जानें- जम्मू-कश्मीर का इतिहास, कैसे राजा हरि सिंह ने घुटने टेके और इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर किए

आजादी के बाद से ही जम्मू-कश्मीर का मुद्दा इस कदर पेचीदा होता चला आया है, जिसमें साल-दर-साल मुश्किलों की गिरहें पड़ती गईं.

0 911,317

 

नई दिल्ली: जब 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ तो देश को राष्ट्र बनने में कई रोड़े थे. आज हम जिस चारदीवारी के भीतर जी रहे हैं, 1947 में सीमा की लकीरें ऐसी नहीं थी, बल्कि शुरुआती सालों में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले. भारत की आजादी के वक़्त आज की सीमा में 565 प्रिसंली स्टेट थे, जिनमें शुरुआती ना-नुकर के बाद सभी ने भारत के साथ विलय का एलान किया, लेकिन तीन प्रिसंली स्टेट- जम्मू और कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद ने इनकार का बिगुल फूंक दिया. जूनागढ़ और हैदराबाद से निपट लिया गया और वे भारत का हिस्सा बन गए, लेकिन जम्मू-कश्मीर का मसला उलझ गया.

 

 

86,024 वर्ग मील के कुल क्षेत्रफल वाले भारत के पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को ‘धरती पर स्वर्ग’ के रूप में बताया जाता है. दुर्भाग्य से यह 1947 में विभाजन के बाद भी भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुतापूर्ण संबंधों का कारण रहा है. भारत के इस उत्तरी राज्य में एक हिंदू महाराजा, हरि सिंह की हुकूमत थी मगर यहां की आबादी में ज्यादातर हिस्सा मुसलमानों का था.

Image result for kashmir issue pt.jawaharlal nehru

 

महाराजा हरि सिंह ने 15 अगस्त, 1947 से पहले ‘स्टैंड स्टिल’ (भारत या पाकिस्तान किसी का हिस्सा नहीं बनने) रहने का एलान किया. भारत ने ऐसी कोई अस्थायी व्यवस्था स्वीकार नहीं की. महाराजा अपने राज्य को एक स्वतंत्र देश घोषित करने की योजना बना रहे थे. हालांकि, पाकिस्तान ने भी कश्मीर पर दबाव बनाना शुरू कर दिया, और इस इलाके को हथियाने के लिए कबीलाइयों को आगे बढ़ने का आदेश दे दिया. सूबे में उत्पात मचाते हुए कबीलाइयों ने बिजली, सड़क और बुनियादी जरूरतों को तहस-नहस कर जम्मू-कश्मीर में खलल पैदा कर दी.

Image result for kasmir issue p.jawahar lal nehra

साल 1947 में चार दिन के लिए लॉर्ड लुई माउंटबेटन ने कश्मीर को दौरा किया, इस दौरे के दौरान माउंबेटन ने हरि सिंह से भारत या फिर पाकिस्तान में से किसी एक खेमे को चुनने के लिए कहा. मगर महाराजा उनकी किसी भी बातों का पालन नहीं करना चाहते थे. जब माउंबेटन वापस दिल्ली के लिए रवाना हो रहे थे तो हरि सिंह उन्हें छोड़ने एयरपोर्ट भी नहीं गए. महाराजा ने यह कह भिजवाया कि उनकी तबीयत नासाज है, मगर माउंबेटन को यह अहसास हो गया कि हरि सिंह उन्हें नजरअंदाज़ कर रहे हैं.

 

सरदार बल्लभ भाई पटेल, जो उस दौरान भारत के गृहमंत्री थे, ने भी माउंटबेट से यह सहमती जताई थी कि यदि जम्मू और कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा होता है तो उन्हें किसी भी तरह का ऐतराज नहीं होगा. मगर हरि सिंह की कश्मीर के प्रति महत्वकांक्षा और किसी भी तरह का कोई निर्णय नहीं लेने की स्थिति भारत और पाकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय विवाद का कारण बनता जा रही थी.

 

How was Kashmir merged in India 72 years ago? here is the complete story | भारत में कश्मीर का विलय कैसे हुआ था? जानिए 72 साल पहले की पूरी कहानी

 

उधर हमले से पहले भी पाकिस्तान के आला कमानों ने भी कश्मीर का दौरा किया था और हरि सिंह को अपने साथ मिलाने के कई प्रलोभन दिए, मगर महाराजा ने उन्हें सिरे से खारिज कर दिया. अपनी मुलाकात के विफल होने अंजाम में पाकिस्तान ने नॉर्थ-वेस्ट फ्रॉन्टियर प्रॉविंस से 22 अक्टूबर, 1947 को विद्रोह शुरू कर दिया. अच्छी तरह से प्रशिक्षित और हथियारों से लैस कबिलाइयों ने पांच दिनों की बहुत छोटी अवधि में श्रीनगर से महज 25 मील दूर बारामुला तक अपनी पैठ कर ली. इस कार्रवाई से घबरा कर महाराजा हरि सिंह ने भारत के पक्ष में विलय पत्र (इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन) पर हस्ताक्षर कर दिए. महाराजा ने भारत से गुहार की कि वे तत्काल प्रभाव में सेना भेजें और जम्मू-कश्मीर हो में रहे कत्लो-गारत को रोकें. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि उनके पास सिर्फ दो विकल्प थे- या तो वे सूबे में इसी तरह कत्ले-आम होने देते या फिर भारत का हिस्सा बन जाते.

हरि सिंह के इस निर्णय के बाद भारतीय सेना ने 27 अक्टूबर, 1947 को कबीलाइयों पर कार्रवाई करने निर्णय लिया. सूबे में शांति बहाल करने के लिए सेना को एयरलिफ्ट किया गया. उधर पाकिस्तान ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा होने जा रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने कहा कि, “भारत का कश्मीर कर पर कब्जा करना एक धोखाधड़ी है. ये न सिर्फ कश्मीर बल्कि वहां के लोगों पर जुल्म है, जिसे वहां की कायर सरकार ने हुकूमते हिंदुस्तान की मदद से ऐसा अंजाम दिया है.”

Related image

उधर भारतीय सेना तेजी से आगे बढ़ी जिसकी वजह से कबिलाई आक्रमणकारी पीछे हटने लगे, लेकिन उन्हें पाकिस्तान से मदद और आपूर्ति मिल रही थी, इसलिए भारतीय सेना की सफलता की गति धीमी थी. भारत, पाकिस्तान के साथ खुला युद्ध नहीं चाहता था. सेना ने कबिलाइयों पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें खदेड़ा. हालांकि, मुजफ्फराबाद का इलाका पाकिस्तान के कब्जे में चला गया. जिस पर पाकिस्तान अपना दावा करता है.

Image result for kasmir issue p.jawahar lal nehra

जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच झगड़ा बढ़ा तो नेहरू संयुक्त राष्ट्र में चले गए. तब संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने जम्मू-कश्मीर को विवादित इलाका करार दे दिया. तब संयुक्त राष्ट्र ने जम्मू-कश्मीर के तकदीर के फैसले के लिए जनमत सर्वेक्षण कराए जाने की बात कही. संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए ये भी शर्त रखी कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर से अपनी सेना हटाए, जबकि भारत अपनी सेना कम करे. दोनों में से किसी भी देश ने न अपनी सेना हटाई, न कम की. इस बीच सूबे में शेख अब्दुल्लाह के उभार के साथ भारत ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली. हालांकि, उस वक़्त के हालात में भारत ने धारा 370 और 35ए जैसे अनुछेद के जरिए विशेष राज्य का दर्जा दिया.

  • सौजन्य-ABP News

Leave A Reply

Your email address will not be published.