क्रिकेट में हुए दो बड़े बदलाव, नए नियम लागू होने से कप्‍तानों को राहत, सस्‍पेंड होने का खतरा समाप्‍त

लंदन में आईसीसी की सालाना कांफ्रेंस में एक बड़े फैसले के तहत धीमी गति से ओवर डालने पर अब कप्‍तान सस्‍पेंड नहीं होंगे. इसके बजाय अब पूरी टीम को सजा मिलेगी.

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नई दिल्ली।  क्रिकेट में आने वाले समय में बदले हुए अंदाज में नजर आएगा. अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने कुछ नए नियमों और बदलावों को मंजूरी दी है. लंदन में आईसीसी की सालाना कांफ्रेंस में एक बड़े फैसले के तहत धीमी गति से ओवर डालने पर अब कप्‍तान सस्‍पेंड नहीं होंगे. इसके बजाय अब पूरी टीम को सजा मिलेगी. साथ ही अब से कप्‍तान व बाकी खिलाड़ियों पर बराबर जुर्माना लगाया जाएगा. आईसीसी के फैसले के तहत, ‘धीमी गति से ओवर डालने पर सजा में बदलाव किया है. अब कप्‍तानों पर सस्‍पेंड होने का खतरा नहीं होगा लेकिन धीमी गति से ओवर करने पर आईसीसी टेस्‍ट चैंपियनशिप के दौरान खिलाड़ियों के पॉइंट काटे जाएंगे.’

अभी तक जो नियम था उसके अनुसार, कप्‍तान पर मैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना लगता था और बाकी खिलाड़ी 10-10 फीसदी जुर्माना झेलते थे. वहीं लगातार 3 मैचों में ऐसा होने पर कप्‍तान पर बैन लग जाता था.  आईसीसी के नए नियम से कप्‍तान को काफी राहत होगी.

एक अन्‍य फैसले में गेंद से चोटिल खिलाड़ी की जगह उसकी जगह दूसरा खिलाड़ी ले सकता है. इंग्‍लैंड और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज से इस बदलाव की शुरुआत होगी. आईसीसी ने बताया, ‘ जैसा खिलाड़ी होगा उसका सब्‍सटीट्यूट भी वैसा ही होना चाहिए यानी गेंदबाज की जगह गेंदबाज और बल्‍लेबाज की जगह बल्‍लेबाज. इस तर‍ह के बदलाव के लिए मैच रैफरी की मंजूरी जरूरी होगी. एक अगस्‍त से यह बदलाव लागू होगा इसका मतलब है कि एजबेस्‍टन में होने वाली पुरुषों के एशेज टेस्‍ट से इसकी शुरुआत होगी.’

2017 से शुरू की थी टेस्टिंग
आईसीसी ने घरेलू स्तर पर इसके परीक्षण के तौर पर इसकी शुरुआत 2017 में की थी, जिसके बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने पुरुष और महिला वनडे और बीबीएल में इस लागू किया. लेकिन शेफील्‍ड शील्ड में इसे लागू करने के लिए उसे आईसीसी की मंजूरी का इंतजार करना पड़ा था, जो उसे मई 2017 में मिली. पिछले कुछ सालों में इस तरह की कई घटनाएं आई हैं जिनमें खिलाड़ी गेंद सिर पर लगने से चोटिल हो गए. ऐसे में कई बार टीमों को कम खिलाड़ियों के साथ रहने को मजबूर होना पड़ा. इसी को ध्‍यान में रखते हुए आईसीसी ने यह फैसला किया है.

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