गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलियों को उखाड़ने का संकल्प लिया, राज्यों के साथ मिलकर चलेगा अभियान

इस बैठक में मुख्यमंत्री- नीतीश कुमार (बिहार), नवीन पटनायक (ओडिशा), योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश), कमलनाथ (मध्य प्रदेश), रघुबर दास (झारखंड) वाई एस जगनमोहन रेड्डी (आंध्र प्रदेश) और भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़) ने हिस्सा लिया.

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नई दिल्ली: केंद्र और नक्सल प्रभावित राज्यों ने सोमवार को वामपंथी चरमपंथ से संयुक्त रूप से लड़ने का संकल्प जताया. साथ ही केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि माओवादी लोकतंत्र के विचार के खिलाफ हैं और उन्हें उखाड़ फेंका जाएगा. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

शाह के नेतृत्व में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और शीर्ष पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में नक्सलियों के खिलाफ अभियानों और वामपंथ अतिवाद से प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा की गई. इस बैठक में मुख्यमंत्री- नीतीश कुमार (बिहार), नवीन पटनायक (ओडिशा), योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश), कमलनाथ (मध्य प्रदेश), रघुबर दास (झारखंड) वाई एस जगनमोहन रेड्डी (आंध्र प्रदेश) और भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़) ने हिस्सा लिया. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकारों और केंद्र ने संयुक्त रूप से माओवाद के खतरे से निपटने का संकल्प जताया.

बैठक के बाद शाह ने ट्वीट किया, ”वामपंथी चरमपंथ से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बहुत सार्थक बैठक हुई. इन राज्यों में सुरक्षा और विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. वामपंथी चरमपंथ लोकतंत्र के विचार के खिलाफ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम इसे उखाड़ फेंकने के लिये प्रतिबद्ध हैं.”

 

माओवाद से 10 राज्य प्रभावित हैं

अर्धसैनिक बलों और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया. गृह मंत्री का पदभार संभालने के बाद अमित शाह की यह इस तरह की पहली बैठक थी. माओवाद से प्रभावित 10 राज्य- छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं.

 

  • बैठक को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री कुमार ने कहा कि वामपंथी चरमपंथ के खिलाफ केंद्र के साथ राज्यों की संयुक्त जिम्मेदारी है. कुमार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में केंद्रीय बलों की तैनाती का पूरा आर्थिक बोझ संबंधित राज्य सरकारों पर डाल देने की मौजूदा नीति में बदलाव की जरूरत भी बताई.

 

  • छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में माओवाद से निपटने के लिये और केंद्रीय सहायता की मांग की और कहा कि उनकी सरकार विकासपरक नीतियों के साथ ही लोगों को सुरक्षा मुहैया करा उनमें विश्वास पैदा कर इस संकट को खत्म करेगी. उन्होंने सुरक्षा, राज्यों के बीच समन्वय और विकास संबंधित विभिन्न मुद्दे उठाए.

 

  • उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य में नक्सल गतिविधियां पूरी तरह नियंत्रण में हैं और इस खतरे से प्रभावित इलाकों में भी विकास को गति मिली है. आदित्यनाथ ने कहा कि सीमावर्ती राज्यों से सूचनाओं के आदान-प्रदान से राज्य को फायदा हुआ है.

 

  • झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा कि कई प्रमुख नक्सली नेताओं ने नक्सलियों के लिये राज्य की लोकप्रिय आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया और मुख्यधारा में शामिल हुए हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में 2015 और 2019 के बीच 2010 से 2014 की तुलना में नक्सल संबंधी वारदातों में 60 फीसद गिरावट आई है.

 

नक्सल हिंसा में कुल 60.4 फीसदी कमी आई
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, रविशंकर प्रसाद, नरेंद्र सिंह तोमर, अर्जुन मुंडा और महेंद्र नाथ पांडेय भी बाद में बैठक में शामिल हुए और मुख्यमंत्रियों के साथ सड़क, दूरसंचार, कृषि और अन्य मुद्दों पर चर्चा की. गृह मंत्रालय के आकंड़ों के मुताबिक 2009-13 के बीच नक्सल हिंसा के करीब 8,782 मामले सामने आए थे जबकि 2014-18 के बीच 4,969 मामले सामने आए, जो इस हिंसा में 43.4 फीसदी की कमी बताते हैं. मंत्रालय ने बताया कि 2009-13 के बीच सुरक्षा बलों समेत करीब 3,326 लोगों की नक्सली हिंसा में मौत हुई जबकि 2014-18 के बीच 1,321 लोगों की मौत हुई. इसमें कुल 60.4 फीसदी कमी आई.

 

इस साल के शुरुआती पांच महीनों में नक्सल हिंसा के करीब 310 मामलों की खबर आई जिनमें 88 लोग मारे गए. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने पिछले महीने कहा था कि सरकार की दृढ़ नीतियों की वजह से हिंसा में कमी आई है और वामपंथ अतिवाद का भौगोलिक प्रसार भी घटा है. साल 2018 में नक्सली हिंसा की खबरें सिर्फ 60 जिलों में सामने आई. इसमें से दो तिहाई हिंसा सिर्फ 10 जिलों में हुई.

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