नई दिल्ली। भारत का करीब दो तिहाई हिस्सा पिछले 10 दिन से लू की चपेट में चल रहा है। मंगलवार को उत्तरी भारत में गर्मी का कहर जारी रहा तो बुधवार भी लोगों को किसी तरह की राहत देते नहीं दिखाई दे रहा है।। गर्मी पहले के मुकाबले इस बार अधिक लंबे समय तक चल रही है। जिसके कारण कई लोगों की मौत की खबर भी आई। इसके अलावा पानी की समस्या उत्पन्न हो गई, हजारों पर्यटक गर्मी से राहत के लिए पहाड़ी इलाकों में जा रहे हैं, लेकिन इस बार इन इलाकों में भी तापमान अधिक है। उत्तरी, मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के बड़े क्षेत्रों में पारा 45 डिग्री के स्तर को पार कर गया है।
- उत्तर प्रदेश के झांसी, राजस्थान के चूरू और बीकानेर, हरियाणा के हिसार और भिवानी, पंजाब के बठिडा, पटियाला और मध्यप्रदेश के भोपाल और ग्वालियर में गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वहीं अगर राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां सोमवार इतिहास का सबसे गर्म दिन रहा। इस दिन यहां पारा 48 डिग्री सेल्सियस था। दिल्ली के पालम में सुबह के समय हल्की बारिश होने के बावजूद भी पारा 45.4 डिग्री सेल्सियस रहा। मंगलवार व बुधवार को कुछ हिस्सों में हलके बादल दिखे लेकिन इसने भी गर्मी से किसी तरह की राहत नहीं दी है।
- विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चक्रवाती तूफान ‘वायु’ का असर गुजरात के अलावा अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ेगा। जिसके चलते मानसून से मिलने वाली राहत में इस बार अधिक समय लगेगा। अगर अगले दो दिनों में भी पारे में कमी नहीं आई तो 2019 में गर्म दिनों की संख्या इतिहास में सबसे अधिक होगी। इस बार लू की खतरनाक स्थिति 32 दिनों तक रही है। इससे पहले 1988 में ऐसे दिनों की संख्या 33 थी, जबकि 2016 में 32 थी।
- भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार लू (हीटवेव) की स्थिति तब मानी जाती है जब मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस होता है, और पहाड़ी इलाकों में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस होता है। भीषण गर्मी के कारण घरों से बाहर निकलते ही लोगों की हालत काफी खराब हो रही है। केरल एक्सप्रेस में सवार 67 लोगों के समूह में से चार बुजुर्गों की मौत गर्मी में दम घुटने के कारण हो गई। ये लोग बिना एसी वाले कोच में आगरा घूमने के बाद वापस तमिलनाडु के कोयंबटूर जा रहे थे।
- मौसम विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि आंकड़ों का आकलन बताता है कि 1991 के बाद से लू में वृद्धि हुई है।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरोलॉजी (आईआईटीएम) पुणे ने 1970 से 2015 के बीच के आंकड़ों का अध्ययन किया, जिससे पता चला कि गर्म दिनों और रातों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। मौसम विभाग का कहना है कि इस हफ्ते गर्मी में थोड़ी कमी देखी जा सकती है। उत्तर भारत के कई शहरों में पानी और बिजली की मांग भी बढ़ी है क्योंकि कई कुएं और जलाशय सूख गए हैं।
- दिल्ली में बिजली की मांग ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस दौरान यहां 6,686 मेगावाट बिजली की मांग हुई है। यहां पानी का भी कोई दूसरा स्त्रोत जैसे टैंक और पाइप नहीं हैं। जिसके चलते हालात और भी खराब हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में लोगों को पानी के लिए कई किमी तक यात्रा करनी पड़ रही है। यहां कुएं सूख चुके हैं, जमीन के नीचे का पानी 300 फीट नीचे तक आ गया है, जिसके चलते हैंडपंप ने भी काम करना बंद कर दिया है।
- उत्तराखंड के नैनीताल में गर्मी से राहत के लिए आने वाले पर्यटकों की औसत संख्या प्रतिदिन के हिसाब से 15 से 20 हजार हो गई है। जबकि यहां रहने के लिए कमरों की औसत संख्या महज आठ हजार है। मनाली में भी भारी संख्या में पर्यटक घूमने आ रहे हैं। जिसके चलते यहां गाड़ियों की लंबी लाइनें लग गई हैं। सोमवार को मसूरी में तापमान सामान्य से छह डिग्री अधिक 30.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। वहीं इस दिन धर्मशाला में भी अधिकतम तापमान 33.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है।
वही अरब सागर से उठा चक्रवाती तूफान वायु पश्चिमी तट की ओर तेजी से बढ़ रहा
वही दूसरी तरफ अरब सागर से उठा चक्रवाती तूफान वायु पश्चिमी तट की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यह महाराष्ट्र से उत्तर में गुजरात की ओर बढ़ रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक वायु के 13 जून को गुजरात के तटीय इलाकों पोरबंदर और कच्छ क्षेत्र में पहुंचने की संभावना है। इस बीच हालात से निपटने और तकरीबन 3 लाख लोगों का रेस्क्यू कराने के लिए सेना और एनडीआरएफ ने कमर कस ली है। इससे पहले पिछले महीने आए फोनी तूफान से ओडिशा में काफी तबाही हुई थी। इस बीच चक्रवात का असर महाराष्ट्र में दिखने लगा है। मुंबई में तेज हवाओं की वजह से कई पेड़ गिर गए।
पश्चिम रेलवे ने कुछ रूट पर ट्रेनें रद्द कीं
इस बीच पश्चिम रेलवे ने तूफान को देखते हुए कुछ रूट्स पर ट्रेनें रद्द की हैं। वेरावल, ओखा, पोरबंदर, भावनगर, भुज और गांधीधाम स्टेशनों की ओर शाम छह बजे के बाद 14 जून की सुबह तक सभी पैसेंजर, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन रद्द रहेगा। इस दौरान लोगों को रेस्क्यू में मदद पहुंचाने के लिए इन सभी स्टेशनों पर एक-एक स्पेशल ट्रेन मौजूद रहेगी।
महाराष्ट्र के उत्तरी तट पर तेज हवाएं
मुंबई में मौसम विभाग के उप महानिदेशक (डीडीजी) केएस होसलिकर का कहना है, ‘काफी तेज चक्रवाती तूफान अभी मुंबई से 280 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम क्षेत्र तक पहुंच चुका है। महाराष्ट्र के उत्तरी तट पर इसकी वजह से 50-60 से लेकर 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दिनभर हवाएं चलेंगी। 12 और 13 जून को महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में समुद्र के किनारे हालात खराब हो सकते हैं। समुद्र के बीच पर खास ध्यान देने की जरूरत है। मछुआरों को चेतावनी जारी की जा चुकी है। तेज हवाओं की वजह से पेड़ गिरने की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं।’
110-135 किमी की रफ्तार से चलेंगी हवाएं
गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ इलाके में मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है। यहां वायु चक्रवात की रफ्तार 110 से 135 किमी प्रति घंटे तक हो सकती है। इसका लैंडफॉल (समुद्र तट से टकराने का स्थान) सौराष्ट्र तट के करीब होने का अनुमान है। अभी चक्रवात अपनी वर्तमान स्थिति से उत्तर की ओर (कोंकण तट से) सौराष्ट्र के पोरबंदर और महुवा के बीच बढ़ रहा है। चक्रवाती तूफान की वजह से कच्चे मकानों और कमजोर इमारतों को नुकसान, बिजली सप्लाइ प्रभावित होने के साथ ही निचले इलाकों में पानी भरने की आशंका जताई जा रही है।
‘सौराष्ट्र में 60 लाख आबादी प्रभावित’
तूफान से सबसे ज्यादा कच्छ, देवभूमि, द्वारका, पोरबंदर, राजकोट, जूनागढ़, दीव, गिर, सोमनाथ, अमरेली और भावनगर जिलों में नुकसान का अनुमान है। गुजरात के डेप्युटी सीएम नितिन पटेल ने मीडिया को बताया कि सौराष्ट्र इलाके के 10 जिलों के 408 गांवों में रहने वाली तकरीबन 60 लाख की आबादी के चक्रवात से प्रभावित होने की संभावना है। गुजरात में पर्यटकों के लिए भी प्रशासन की ओर से चेतावनी जारी की गई है। द्वारका, सोमनाथ और कच्छ में पर्यटकों को तटीय इलाकों को छोड़कर 12 जून की दोपहर तक सुरक्षित इलाकों में जाने की सलाह दी गई है।
गृह मंत्रालय में बैठक, अडवाइजरी जारी
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को उच्च स्तरीय बैठक कर तैयारियों का जायजा लिया। गुजरात के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश दीव के लिए भी अडवाइजरी जारी की गई है। समीक्षा बैठक के दौरान गृह मंत्री ने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही बिजली, संचार, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी जरूरी सेवाएं मुहैया कराने के निर्देश दिए। इस बैठक में गृह सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सेक्रटरी के अलावा मौसम विभाग और गृह मंत्रालय के आला अधिकारी मौजूद रहे।
3 लाख का होगा रेस्क्यू, 700 साइक्लोन सेंटर
गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा, ‘गुजरात और दमन दीव प्रशासन ने 3 लाख लोगों को सुरक्षित निकालने की तैयारी की है। इसके साथ ही चक्रवात से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले इलाकों की पहचान की गई है। लोगों को रेस्क्यू के बाद 700 साइक्लोन रिलीफ सेंटरों में शिफ्ट किया जाएगा। गुजरात और दमन दीव में राहत कार्यों में मदद के लिए एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा राहत बल) की 39 टीमों को पहले ही तैनात किया जा चुका है।’