नई दिल्ली। छह साल की रूही और सात साल की माही… रोज सुबह उठते ही इधर-उधर देखती हैं। मम्मी को आवाज लगाती हैं। पापा के बारे में पूछती हैं। लेकिन इन मासूमों को कौन बताए कि पिता 29 अप्रैल को कोरोना से जंग हार गए और 3 मई तक मां को भी यही संक्रमण निगल गया। पेरेंट्स के जाने के बाद बड़ा सवाल यही है कि रूही और माही की देखभाल अब कौन करेगा? ऐसी ही स्थिति भोपाल के हनुशीष डहरिया की भी है। कोरोना की दूसरी लहर ने उसके भी माता-पिता को छीन लिया।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कोरोना के चलते देशभर में 30,071 बच्चे बेसहारा हुए। इनमें 26,176 बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया और 3,621 बच्चे अनाथ हो गए। वहीं 274 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें रिश्तेदारों ने भी छोड़ दिया। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 706 बच्चे अनाथ हुए हैं। इन बच्चों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने एक दर्जन से ज्यादा योजनाओं का ऐलान किया है। लेकिन सवाल ये है कि क्या इन योजनाओं का फायदा इनके असली हकदारों तक पहुंच पाएगा?
हम यहां अनाथ बच्चों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की 9 बड़ी योजनाओं की चर्चा कर रहे हैं। साथ ही, इनका फायदा लेने के लिए जरूरी दस्तावेज और प्रक्रिया क्या है, ये भी बता रहे हैं। और ये भी जानिए कि पहले से ही मुसीबत में घिरे मासूमों को इसके लिए किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है?
केंद्र ने घोषणा तो कर दी, मगर मदद का इंतजार
पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन योजना की घोषणा हो चुकी है। इसके लिए क्या जरूरी दस्तावेज चाहिए और जरूरतमंदों को चुनने की प्रक्रिया क्या होगी, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। 1 जून को सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से अनाथ बच्चों की इस योजना का पूरा खाका पेश करने को कहा है। इसके अलावा 10 राज्यों में नोडल ऑफिसर भी नियुक्त किए गए हैं जो जरूरतमंद बच्चों को चिह्नित करेंगे।
मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत की वजह न होने से मुश्किलें
मध्य प्रदेश सरकार की बाल सेवा योजना के लिए जरूरी दस्तावेज और जानकारी इस प्रकार हैं…
- बच्चे का आधार कार्ड
- माता-पिता दोनों का नगर निगम से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र
- बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट या कोई भी जन्मतिथि साबित करने वाला प्रमाण पत्र
- बच्चे और संरक्षक का जॉइंट बैंक अकाउंट (अगर बच्चा 18 साल से कम उम्र का है)
- मध्य प्रदेश के स्थायी निवासी होने का प्रमाण पत्र
- संरक्षक का बच्चे को रखने का सहमति पत्र
इस योजना का लाभ लेने के लिए मृतक अभिभावक का नगर निगम से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र चाहिए, जिसमें मौत का कारण कोविड-19 लिखा हो। कई मामलों में ऐसे प्रमाण पत्र मिलने में दिक्कत हो रही है। भोपाल के सांख्यिकी विभाग के रजिस्ट्रार अभिषेक सिंह ने अपने एक आदेश में कहा है कि मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत का कारण नहीं लिखा जाएगा। उनका तर्क है कि मौत का कारण डॉक्टर ही बता सकता है।
योजना के लिए महिला एवं बाल विकास को नोडल विभाग बनाया गया है। विभाग की तरफ से आंगनबाड़ी के माध्यम से अनाथ बच्चों की जानकारी जुटाई जा रही है। जरूरतमंद सीधे आंगनबाड़ी या विभाग के अफसर से संपर्क कर सकते है। ज्यादा जानकारी के लिए covidbalkalyan.mp.gov.in वेबसाइट पर भी लॉग इन कर सकते हैं।
पालनहार योजना में कोरोना से अनाथ बच्चे भी शामिल
राजस्थान सरकार की ये एक पुरानी योजना है, जिसमें कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों को भी शामिल किया गया है। 8 फरवरी 2005 को ये योजना अनुसूचित जाति के बच्चों के लिए शुरू हुई थी। इसमें समय-समय पर संशोधन किया जाता रहा है। इस योजना का फायदा लेने के लिए व्यक्ति को राजस्थान का स्थाई निवासी होना जरूरी है और पालनहार परिवार की सालाना इनकम 1.20 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।
योजना के लिए जरूरी दस्तावेज में अनाथ बच्चे के माता-पिता की मृत्यु का प्रमाण पत्र, पालनहार का आधार कार्ड, निवास प्रमाण, भामाशाह कार्ड, बच्चे की पढ़ाई का प्रमाण, बच्चे का आधार कार्ड होना जरूरी है।
मौत कोरोना जैसे लक्षणों से, लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं
बिहार सरकार ने 30 मई 2021 को इस योजना की घोषणा की। सरकार ने जिला बाल कल्याण समिति को ऐसे बच्चों के चयन का काम सौंपा है। ऐसे बच्चों से जुड़ी जानकारी चाइल्ड लाइन के नंबर 1098 पर दी जा सकती है। मुखिया और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के जरिए खुद प्रशासन भी ऐसे बच्चों की जानकारी इकट्ठा कर रहा है।
इस योजना का लाभ हर आय वर्ग के बच्चों को दिया जाना है, इसलिए इसके लिए इनकम सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। माता-पिता का आधार और मृत्यु प्रमाण पत्र चाहिए, लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किल कोरोना जांच रिपोर्ट को लेकर है। ऐसे कई मामले आए हैं, जिनमें मरने वालों में कोरोना के लक्षण तो थे, लेकिन उन्होंने इसकी जांच नहीं कराई।
छत्तीसगढ़ में शुरू हो गई महतारी दुलार योजना
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में महतारी दुलार योजना लागू कर दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 18 मई को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। इसके लिए स्टूडेंट या उसके पेरेंट्स की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी को ऐप्लिकेशन देना होगा।
ऐप्लिकेशन के परीक्षण के लिए जिला शिक्षा अधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित होगी। इसमें स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग के एक-एक अधिकारी नॉमिनेट होंगे। समिति की सिफारिश पर जिला कलेक्टर इसे मंजूर करेंगे। अगर जिला कलेक्टर को किसी स्रोत से ऐसे बच्चे की जानकारी मिलती है तो वे उसे भी जिला शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध कराएंगे।
उत्तर प्रदेश के अनाथ बच्चों को 4 हजार रुपए महीना
योजना में जन्म से लेकर 18 साल तक के ऐसे बच्चे शामिल किए जाएंगे, जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोविड काल में हो गई हो, या माता-पिता में से एक की मृत्यु एक मार्च 2020 से पहले हो गई और दूसरे की मृत्यु कोविड काल में हो गई, या फिर दोनों की मौत एक मार्च 2020 से पहले हो गई हो या वैध संरक्षक की मृत्यु कोरोना आने के बाद हुई हो।
महिला एवं बाल कल्याण विभाग के निदेशक मनोज राय के मुताबिक ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है। अब तक 300 बच्चों की पहचान की जा चुकी है और काम अभी भी जारी है।
दिल्ली सरकार ने भी की कई बड़ी घोषणाएं
दिल्ली सरकार ने कोरोना पीड़ित सभी जरूरतमंद परिवारों तक मदद पहुंचाने की घोषणा की है। इसमें राशन वितरण का काम चल रहा है। अनाथ बच्चों को 2500 रुपए की आर्थिक मदद की योजना का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा उन मृतकों के परिजनों को 5 लाख तक का मुआवजा देने का ऐलान किया गया है, जिनकी मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई। इसके लिए छह सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो मुआवजे की राशि तय करेगी। हालांकि यहां भी मृत्यु प्रमाण पत्र में कोविड-19 से हुई मौत लिखने में दिक्कत हो रही है।
योजना के ऑनलाइन आवेदन में मुश्किलें
महाराष्ट्र सरकार की बाल संगोपन योजना के लिए जरूरी दस्तावेज और जानकारी इस प्रकार हैं…
- आधार कार्ड
- राशन कार्ड
- पेरेंट्स की पासपोर्ट साइज फोटो
- बर्थ सर्टिफिकेट
- यदि पेरेंट्स की मृत्यु हो गई है तो डेथ सर्टिफिकेट
- इनकम सर्टिफिकेट
- बैंक पासबुक
बाल संगोपन योजना 2008 में शुरू हुई थी। अब इसके दायरे में कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों को शामिल करने की घोषणा की गई है। राज्य में कोरोना महामारी से 162 बच्चों के माता-पिता दोनों और 5172 बच्चों के एक अभिभावक का देहांत हुआ है।
इस योजना की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। इसलिए डॉक्युमेंट स्कैन करने और सही साइज में अपलोड करने में लोगों को दिक्कत हो रही है। अभी भी राज्य के कई ग्रामीण इलाके ऐसे हैं, जहां लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।
उत्तराखंड सरकार देगी 3 हजार रुपए महीना
मुख्यमंत्री की ओर से वात्सल्य योजना की घोषणा के बाद महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है। प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि ऐसे बच्चों को महीने में तीन हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। फिलहाल इसके जरूरी दस्तावेज और प्रक्रिया को लेकर अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
कोविड-19 पीड़ितों के लिए कई अन्य घोषणाएं भी
- गोवा सरकार भी कोरोना संकट की मार झेलने वाले गरीब परिवारों को 2 लाख रुपए की आर्थिक मदद का ऐलान कर चुकी है।
- केंद्र सरकार ने पत्रकार कल्याण योजना के तहत कोरोना से जान गंवाने वाले पत्रकार के पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है।
- झारखंड में फ्रंटलाइन वॉरियर्स के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने 25 लाख रुपए मुआवजा देने का प्रावधान किया है।
- तमिलनाडु में फ्रंटलाइन वर्कर्स की कोरोना से मौत होने पर उनके परिवार वालों को 25 लाख रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया गया है।
- पंजाब सरकार ने कोरोना के दौरान जान गंवाने वाले डॉक्टरों और सेहत कामगारों के परिवारों को 50-50 लाख रुपए की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है।