किसान आंदोलन में अब तक 54 मौतें:सिंघु और टीकरी पर 4 और किसानों की जान गई; एक की उम्र महज 18 साल थी
जानकारी के मुताबिक, बहादुरगढ़ के करीब टीकरी बॉर्डर पर धरना दे रहे बठिंडा के 18 साल के जश्नप्रीत सिंह की शनिवार देर रात अचानक तबीयत बिगड़ गई। उसे सिविल अस्पताल और फिर PGI ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हरियाणा के जींद के जगबीर का शव ट्राली में मिला। वो भी टीकरी बॉर्डर पर ही धरना दे रहे थे। उनकी उम्र 66 साल थी।
नई दिल्ली। किसान कृषि कानूनों के खिलाफ 39 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन के दौरान अब तक 54 किसानों की मौत हो चुकी है। इनमें से कुछ ने सुसाइड कर लिया और कइयों की जान बीमारियों, ठंड और हार्ट अटैक के चलते गई है। सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर रविवार को 4 किसानों की मौत हो गई। इनमें से दो हरियाणा और दो पंजाब के रहने वाले थे। मौत की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है। एक अन्य किसान की हालत गंभीर है, जिसे रोहतक के PGI रेफर किया गया है।
किसी की बॉडी ट्राली में तो किसी की टेंट में मिली
- जानकारी के मुताबिक, बहादुरगढ़ के करीब टीकरी बॉर्डर पर धरना दे रहे बठिंडा के 18 साल के जश्नप्रीत सिंह की शनिवार देर रात अचानक तबीयत बिगड़ गई। उसे सिविल अस्पताल और फिर PGI ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
- हरियाणा के जींद के जगबीर का शव ट्राली में मिला। वो भी टीकरी बॉर्डर पर ही धरना दे रहे थे। उनकी उम्र 66 साल थी।
- सिंघु बॉर्डर पर सोनीपत के बलवीर सिंह और पंजाब के लिदवां निवासी निर्भय सिंह शनिवार रात को पार्कर मॉल के टेंट में सोए थे। सुबह जब साथियों ने जगाने की कोशिश की, तो उनके शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने दोनों मृत घोषित कर दिया।
- इसके अलावा एक अन्य किसान को हार्ट अटैक आया है। उनकी हालत गंभीर होने के चलते उन्हें PGI रेफर किया गया है।
39 दिन में 54 मौतों के बाद उठी मुआवजे की मांग
26 नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर हजारों की तादाद में किसान धरना दे रहे हैं। इस दौरान 54 किसानों की जान जा चुकी है। परिवार और किसान संगठन इन किसानों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी देने की मांग कर रहे हैं।
मौसम ने मुश्किल बढ़ाई, तंबुओं में पानी भरा
दिल्ली और NCR के इलाके में शनिवार सुबह से रह-रहकर बारिश जारी है। रविवार को दूसरे दिन बारिश के बाद ठंड बढ़ती जा रही है। बारिश की वजह से कई किसानों के टेंट में पानी घुस गया, लेकिन किसान अपने मोर्चे पर डटे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक मांगें नहीं मानी जाती हैं, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।
7वें दौर की बातचीत में 2 मांगों पर सहमति बनी
किसान संगठनों और केंद्र के बीच 4 जनवरी को 8वें दौर की बातचीत होनी है। किसानों के 4 बड़े मुद्दे हैं। पहला- सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। दूसरा- सरकार यह लीगल गारंटी दे कि वह मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP जारी रखेगी। तीसरा- बिजली बिल वापस लिया जाएगा। चौथा- पराली जलाने पर सजा का प्रावधान वापस लिया जाए। 30 दिसंबर को 7वें दौर की बातचीत पांच घंटे की बातचीत के बाद बिजली बिल और पराली से जुड़े दो मुद्दों पर सहमति बन गई थी। सरकार किसानों की चिंताओं को दूर करने पर राजी है। इसके बाद किसान नेताओं ने भी नरमी दिखाई। कृषि कानून और MSP पर अभी भी मतभेद बरकरार हैं।