फर्जी टीचरों की भर्ती कर किया जा रहा था गुमराह, हाईकोर्ट ने आदेश मेडिकल कालेज के खिलाफ दिए जांच के आदेश
-डा. वितुल गुप्ता ने दायर की थी जनहित याचिका, मेडिकल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने के लगाए थे आरोप
बठिंडा. पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमिशन और पंजाब स्टेट मेडिकल काउंसिल को आदेश इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंस व रिसर्च सेंटर बठिंडा में जाली अध्यापकों की भर्ती करने के मामले की जांच करवाने व इस बाबत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने की हिदायत दी है।
आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, बठिंडा में शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति के खिलाफ बठिंडा के प्रो. डॉ. वितुल कुमार गुप्ता की तरफ से दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में आरोप लगाया है कि आदेश संस्थान कम से कम 12 गोस्ट टीचर्स की फर्जी नियुक्त कर रहा था और इस तरह एमबीबीएस के छात्रों के कैरियर के साथ खिलवाड़ किया गया। यही नहीं एम.डी. बेसिक के गोस्ट टीचर अपने छात्रों को आदेश संस्थान में पढ़ाने की बजाय अपना पूरा समय और ऊर्जा अपने नीजि अस्पतालों में लगा रहे थे। याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के साथ-साथ पंजाब मेडिकल काउंसिल, मोहाली को विभिन्न दस्तावेज व सबूत इस बाबत प्रस्तुत किए थे। जिसमें उक्त संस्थानों से मामले की जांच करने की अपील की गई थी।
उक्त आरोपों के समर्थन में याचिकाकर्ता ने अक्टूबर, 2021 में उनके द्वारा की गई कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग का हवाला भी दिया था, जिसमें विभिन्न विभागों व ओपीडी में कार्यरत कर्मचारी स्पष्ट रूप से उन शिक्षकों के बारे में स्वीकार कर रहे थे कि वह कभी भी संस्थान में नहीं आए। याचिकाकर्ता ने आदेश संस्थान द्वारा अपनाई जा रही कुछ अनैतिक प्रथाओं के बारे में आरोप लगाया था, जिसमें काउंसिल की तरफ से किए जाने वाले निरीक्षण के दौरान किराए के मरीज लाने, डमी फाइलें तैयार करनी, बढ़े हुए इनडोर को दिखाने के लिए प्रतिदिन जाली रिकार्ड तैयार करना, एमआरआई/सीटी स्कैन केंद्र पर खुले तौर पर कटौती और कमीशन का भुगतान, एआईएमएसआर रजिस्टर में गांवों में फर्जी जन्म दर्ज करने, शहर में स्थानीय प्रेस और होर्डिंग्स में बड़े विज्ञापन जारी कर गुमराह करना, मेडिकल छात्रों और फैकल्टी को पंजाब मेडिकल काउंसिल से मान्यता प्राप्त सीएमई में भाग लेने से रोकना जैसी अनियमियतता लंबे समय से की जा रही थी। याचिकाकर्ता के वकील को एचसी अरोड़ा को सुनने के बाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, पंजाब राज्य चिकित्सा परिषद, मोहाली को याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई शिकायत पर गौर करने और उचित कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए उक्त जनहित याचिका का निस्तारण किया। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग,पंजाब राज्य चिकित्सा परिषद को एक और अभ्यावेदन प्रस्तुत करने की अनुमति भी दी है, जिसपर उक्त प्रतिवादियों द्वारा विचार किया जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले आदेश अस्पताल में आयुष्मान भारत जन आरोग्य बीमा योजना का गलत इस्तेमाल कर सरकार से कथित धोखाधड़ी करने के मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मेडिकल इंस्टीच्यूट को नोटिस जारी किया गया था। इसमें प्रसिद्ध डाक्टर वितुल कुमार गुप्ता ने हाइकोर्ट के में एचसी अरोड़ा के माध्यम से याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया कि सेहत बीमा योजना में फर्जी मरीजों के नाम दर्ज कर फर्जीवाड़ा चलाया जा रहा है व सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई जा रही है। इस याचिका में हाइकोर्ट ने पंजाब सरकार के साथ पंजाब विजीलेंस ब्यूरो को भी नोटिस जारी कर जबावतलबी की थी।