MMS और SMS ने लगाया 3000 करोड़ का चूना, ये है फ्रॉड की पूरी कहानी

आरबीआई ने मार्च 2010 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए 6 जनवरी, 2012 को अपनी जांच रिपोर्ट में पाया कि रेलीगेयर फिनवेस्ट अपने अनुषांगिक/समूह की कंपनियों/अन्य कंपनियों के साथ अधिशेष फंड का एक बड़ा हिस्सा जमा करता था, जिसका इस्तेमाल प्राय: प्रतिभूतियों में पोजिशन लेने के लिए किया जाता था. इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि कॉरपोरेट शासन के सभी नियमों के विपरीत इस अधिशेष फंड को दांव पर लगाया गया.

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मुंबई। धोखाधड़ी की कला में संपत्तियों के भारतीय प्रमोटर माहिर हैं. वर्षों से सिंह बंधु मलविंदर मोहन सिंह (एमएमएस) और शिविंद्र मोहन सिंह (एसएमएस) बचते आ रहे थे. लेकिन हालिया गिरफ्तारी के बाद उनके भाग्य ने उनका साथ छोड़ दिया. सिंह बंधुओं की धोखाधड़ी का आकार बहुत विशाल है.

कंपनी के पूर्व सीईओ सुनिल गोधवानी के साथ दोनों के विरुद्ध हुई एफआईआर को देखने से यह बात सामने आई है कि कोई संपत्ति किस तरह डूबती है, या डूबोई जाती है. इसके बाद यह एक बार फिर से सिद्ध हो गया कि नियामक इस धोखाधड़ी का पता लगाने में विफल रहे और जिस कंपनी की 2010 में जांच हुई थी, वह बिना किसी डर के कई सारी अनियमितताओं के साथ अपने कार्य का संचालन करने में सफल रही.

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आंतरिक जांच से पता चला कि बड़े पैमाने पर रेलीगेयर फिनवेस्ट की खराब वित्तीय हालत महत्वपूर्ण असुरक्षित ऋणों को जानबूझकर नहीं चुकाने की वजह से हुई. इस बाबत खतरे की घंटी बजती रही, लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया.

आरबीआई ने मार्च 2010 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए 6 जनवरी, 2012 को अपनी जांच रिपोर्ट में पाया कि रेलीगेयर फिनवेस्ट अपने अनुषांगिक/समूह की कंपनियों/अन्य कंपनियों के साथ अधिशेष फंड का एक बड़ा हिस्सा जमा करता था, जिसका इस्तेमाल प्राय: प्रतिभूतियों में पोजिशन लेने के लिए किया जाता था. इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि कॉरपोरेट शासन के सभी नियमों के विपरीत इस अधिशेष फंड को दांव पर लगाया गया.

आरबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में आगे पाया कि मूल्यांकन, स्वीकृति, ऋण के उद्देश्य, संवितरण रिपोर्ट, समय पर समीक्षा, सीमा बढ़ाने को लेकर उधारदाताओं की ओर से आग्रह वाले आवदेन, ऋण निगरानी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं थे.

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इससे प्रतीत होता है कि 10 वर्ष की अवधि में, 115 प्रतिष्ठानों को कुल 47,968 करोड़ रुपये की राशि कॉरपोरेट लोन बुक की इसी कार्यप्रणाली के जरिए दी गई. खतरे को उजागर करने वाले आरबीआई से बचने के लिए, त्रैमासिक समीक्षा रिपोर्ट के समय एक्सपोजर का प्रबंध किया गया था, लेकिन वितरण को इसके बाद चालाकी से फिर से बहाल कर दिया गया. ऐसा करके उन्होंने आरबीआई और सार्वजनिक शेयरधारकों से तथ्यों को छिपाया.

इस तरह, सिंह बंधुओं ने साजिश के साथ सुनिल गोधवानी के साथ मिलकर रेलीगेयर फिनवेस्ट पर नियंत्रण रखते हुए फर्जी कंपनियों और एमएमएस और एसएमएस से संबंधित कंपनियों को असुरक्षित, ऊंचे मूल्य के ऋण दिए. एफआईआर दर्ज कराने के समय ये ऋण मूल धन के रूप में कुल 2,397 करोड़ रुपये और ब्याज के रूप में 415 करोड़ रुपये के थे.

रैनबैक्सी के पूर्व सीईओ मलविंदर सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. मलविंदर की गिरफ्तारी लुधियाना से हुई. मलविंदर को 2,300 करोड़ रुपये के हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने इस मामले में पांचवीं गिरफ्तारी की है. इससे पहले उनके भाई और कंपनी के पूर्व सीईओ शिविंदर सिंह को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया.

 

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