Bathinda-कैसे होगी कारर्वाई-17 दिसंबर को बाल सुरक्षा आयोग को देनी है सेहत विभाग ने रिपोर्ट पर 14 को टीम ने शुरू की जांच

ब्लड बैंक में चार थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी रक्त चढ़ाने की जांच में लेटलतीफी   -पहले भी ड्रग आथार्टी की तरफ से निकाले नोटिस में तय समय में नहीं हुई जांच पूरी, सात दिन का मांगा समय

बठिंडा. सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक में आए दिन हो रही अनियमियता को लेकर बाल सुरक्षा आयोग पंजाब के चेयरमैन ने 17 दिसंबर तक मुख्य सचिव सेहत विभाग से रिपोर्ट तलब की है। इसमें दो दिन बाद जहां सेहत विभाग ने राज्य सेहत विभाग को रिपोर्ट देनी है वही आयोग की तरफ से मांगी गई जानकारी व स्पष्टीकरण के साथ बनती कारर्वाई के आदेश को लेकर सेहत विभाग अभी भी लकीर पीटने का काम कर रहा है।
इसका खुलासा इस बात से होता है कि दो दिन बाद रिपोर्ट सैपने से पहले आयोग की तरफ से भेजे गए पत्र के 20 दिनों बाद सिविल अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया है। पिछले पांच साल के रिकार्ड की जांच के लिए अस्पताल प्रबंधन ने अब जाकर पांच सदस्यों की टीम गठित की है जबकि पंजाब ड्रग आथार्टी की तरफ से भेजे शोकाज नोटिस का जबाव देने के लिए तय 8 दिसंबर की डेचलाइन के छह दिन बाद भी इस बाबत किसी तरह की जमीनी स्तर पर कारर्वाई नहीं की जा सकी है जबकि विभाग ने आथार्टी से सात दिन का समय फिर से मांग लिया है।
सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक की ओर से एक महिला और चार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव डोनर का खून चढ़ने के मामले में अब तक सात लोगों के खिलाफ कारर्वाई की गई है जिसमें दो लोगों के खिलाफ पुलिस के पास कारर्वाई के लिए कहा गया जबकि चार को निलंबित करने की सिफारिश की गई है। इसमें राज्य बाल सुरक्षा आयोग सिविल अस्पताल की लेटलतीफी व आरोपियों को बचाने के लिए जांच को ढीला करने पर कड़ी नाराजगी जता चुका है वही इसमें आयोग ने सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में लोगों को चढ़ाए गए खून के मद्देनजर पिछले पांच साल में जिन लोगों को खून दिया व रक्तदानियों से जो खून लिया उसकी फिर से सैपलिंग रिपोर्ट लेने व पूरे प्रकरण में संभावित लापरवाही का पता लगाने की हिदायत दी थी।
वही इसमें 17 दिसंबर तक आरोपियों का पता लगाकर उन पर पुलिस के पास एफआईआर दर्ज करवाने की हिदायत दी थी लेकिन सेहत विभाग ने पूर्व की तरह लापरवाही को जारी रखते जांच में लगातार देरी की व रिपोर्ट सैंपने के अंतिम दिनों में टीम गठित करने का फरमान सुनाया।
ब्लड बैंक के पिछले पांच साल की कारगुजारी की जांच करने के लिए सिविल सर्जन डा. अमरीक सिंह संधू ने नई पांच मेंबरी कमेटी बनाई है। यह कमेटी ब्लड बैंक का पिछले पांच साल का रिकार्ड चेक करेगी। कमेटी ये पता लगाएगी कि पिछले पांच साल में ब्लड बैंक की ओर से खून जारी करने व टेस्टिंग में कोई लापरवाही तो नहीं की गई। कमेटी में डा. रविंदर सिंह आहलुवालिया, डा. रिचा गर्ग, एलटी दर्शन सिंह खालसा, फार्मासिस्ट गिरिश व एक और सेहत अधिकारी शामिल है। कमेटी ने सिविल सर्जन के आदेश के बाद जांच शुरू कर दी है।
इस मामले में एक बड़ी लापरवाही यह भी सामने आई है कि मई से लेकर नवंबर तक जिन चार बच्चों और एक महिला को एचआईवी पॉजिटिव डोनर कर खून चढ़ने का मामला सामने आया था, उसमें भी दो मामलों को छोड़कर बाकी दो मामलों में से अक्तूबर वाले केस में कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर अब तक पूर्व एमएलटी बलदेव रोमाणा, एलटी रिचा गोयल पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जबकि पूर्व बीटीओ डा. करिश्मा पर अभी तक कार्रवाई नहीं की गई। जबकि नवंबर के मामले में चंडीगढ़ से दो सदस्यीय की एक अलग टीम जांच के लिए ब्लड बैंक पहुंची थी। इसमें पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा. मनप्रीत छतवाल व पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की बीटीओ डा.सुनिता शामिल थी।
जिनकी रिपोर्ट के अनुसार ब्लड बैंक के चार कर्मचारियों में शामिल गुरदीप सिंह, अजय शर्मा, जगदीप कुमार व गुरदीप सिंह की गलती सामने आने के बाद कमेटी की रिपोर्ट पर सरकार व विभाग द्वारा डिसमिस किया जा चुका है। जब कि दो अन्य मामलों में शिकायत किए जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी है।
सिविल सर्जन डा.अमरीक सिंह संधू की ओर से पिछले पांच साल के ब्लड बैंक के रिकार्ड जांचने के लिए जो कमेटी बनाई है। वही सिविल अस्पताल में करीब 40 थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों का उपचार चल रहा है जिसमें 21 लोगों की एचआईवी जांच की गई जबकि अन्य रहते 19 बच्चों की जांच हुई नहीं है जबकि थेलेसीमिया पीड़ित एसोसिएशन के साथ समाज सेवी संस्था सेहत विभाग से सभी बच्चों की एकसाथ जांच करने की मांग करते रहे हैं ताकि किसी तरह की लापरवाही अगर हुई है तो वह सामने आ सके। वही पिछले 9 माह में जिन लोगों ने ब्लड बैंक में रक्तदान किया व उनकी तरफ से जिन लोगों को रक्तदान किया उनकी भी एचआईवी संबंधी जांच सिविल अस्पताल की तरफ से की जा रही है लेकिन इन लोगों में कितने की रिपोर्ट पोजटिव है इसकी जानकारी विभाग गुप्त रख रहा है जिसे लेकर भी समाजिक संस्थाएं विरोध जता चुकी है।

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