काम कर रहा था. इस चिटफंड गोरखधंधा के जरिये मंसूर खान ने करीब 40 हजार से ज्यादा निवेशकों से 2000 करोड़ रुपये का घपला किया.

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई) समेत देश की कई बड़ी एजेंसी अक्सर लोगों की सलाह देती हैं कि ज्यादा मुनाफे के चक्कर में कभी भी न आएं. लेकिन अपने पैसों को जल्दी डबल करने की चाह अक्सर आम आदमी के खून-पीसने की कमाई डूबो देती है. ऐसे ही एक मामले में करीब 40 हजार मुस्लमानों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठना पड़ा है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस फ्रॉड के मुख्य आरोपी मंसूर खान को गिरफ्तार कर लिया है. आई मॉनिटरी एडवाइजर (आईएमए) पोंजी घोटाले का मास्टरमाइंड मंसूर खान को बताया जा रहा है. उसे दुबई से दिल्ली लाया जा चुका है. फिलहाल वह ईडी की हिरासत में है. आपको बता दें कि मंसूर खान पर ईडी के साथ-साथ एसआइटी ने भी लुक आउट सर्कुलर जारी किया था.

 

Mansoor Khan investment fraud-40 हजार से ज्यादा मुसलमानों के डूबे करोड़ों रुपये, जानें इस्लामिक बैंक फ्रॉड की पूरी कहानी

कौन है मंसूर खान


मंसूर खान बेंगलुरु स्थित कंपनी आईएमए यानी आई मॉनिटिरी एडवाजयरी ज्वैलर्स नाम से एक बैंक चलाने का काम कर रहा था. साल 2006 में शुरू किए गए इस चिटफंड गोरखधंधा के जरिये मंसूर खान ने करीब 40 हजार से ज्यादा निवेशकों से 2000 करोड रुपये का घपला किया. इसके बाद वह फरार हो गया. हजारों की संख्या में शिकायतें मिलने ही कर्नाटक पुलिस ने तेजी से कदम उठाए. इसके बाद मामला केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास पहुंचा और इसकी जांच शुरू हुई. बेंगलुरु पुलिस ने भी इस मामले में एक एसआईटी का गठन किया था . जो इस मामले की भी जांच कर रही थी .

 


धर्म के आड़ में शुरू किया चिटफंड का खेल-
  • मंसूर खान ने अपनी इस कंपनी को इस्लामिक कानून के मुताबिक हलाल इनवेस्टमेंट के मोड में रखा . मतलब साफ है कि हलाल निवेश के लिए उसने सबसे पहले इस्लाम धर्म मानने वाले कई बडे मौलानाओं से संपर्क करके उसको ये समझाने में सफल हो गया की ये मुसलमानों के फायदे की चीज है.
  • इसके साथ ही निवेश किए गए पैसों पर कई गुना मुनाफा देने का वायदा किया. इसके बाद कुछ समय तक ये वादा निभाया भी.
  • इसके बाद मंसूर खान ने कई धनी मुस्लिम परिवारों को अपनी ओर खींचा. उनसे भी इस चिटफंड स्कीम में निवेश कराया. उसके बाद उन सभी की तस्वीरों और वीडियों को दिखाकर काफी मुसलमानों को अपने इस फर्जीवाडे में फंसाया.
  • मंसूर खान रीबा देने की शर्त पर निवेश करवाता था. लिहाजा धीरे -धीरे आईएमए ग्रुप करीब 2000 करोड़ का हो गया . लेकिन अचानक इसी साल जून महीने में काफी नुकसान हो गया और 8 जून को मंसूर खान विदेश भाग गया.
  • एक साजिश के तहत एक ऑडियो संदेश भी सर्कुलेट करवाया गया. इसमें बताया गया कि वो आत्महत्या करने वाला है. अपने ऑडियो संदेश में स्थानीय कांग्रेस पार्टी के विधायक रोशन बेग पर आरोप लगाया.
  • उसने कहा रोशन बेग ने उससे 400 करोड रुपये लिए जो बाद में वापस नहीं किए. जिसके चलते वो आर्थिक तौर पर टूट गया.
  • लेकिन अब एक सवाल और उठता है की आखिर उस कांग्रेसी विधायक को क्या आवश्यकता पड़ी जिसकी वजह से उसको 400 करोड़ रुपये मंसूर खान से लेने पड़े और उन दोनों के बीच आखिर क्या डील हुई थी?

 

 

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