संसद में फोन टेपिंग पर बवाल:विपक्ष ने फोन टेपिंग की स्वतंत्र जांच की मांग की; सरकार बोली- लीक डेटा का जासूसी से लेना-देना नहीं, यह लोकतंत्र को बदनाम करने की साजिश

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नई दिल्ली। इजराइली कंपनी के पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए फोन टेपिंग की रिपोर्ट पर सोमवार को संसद में जमकर बवाल हुआ। कांग्रेस ने पत्रकारों समेत दूसरी हस्तियों के फोन टेपिंग की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की। सरकार ने इसे खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट में लीक हुए डेटा का जासूसी से कोई लेना-देना नहीं है। 16 मीडिया समूहों की साझा पड़ताल के बाद जारी इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए सरकार पत्रकारों समेत जानी-मानी हस्तियों की जासूसी करा रही है।

संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘रविवार की रात को एक वेब पोर्टल ने बेहद सनसनीखेज स्टोरी पब्लिश की। इसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के एक दिन पहले इस स्टोरी को लाया गया। यह सब संयोग नहीं हो सकता। पहले भी वॉट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे। उन रिपोर्ट्स में भी कोई फैक्ट नहीं थे और उन्हें सभी ने नकार दिया था। 18 जुलाई को छपी रिपोर्ट भारत के लोकतंत्र और उसके संस्थानों की छवि खराब करने की कोशिश दिखाई देती है।’

जासूसी और अवैध निगरानी के खिलाफ सख्त कानून
वैष्णव ने कहा, ‘जासूसी और अवैध निगरानी के खिलाफ हमारे देश में सख्त कानून हैं। देश के अंदर प्रक्रिया के तहत ऐसा करने की व्यवस्था है। राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर किसी इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन को सर्विलांस करते समय नियम-कानून का पूरी तरह से पालन किया जाता है। भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 की धारा 5 (2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट किया जा सकता है, लेकिन ऐसा तब ही किया जाता है, जब कोई सक्षम अधिकारी इसका अनुमोदन करता है।’

संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि किस फोन की कब निगरानी की जा रही थी या कब उसकी हैकिंग की कोशिश हुई।
संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि किस फोन की कब निगरानी की जा रही थी या कब उसकी हैकिंग की कोशिश हुई।

अश्विनी ने कहा कि उन लोगों को दोष नहीं दिया जा सकता, जिन्होंने वह मीडिया रिपोर्ट विस्तार से नहीं पढ़ी। सदन के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे तथ्य और तर्क के आधार पर इस मुद्दे पर चर्चा करें। रिपोर्ट एक कंसोर्टियम (समूह) को आधार बनाकर पब्लिश की गई है। इस ग्रुप की पहुंच लीक हुए 50,000 फोन नंबरों के डेटाबेस तक है। रिपोर्ट में ये तो कहा गया है कि फोन नंबर के जरिए कई लोगों की जासूसी की जा रही थी, लेकिन ये नहीं बताया गया कि किस समय फोन की पेगासस के जरिए निगरानी की गई या कब हैकिंग की कोशिश हुई। इस मामले को तर्क के चश्मे से देखने पर पता चलता है कि इसका कोई आधार नहीं है।

 

16 मीडिया समूहों की रिपोर्ट में था फोन टेपिंग का दावा
रविवार रात को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मंत्रियों, विपक्ष के नेताओं, पत्रकारों, लीगल कम्युनिटी, कारोबारियों, सरकारी अफसरों, वैज्ञानिकों, एक्टिविस्ट समेत करीब 300 लोगों की जासूसी की गई है। द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से करीब 40 पत्रकार हैं। इन पर फोन के जरिए निगरानी रखी जा रही थी। वॉशिंगटन पोस्ट और द गार्जियन के अनुसार 3 प्रमुख विपक्षी नेताओं, 2 मंत्रियों और एक जज की भी जासूसी की पुष्ट हो चुकी है, हालांकि इनके नाम नहीं बताए हैं। इस जासूसी के लिए इजराइल के पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल किया गया था।

रविवार रात को जारी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में इजराइली सॉफ्टवेयर से पत्रकारों समेत जानी-मानी हस्तियों के फोन टेप किए गए हैं।
रविवार रात को जारी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में इजराइली सॉफ्टवेयर से पत्रकारों समेत जानी-मानी हस्तियों के फोन टेप किए गए हैं।

16 मीडिया समूहों की साझा पड़ताल के बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनियाभर में 180 से ज्यादा रिपोर्टरों और संपादकों की पहचान की गई है, जिन्हें सरकारों ने निगरानी सूची में रखा है। इन देशों में भारत भी शामिल है, जहां सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने वाले पत्रकार निगरानी के दायरे में थे।

पेगासस ने मीडिया रिपोर्ट को गलत करार दिया था
पेगासस की पेरेंट कंपनी NSO ग्रुप ने फोन हैकिंग पर रविवार को जारी की गई रिपोर्ट को गलत बताया है। NSO के बयान में कहा गया, ‘रिपोर्ट गलत अनुमानों और अपुष्ट थ्योरी से भरी हुई है। यह रिपोर्ट ठोस तथ्यों पर आधारित नहीं है। रिपोर्ट में दिया गया ब्योरा हकीकत से परे है।’ वहीं, दुनियाभर के पत्रकारों की जासूसी कराने की लिस्ट को लेकर भी कंपनी ने कहा, ‘पेगासस इस्तेमाल करने वाले देशों की लिस्ट पूरी तरह गलत है। इनमें से कई तो पेगासस के क्लाइंट्स भी नहीं हैं।’

इजराइल का पेगासस सॉफ्टवेयर ऐसे काम करता है
पेगासस के जरिए जिस व्यक्ति को टारगेट करना हो, उसके फोन पर एसएमएस, वॉट्सएप, आई मैसेज (आईफोन पर) या किसी अन्य माध्यम से एक लिंक भेजा जाता है। यह लिंक ऐसे संदेश के साथ भेजा जाता है कि टारगेट उस पर एक बार क्लिक करे। सिर्फ एक क्लिक से स्पायवेयर फोन में एक्टिव हो जाता है। एक बार एक्टिव होने के बाद यह फोन के एसएमएस, ईमेल, वॉट्सएप चैट, कॉन्टैक्ट बुक, जीपीएस डेटा, फोटो व वीडियो लाइब्रेरी, कैलेंडर हर चीज में सेंध लगा लेता है।

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