IL&FS स्कैम में ED का एक्शन, पूर्व ज्वाइंट मैनेजिंग डॉयरेक्टर सहित 2 गिरफ्तार

आईएल एंड एफएस स्कैम में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहली गिरफ्तारी की है. जांच एजेंसी ने इस मामले में IL&FS के पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक अरुण कुमार साधा को गिरफ्तार कर लिया है. इसके अलावा ED ने कंपनी से जुड़े के रामचंद्रन को भी गिरफ्तार किया है. के रामचंद्रन इस कंपनी के ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर थे. इन दोनों अधिकारियों ने तब इस्तीफा दे दिया था जब सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने इस घोटाले की जांच शुरू की थी.

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नई दिल्ली।  इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) समूह स्कैम में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहली गिरफ्तारी की है. जांच एजेंसी ने इस मामले में IL&FS के पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक अरुण कुमार साधा को गिरफ्तार कर लिया है. इसके अलावा ED ने कंपनी से जुड़े के रामचंद्रन को भी गिरफ्तार किया है. के रामचंद्रन इस कंपनी के ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर थे. इन दोनों अधिकारियों ने तब इस्तीफा दे दिया था जब सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने इस घोटाले की जांच शुरू की थी.

सेबी की जांच के घेरे में स्वतंत्र निदेशक, रेटिंग एजेंसी और ऑडिटर

आईएलएंडएफएस समूह में धोखाधड़ी को लेकर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच के घेरे में तमाम संस्थान हैं। इनमें स्वतंत्र निदेशक, कंपनी के शीर्ष अधिकारी, रेटिंग एजेंसियां और संकटग्रस्त आईएलएफएस समूह से जुड़े ऑडिटर शामिल हैं। सेबी आईएलएफएस समूह में धोखाधड़ी मामले में भूमिका के लिए इन लोगों के खिलाफ जल्द कार्रवाई कर सकता है। अधिकारियों ने बताया कि बाजार नियामक कई इकाइयों और लोगों की इस धोखाधड़ी में भूमिका की जांच कर रहा है।

शेयरधारकों और पूंजी बाजार के हितों को चोट पहुंचाने के लिए किया काम

इनमें खुलासा और कामकाज के संचालन के नियमों के संदिग्ध उल्लंघन का मामला शामिल है। धोखाधड़ी की गतिविधियों के जरिये अल्पांश शेयरधारकों और पूंजी बाजार के हितों को चोट पहुंचाने के लिए इनमें से कई पर जल्द कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। नियामक सूचीबद्ध कर्ज लेने वाले कुछ निकायों की भूमिका की भी जांच कर रहा है। पूर्व में कर्ज चूक करने के बावजूद इन लोगों को बाद में कई बार नया ऋण दिया गया।

इकाइयों द्वारा भुगतान में चूक की वजह से यह संकट पैदा हुआ

पिछले साल आईएलएफएस समूह का संकट सामने आया था। उसके बाद सेबी ने इसकी जांच शुरू की थी। कई इकाइयों द्वारा भुगतान में चूक की वजह से यह संकट पैदा हुआ है। इन इकाइयों पर कुल मिलाकर 90,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बकाया है। इस संकट की वजह से सरकार को आईएलएंडएफ समूह के निदेशक मंडल को भंग कर नए बोर्ड की नियुक्ति करनी पड़ी थी। इस मामले की जांच कई एजेंसियों मसलन गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा भी की जा रही है।

समूह की कई इकाइयां गलत तरीके से कई प्रकार के घुमावदार लेनदेन में शामिल

जांच में यह तथ्य सामने आया है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) समूह की कई इकाइयां गलत तरीके से कई प्रकार के घुमावदार लेनदेन में शामिल रही हैं। कई कर्जदारों को उनके खराब रिकॉर्ड के बावजूद तेजी से ऋण जारी किया गया। यह भी सामने आया है कि आईएलएफएस समूह की कई इकाइयों को विभिन्न रेटिंग एजेंसियों से ऊंची रेटिंग दी गई। इन इकाइयों ने कृत्रिम तरीके से अपने बही खाते को चमकाया हुआ था।

सूचीबद्ध कंपनियों सहित कई कर्जदार समय पर अपने कर्ज का भुगतान नहीं कर रहे थे। जांच के अनुसार आईएलएफएस के शीर्ष प्रबंधन को दबाव वाले खातों की जानकारी थी इसके बावजूद उन्हें नया कर्ज दिया जाता रहा। समूह के शीर्ष प्रबंधन ने कर्ज चूक करने वालों से लाभ लिया। वहीं कुछ आडिटरों और रेटिंग एजेंसियों के लोगों को भी इनसे फायदा मिला।

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