सिरसा: इस बार डेरा सच्चा सौदा के गढ़ में किसका चलेगा सियासी सिक्का?
Haryana Assembly Election 2019: इनेलो का निवर्तमान विधायक हो चुका है बीजेपी (BJP) में शामिल, लेकिन टिकट मिली है संघ के कार्यकर्ता को. इस सीट पर सिर्फ एक बार चुनाव जीती है भाजपा
नई दिल्ली. हरियाणा (Haryana) की सियासत में सिरसा (Sirsa) बड़ा नाम है. वो इसलिए क्योंकि यहां डेरा सच्चा सौदा (Dera Sacha Sauda) का मुख्यालय है. जहां सभी राजनीतिक दलों के नेता मत्था टेकते रहे हैं. सिरसा लोकसभा क्षेत्र है और इसमें सिरसा नाम से विधानसभा भी है. जहां हुए 12 चुनावों में से पांच बार कांग्रेस (Congress) ने अपना परचम लहराया है. बीजेपी (BJP) ने इस सीट पर सिर्फ एक बार चुनाव जीता है. जब 1996 में गणेशीलाल यहां से चुने गए थे. 2014 में यह सीट इनेलो (INLD) ने जीती थी लेकिन विधायक माखनलाल सिंगला अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.
सिंगला टिकट के दावेदार थे. लेकिन उन्हें टिकट न देकर बीजेपी ने प्रदीप रातुसरिया को टिकट दिया है. उनके पिता 70 के दशक से संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं. वो इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं और दूसरे नंबर पर रहे थे. सियासी जानकारों का कहना है कि यदि सिंगला नाराज होते हैं तो इस बार भी यहां भगवा लहराने में दिक्कत हो सकती है.
सिरसा विधानसभा में पहली बार चुनाव 1967 में हुए थे. तब यहां से भारतीय जनसंघ के एल. दास (लक्ष्मण दास अरोड़ा) ने कांग्रेस प्रत्याशी एस. राम को हराया था. राजधानी चंडीगढ़ से करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर स्थित इस क्षेत्र का अस्तित्व महाभारतकाल से बताया जाता है. इमरजेंसी के बाद हुए 1977 के विधानसभा चुनाव में यहां पर जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी. यहां सबसे ज्यादा पांच बार लक्ष्मण दास अरोड़ा ने चुनाव जीता है. एक बार जनसंघ, तीन बार कांग्रेस और एक बार निर्दलीय चुनाव जीतकर वे विधानसभा पहुंचे.