CBSE 12वीं का रिजल्ट:बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- हालात सुधरे तो अगस्त-सितंबर के बीच हो सकते हैं ऑप्शनल एग्जाम; रिजल्ट से जुड़े विवाद के लिए पैनल बनाएंगे

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 12वीं कक्षा के रिजल्ट पर CBSE बोर्ड के फॉर्मूले पर सुनवाई हुई। इस दौरान बोर्ड ने कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया। बोर्ड ने बताया कि 31 जुलाई को नतीजे घोषित किए जाएंगे। रिजल्ट से जुड़े विवाद को सुलझाने के लिए पैनल बनाया जाएगा। ऑप्शनल एग्जाम के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की जाएगी। अगर हालात सुधरे, तो एग्जाम 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच कराए जा सकते हैं। ऑप्शनल एग्जाम में प्राप्त अंकों को ही फाइनल माना जाएगा।

CBSE का फॉर्मूला

  • 10वीं के 5 सब्जेक्ट में से जिन 3 में छात्र ने सबसे ज्यादा स्कोर किया होगा, उन्हीं को रिजल्ट तैयार करने के लिए चुना जाएगा।
  • 11वीं के पांचों विषयों और 12वीं कक्षा के यूनिट, टर्म या प्रैक्टिकल में प्राप्त अंकों को रिजल्ट का आधार बनाया जाएगा।
  • 10वीं और 11वीं के नंबर को 30-30% और 12वीं के नंबर को 40% वेटेज दिया जाएगा।
  • जो बच्चे परीक्षा देना चाहते हैं, उनके लिए हालात सामान्य होने पर अलग परीक्षा की व्यवस्था की जाएगी।

सरकार का तर्क- एक्सपर्ट्स कमेटी के साथ डिजाइन किया फॉर्मूला
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि 1929 से CBSE अपनी सेवाएं दे रही है। इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। इस फॉर्मूले को हमने एक्सपर्ट्स कमेटी के साथ डिजाइन किया है। 10वीं कक्षा के बोर्ड एग्जाम और सब्जेक्ट 11वीं और 12वीं से अलग होते हैं, इसलिए हमने पिछले 3 साल 10वीं, 11वीं और 12वीं को आधार बनाया है।

30:30:40 फॉर्मूला पर पैनल के 3 तर्क
1. 
पैनल के सदस्य ने कहा कि हमने केंद्र की तरफ से संचालित नवोदय विद्यालयों, CBSE, इससे जुड़े स्कूलों और अन्य स्कूलों से चर्चा की है। इसमें सामने आया कि इस बार जो 12वीं का बैच है, वो पूरी तरह ऑनलाइन चला है। ऐसे में बहुत अनिश्चितता है। क्लासेज सामान्य स्थितियों में नहीं चली हैं और असेसमेंट भी पूरी तरह नहीं हो पाया है।

2. ऐसे में पैनल का केवल 12वीं के असेसमेंट के आधार पर रिजल्ट तैयार करना उचित नहीं। हमें सामान्य स्थितियों में छात्रों द्वारा दी गई परफॉर्मेंस को आंकना होगा। ऐसे में 10वीं की परफॉर्मेंस बहुत अहम हो जाती है। ये सबसे विश्वसनीय डेटा है, जो CBSE ने अपने एग्जामिनेशन सेंटर्स पर लिया है और इसका मूल्यांकन बाहर किया गया है। इसी तरह 11वीं के एग्जाम भी लॉकडाउन के पहले ही हो गए थे। ये सभी परीक्षाएं अलग-अलग स्थितियों में हुई हैं।

3. कमेटी 12वीं को ज्यादा तरजीह देने के बारे में सोच रही है। पर अगर ओवरऑल बात की जाए, तो 10वीं-11वीं को 30-30% और 12वीं को 40% वेटेज दिए जाने पर सहमति बनी है। हालांकि कुछ सदस्य 10वीं और 11वीं को ज्यादा वेटेज देने की बात भी कर रहे हैं। कुछ स्कूल भी इसी पक्ष में हैं।

28 जून तक नंबर अपलोड करने हैं
सूत्रों के मुताबिक CBSE से जुड़े स्कूलों के प्रिंसिपल्स ने कमेटी को बताया है कि वे 10वीं, 11वीं और 12वीं के 2020-21 में लिए गए टेस्ट और एग्जाम के नंबर देने की स्थिति में हैं। मुंबई के स्कूलों में पिछले साल कोई भी ऑफलाइन टेस्ट और प्रैक्टिकल नहीं हो पाया है और कोई फिजिकल क्लास भी नहीं चली है। जो स्कूल प्रैक्टिकल नहीं ले पाए हैं, उन्हें ऑनलाइन प्रैक्टिकल और ओरल टेस्ट की मंजूरी दी गई है। इसके अलावा 12वीं के इंटरनल असेसमेंट के नंबर भी 28 जून तक CBSE के सिस्टम पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं।

PM ने 1 जून को परीक्षा रद्द की थी
इससे पहले कोरोना महामारी के बीच केंद्र सरकार ने 1 जून को देशभर में 12वीं बोर्ड के एग्जाम कैंसिल कर दिए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा रद्द करने की घोषणा के साथ कहा था कि 12वीं का रिजल्ट तय समय सीमा के भीतर और तार्किक आधार पर तैयार किया जाएगा। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर स्टूडेंट्स का असेसमेंट किस आधार पर होगा।

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