देश में 10 करोड़ लोगों ने नहीं लगवाया कोरोना का दूसरा टीका; क्या ऐसे लोगों को तीन टीके लगवाने पड़ेंगे?

नई दिल्ली। देश में 10 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने तारीख निकलने के बाद भी वैक्सीन का सेकेंड डोज नहीं लिया है। हमारे लिए ये चिंता की बात है। केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे लोगों की जानकारी निकाल कर जल्द से जल्द सेकेंड डोज देने को कहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसे लोग वैक्सीनेशन कवरेज में बड़ी बाधा बन सकते हैं और इसका असर हर्ड इम्यूनिटी पर भी पड़ सकता है।

आइए समझते हैं, कहां-कितने लोग सेकेंड डोज मिस कर चुके हैं? देश में अभी वैक्सीनेशन कवरेज का क्या हाल है? सेकेंड डोज लेना कितना जरूरी है? क्या वैक्सीन का एक डोज ही आपको कोरोना से बचा सकता है? और सेकेंड डोज मिस होने के कितने दिन बाद आप दोबारा डोज लगवा सकते हैं…

सबसे पहले जानिए सेकेंड डोज नहीं लगवाने वाले लोगों का आंकड़ा

डेटा के मुताबिक, 17 राज्यों के कुल 10.34 करोड़ लोगों ने सेकेंड डोज नहीं लगवाया है। यानी, सेकेंड डोज लगवाने की तारीख निकल जाने के बावजूद डोज नहीं लिया। भारत में कोवीशील्ड के दो डोज के बीच की गैप 12-16 हफ्ते है। वहीं, कोवैक्सिन के दो डोज को 4-6 हफ्ते के गैप में लगाया जाता है।

10.34 करोड़ में से 3.92 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके सेकेंड डोज की डेट निकले 6 हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं। 1.57 करोड़ ऐसे हैं, जिनका डोज मिस हुए 4-6 हफ्ते हो गए हैं और करीब 1.50 करोड़ ऐसे हैं, जिनका डोज मिस हुए 2-4 हफ्ते हो गए हैं।

किस राज्य में कितने लोगों ने नहीं लगवाया सेकेंड डोज?

सेकेंड डोज मिस कर चुके लोगों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हैं। सेकेंड डोज मिस कर चुके कुल लोगों में 35% लोग इन तीन राज्यों से हैं।

वैक्सीन के दोनों डोज लेना कितना जरूरी है?

महामारी एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक, हमें याद रखना होगा कि वैक्सीन पूरी तरह तभी इफेक्टिव होती है, जब उसके दोनों डोज लिए जाएं। साथ ही वैक्सीन का जो पहला डोज होता है, वो शरीर को एंटीबॉडी बनाने के लिए तैयार करता है। दूसरा डोज शरीर में पर्याप्त संख्या में एंटीबॉडी बनाता है, जो लंबे समय तक शरीर में रहती है। इसलिए वैक्सीन का एक डोज काफी नहीं है। जब तक आप फुली वैक्सीनेट नहीं हो जाते, तब तक आपको पूरी तरह प्रोटेक्शन नहीं मिलता है। इसलिए बेहद जरूरी है कि आप वैक्सीन के दोनों डोज लें।

क्या वैक्सीन का एक डोज पर्याप्त इम्यूनिटी प्रोवाइड करता है?

ज्यादातर वैक्सीन का सिंगल डोज एफिकेसी टेस्ट नहीं हुआ है। यानी उनका एक डोज कितना कारगर है इसको लेकर कोई टेस्ट नहीं किए गए हैं। इसलिए हम नहीं जानते कि वैक्सीन का एक डोज कितना इफेक्टिव है। हालांकि कोवीशील्ड के सिंगल डोज को लेकर की गई एक स्टडी में पता लगा है कि कोवीशील्ड का सिंगल डोज थोड़ा प्रोटेक्शन जरूर प्रोवाइड करता है, लेकिन उसका असर बहुत जल्दी खत्म हो जाता है। इसलिए वैक्सीन के दोनों डोज लेने से ही आपको पर्याप्त इम्यूनिटी मिल सकती है।

जिनका दूसरा डोज मिस हुए ज्यादा समय हो गया, क्या उन्हें दोबारा पहला डोज लेना होगा?

नहीं। ऐसे लोगों को दोबारा पहला डोज नहीं लेना होगा। जब भी मौका मिले, तब आप दूसरा डोज ले सकते हैं।

डोज मिस होने से एंटीबॉडी कम हो जाएगी, क्या ऐसे लोगों को बूस्टर डोज (तीसरा टीका) दिया जाएगा?

बूस्टर डोज (तीसरे टीके) की बात वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर की जाती है। अभी फिलहाल जो वैक्सीन उपलब्ध हैं, उनमें से कुछ वैक्सीन पर रिसर्च की गई है। इन रिसर्च में सामने आया है कि समय के साथ एंटीबॉडी कम होती चली जाती है, लेकिन टीकाकरण का हमारा उद्देश्य है कि गंभीर बीमारी, हॉस्पिटलाइजेशन और मौत से लोगों का बचाव करना। भले ही हमारे शरीर में एंटीबॉडी कम हो, लेकिन वो फिर भी हमें कोरोना की वजह से गंभीर बीमारी, हॉस्पिटलाइजेशन और मौत से बचाने में कारगर है। इसलिए फिलहाल बूस्टर डोज रिकमेंड नहीं किया जा रहा, लेकिन हो सकता है कि आने वाले समय बूस्टर डोज की जरूरत पड़े। फिलहाल तो हमारी प्राथमिकता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीनेट हों।

अगर आप वैक्सीन का केवल एक ही डोज लें, तो क्या होगा?

कुछ वैक्सीन जैसे कि कोवैक्सिन में सिंगल डोज से कोई प्रोटेक्शन नहीं मिलता। अगर आप दूसरा डोज नहीं लगवाते हैं, तो लगभग आप अनवैक्सीनेटेड लोगों के बराबर ही हैं। यानी, आपके एक डोज लगवाने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए दूसरा डोज लगवाना बेहद जरूरी है। अगर आपने वैक्सीन का केवल एक ही डोज लिया तो हो सकता कि आपमें अनवैक्सीनेटेड लोगों के मुकाबले बेहतर एंटीबॉडी हो, लेकिन एंटीबॉडी लेवल में अंतर ज्यादा नहीं होगा। 5 से 6 महीने बाद आपका एंटीबॉडी लेवल अनवैक्सीनेटेड लोगों के बराबर हो जाएगा।

क्या इससे तीसरी लहर का खतरा बढ़ सकता है?

वैक्सीन की भूमिका इन्फेक्टेड लोगों की गंभीर बीमारी, हॉस्पिटलाइजेशन और मौतों से बचाने की है। वैक्सीन संक्रमण से नहीं बचाती है। इसलिए तीसरी लहर से बचने के लिए वैक्सीनेशन के साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का बेहतर तरीके से पालन करना भी जरूरी है। साथ ही याद रखना होगा कि अगर तीसरी लहर आती है तो अनवैक्सीनेटेड लोगों में गंभीर बीमारी का खतरा ज्यादा होगा। वहीं, वैक्सीनेटेड लोगों को ये खतरा कम होगा।

साथ ही आप बिल्कुल ये मत सोचिए कि कोरोना खत्म हो गया है। अगर आपने अभी तक एक भी डोज नहीं लिया है या आपको सेकेंड डोज लेना बाकी है तो जल्द से जल्द खुद को पूरी तरह वैक्सीनेट कीजिए। साथ ही अनवैक्सीनेटेड लोगों को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित कीजिए।

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