UAPA संशोधन बिल पर राज्यसभा में जोरदार बहस, अमित शाह बोले- कांग्रेस ने ही आतंकवाद को धर्म से जोड़ा

अमित शाह ने कहा, ''आतंकवाद वैश्विक समस्या है, दुनिया के कई देशों ने आतंकवाद के खिलाफ अपने अपने कानून बनाए हैं. अमेरिका, पाकिस्तान, चीन, इजरायल, यूरोपियन काउंसिल समेत संयुक्त राष्ट्र भी व्यक्ति को आतंकी घोषित करता है. हमें नहीं इसमें क्या डर है.''

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नई दिल्ली: आतंकवाद पर लगाम लगाने वाले UAPA संशोधन बिल पर राज्यसभा में गरमागरम बहस हुई. NIA के दुरुपयोग के दिग्विजय सिंह के आरोपों पर अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर पलटवार किया. अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने ही आतंकवाद को धर्म से जोड़ा. अमित शाह ने दिग्गविजय सिंह पर तंज करते हुए कहा कि मैं उनका गुस्सा समझ सकता हूं, अभी अभी हार कर आए हैं. वहीं कांग्रेस नेता पी चिंदबरम के सवाल का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि संस्था पर प्रतिबंध लाने से व्यक्ति दूसरी संस्था खोल लेता है. इसलिए व्यक्ति को आतंकी घोषित करना जरूरी है.

अमित शाह ने कहा, ”चिदंबरम जी ने कहा कि जब आप संस्था व्यक्ति से बनती है, तो जब संस्था को प्रतिबंधित कर रहे हैं तो व्यक्ति को क्यों? मेरा तर्क है कि संस्था व्यक्ति से बनती है उसके संविधान से नहीं बनती. एक संस्था पर प्रतिबंध लगाते हैं तो वो दूसरी संस्था खोल लेते हैं. नई संस्था पर प्रतिबंध लगाने के लिए सबूत इकट्ठा करने में दो और साल चले जाते हैं तब तक वो आतंकवाद फैलाते रहते हैं. मैं कहता हूं कि घटना संस्था नहीं करती व्यक्ति करता है, कानून का गलत इस्तेमाल करके व्यक्ति प्रतिबंध के बाद नई नई दुकानें खोल लेता है. हम कब तक प्रतिबंध लगाते रहेंगे, जब तक व्यक्ति को आतंकी घोषित नहीं करते, इनके इरादों पर लगाम लगाना असंभव है.”

अमित शाह ने कहा, ”आतंकवाद वैश्विक समस्या है, दुनिया के कई देशों ने आतंकवाद के खिलाफ अपने अपने कानून बनाए हैं. अमेरिका, पाकिस्तान, चीन, इजरायल, यूरोपियन काउंसिल समेत संयुक्त राष्ट्र भी व्यक्ति को आतंकी घोषित करता है. हमें नहीं इसमें क्या डर है.”

अमित शाह ने कहा, ”दुरुपयोग की बात कांग्रेस के मित्र ना करें तो अच्छा है. क्योंकि कांग्रेस का इतिहास है कि उसे बताऊंगा तो सात तारीख तक मेरा भाषण चलेगा लेकिन बता नहीं पाऊंगा. इनको मैं आपातकाल की याद नहीं दिलाना चाहता. देश के सभी अखबारों पर ताले, दूरदर्शन सरकार का सारेगामा गाता था. सारे नेता जेल के अंदर थे. 19 महीने तक देश में कोई लोकतंत्र नहीं था. कांग्रेस ने दुरुपयोग देश के खतरे के लिए नहीं किया था, इलाहबादस हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को उनका इलेक्शन रद्द कर पीएम ना रहने के लिए बाध्य किया था, इसलिए किया था.”

अमित शाह ने दिग्विजय सिंह के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आपको सुनना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा, ”दिग्विजय का गुस्सा मैं समझ सकता हूं, अभी अभी हार के आए हैं. उन्होंने कहा कि एनआईए के तीन केस के अंदर सजा नहीं हुई, मैं बताता हूं कि इन तीनों मामलों में राजनीतिक प्रतिषोध के आधार पर आतंकवाद से जोड़ने का प्रयास किया गया. समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में दूसरे आरोपी पकड़े गए, बाद में अचानक लगा कि चुनाव साथ में आ रहा है तो लगा कि कुछ संस्थाओं पर आरोप लगाने हैं. धर्म विशेष पर आरोप लगाने हैं, आतंकवाद को कलर से पेंट करना है. इसलिए समझौता एक्सप्रेस आरोपियों को छोड़ा और नकली मामला बनाकर समझौता एक्सप्रेस के आरोपियों को पकड़ने का काम किया. एनआईए कोई सबूत अदालत में नहीं रख सकी.

अमित शाह ने कहा, ”व्यक्ति को आतंकवादी क्यों घोषित करना चाहिए, इसे मैं एक उदाहरण के साथ बताता हूं. इंडियन मुजाहिद्दीन आतंकी यासिन भटकल साल 2009 से कई मामलों में वॉन्टेड था. इसके बाद कलकत्ता पुलिस ने उसे पकड़ा, पुलिस के पास उसका कोई रिकॉर्ड था नहीं इसलिए वो निकल गया. अगर 2009 में यासिन भटकल को आतंकी घोषित कर दिया होता तो देश के सभी पुलिस स्टेशन में उसका फोटो, तस्वीर और फिंगरप्रिंट होता.”

अमित शाह ने कहा, ”होना तो यह चाहिए था कि सदन के अंदर एकमत होता तो देश के अंदर एक अचअछा मैसेज जाने की संभावना थी. विपक्ष ने इस बिल पर दो आंकड़े मिक्स करके सदन के सामने रखे हैं. ये एक्ट राज्य भी इस्तेमाल कर सकते हैं और केंद्र की एजेंसी एनआईए भी इस्तेमाल कर सकती है. विपक्ष ने जो आंकड़े दिए उसमें राज्यों के आंकड़े भी हैं और एनआईए के आंकड़े भी हैं. मैं दोनों के आंकड़े अलग अलग रखना चाहता हूं. 31 जुलाई 2019 तक एनआईए ने कुल 278 मामले इस कानून के अंतर्गत दर्ज किए, इनमें 204 मामलों में चार्जशीट दायर की गई. कुल 54 मामलों में फैसला आया है और 48 मामले में सजा हुआ. इसमें सजा की दर 91% है, ये दुनियाभर में सबसे ज्यादा है.”

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