बठिंडा, 29 मई (लता श्रीवास्तव). रविवार को बठिंडा में हार्ट फेल्योर कॉन्क्लेव 2022 का आयोजन जिंदल हार्ट इंस्टीट्यूट बठिंडा के निदेशक डॉ. राजेश कुमार जिंदल द्वारा किया गया। इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के हृदय रोग विशेषज्ञों और पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लगभग 200 चिकित्सकों ने भाग लिया। बैठक में हृदय गति रुकने के कारणों, हृदय गति रुकने के चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रबंधन में नवीनतम प्रगति पर चर्चा की गई। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता डॉ. डी.के.सिंह ने की।
इस दौरान डॉ. टी.एस. कलेर, निदेशक कार्डियोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली डॉ. एच.के बाली, डॉ. कार्तिकेय भार्गव, डॉ. देवेंद्र नेगी, डॉ. भूपिंदर सिंह, डॉ. हरप्रीत गिल्होत्रा ने भी हार्ट फेल्योर के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। यह पूरी तरह से रोमांचित करने वाला और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था जो आने वाले वर्षों में हृदय गति रुकने के उपचार में क्रांति लाने में एक लंबा सफर तय करेगा। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि दुनिया के हृदय रोगियों में 16 प्रतिशत भारतीय हैं। इसमें भी भारत में विदेशियों से 20 साल पहले हार्ट फेल्योर और कार्डियो वेस्कुलर डिजीज देखने को मिल रहे हैं। इसका सही उपचार न होने से मौत हो रही हैं। यहां तक कि इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज होने पर मरीजों की मौत रिपोर्ट की जा रही है।
जबकि विदेशों में यह कम है। नार्दन कार्डियोलाजी नेटवर्क की अगुआई में करवाएं गए पहले हार्ट फेल्योर कान्क्लेव-2022 में पहुंचे विभिन्न शहरों से हृदय रोग विशेषज्ञों ने हार्ट फेल्योर और सीवीडी के बढ़ते कारण और मैनेजमेंट पर की चर्चा के दौरान हुआ। आर्गेनाइजेशन सचिव डा. राजेश कुमार जिंदल, सहायक आर्गेनाइजेशन सचिव डा. रकिदर सिंह की अगुआई में हुए इस कार्यक्रम मे 100 से ज्यादा डाक्टर शामिल हुए और अपने विचार पेश किए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर एम्स के डायरेक्टर डा. डीके सिंह और विशेष अतिथि के तौर पर डिप्टी कमिश्नर शौकत अहमद परे ने शिरकत की। इस कार्यक्रम में विशेष तौर पर पहुंचे डा. दविदर सिंह वाशिष्ट, डा. पवन सूरी, डा. हरप्रीत सिंह गल्होत्रा, डा. एचके बाली, डा. भूपिदर सिंह, डा. सुधीर वर्मा, डा. कीर्तिका भार्गव, डा. माहीप्रीत सोनी, डा. टीएस केलर व डा. प्रवीन अग्रवाल आदि ने बताया कि आने वाले समय में भारत में कार्डियो वेस्कुलर डिजीज से होने वाली मौत चिता का विषय होगी।
इसकी रोकथाम संभव है। हार्ट फेल्योर भारत में 53 साल की उम्र में देखने को मिल रहा है। अमेरिका सहित कई देशों में हार्ट फेल्योर के केस 73 साल की उम्र पर रिपोर्ट हो रहे हैं। यही उम्र व्यक्ति की कमाने की होती है। इस दौरान उसे बीमारी हो जाए तो पूरा परिवार बिखर जाता है।
इससे बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव के साथ ही हाई ब्लड प्रेशर का मैनेजमेंट भी जरूरी है। इस दौरान हार्ट फेल्योर के मैनेजमेंट में नई और पुरानी दवाओं पर स्टडी पेश की। हृदय रोग विशेषज्ञों ने हार्ट फेल्यर और सीवीडी के केस में डिफिबिलेटर सहित अन्य उपकरणों के इस्तेमाल पर चर्चा की।
उन्होंने बताया कि करीब 50 प्रतिशत हार्ट फेल्योर और सीवीडी के मरीज में कोई लक्षण नहीं होते हैं, उन्हें चेस्ट पेन की भी शिकायत नहीं होती है। भारत में लगभग 3-5 मिलियन लोगों को हार्ट फेल्योर डाइग्नोज किया गया है।
ऐसे लोगों में लगभग 50 फीसदी का जीवन लगभग 5 वर्ष तक ही हो सकता है। भारत में हार्ट फेल्योर के मुख्य कारण कारनरी आर्टरी डिजीज, वाल्व्यूलर हार्ट डिजीज और डायबिटीज है। हार्ट फेल्योर में हार्ट ट्रांसप्लांट मददगार हो सकता है, लेकिन भारत में अंगदान का प्रतिशत मात्र .05 और यूरोपियन देशों में 1.5 है। इस मौके पर आर्गेनाइजेशन चेयरपर्सन डा. वितुल कुमार गुप्ता, डा. नरेश गोयल, डा. रोहित मोदी, डा. सोनू शर्मा, डा. जीएस गिल, डा. शरद गुप्ता, डा. राजीव गर्ग, डा आशीश कांसल व सूरज कुमार उपस्थित थे। उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में डा. रजनी जिंदल के अलावा नितेम कुमार, एमआर पंकज,, अवनूर कौर, राजवीर, जसकरण, राम कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हार्ट फेल्योर कॉन्क्लेव 2022-हार्ट फेल्योर पर नवीनतम तकनीक की जानकारियां की सांझा
हार्ट फेल्योर कॉन्क्लेव 2022 का आयोजन जिंदल हार्ट इंस्टीट्यूट बठिंडा के निदेशक डॉ. राजेश कुमार जिंदल द्वारा किया
Hari Dutt Joshi/ Chief Editor
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