लाल खून का काला कारोबार /बठिंडा ब्लड बैंक में एचआईवी रक्त चढ़ाने वाले चार लैब टैक्निसियनों पर गिरी गाज

-चंडीगढ़ से पहुंची हाई लेबल की टीम ने मामले को लापरवाही, साजिश व भ्रष्ट प्रक्रियां का हिस्सा बताया -सरकारी एजेंसी से मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाकर अधिकारियों से लेकर कर्मियों पर कारर्वाई करने की बात कही  

बठिडा. सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में थैलेसीमिया पीडित बच्चों को एचआईवी खून चढ़ाने के मामले की राज्य सेहत विभाग ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे इसके बाद आज एक आईएएस अधिकारी व नेशनल एड्स कंट्रोल सोसायटी(एनएसीओ) के अधिकारी बठिंडा सिविल अस्पताल पहुंचे व पिछले एक माह से लगातार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों व मरीज को एचआईवी पोजटिव खून चढ़ाने की उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी। टीम में नाइको के बीटीओ डा. सुनीता रानी व एडीशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर मनप्रीत चटवाल शामिल है। टीम ने बुधवार सुबह शुरू की जांच में पूरे मामले की तह तक जाते इस बात की पुष्टी की है कि अस्पताल में जहां घोर लापरवाही की जा रही है वही किसी बड़ी साजिस के तहत पूरे प्रकरण को अंजाम देने की बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। ब्लड बैंक नेक्शल का पता लगाने के लिए सरकारी एजेंसी से इसकी निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए।

टीम ने चार लैब टेक्नीशियनों को मामले में दोषी ठहराते उनके खिलाफ कारर्वाई की सिफारिश की

उन्होंने इस बाबत सरकार से भी सिफारिश करने की अनुशंसा की है। जांच में टीम ने चार लैब टेक्नीशियनों को मामले में दोषी ठहराते उनके खिलाफ कारर्वाई की सिफारिश की है। दोषी ठहराए गए लोगों में गुरदीप, गुरदीप सिंह, अजय शर्मा व जगदीप शामिल है। उक्त सभी लोगों की भर्ती ठेके पर की गई है। इसमें सात नवंबर को जिस 11 साल के थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को रक्त चढ़ाया गया उसकी उक्त लोगों ने न तो कोई जांच पड़ताल की और न ही खून में एचआईवी पोजटिव व हेपाटाइटेस संबंधी सैंपल की प्रक्रिया को पूरा किया गया। इसमें संक्रमित व्यक्ति का रक्त लेकर उसे बिना जांच किए ही नेगटिव की मोहर लगाकर स्टोर में रख दिया गया। इसका नतीजा यह रहा कि ब्लड इश्यू करने वाले व्यक्ति ने इस पर विश्वास कर आगे जारी कर दिया। इस तरह से पिछले एक माह में चार लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का काम सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में किया गया है।

प्राइवेट अस्पतालों को फायदा पहुंचाने जैसे आरोपों की भी जांच करने के लिए कहा

जांच में ब्लड बैंक में कीटों की हेराफेरी व बड़े पैमाने पर घपला करने व प्राइवेट अस्पतालों को फायदा पहुंचाने जैसे आरोपों की भी जांच करने के लिए कहा गया है। व्यक्तिगत साजिश निकालने का काम बेशक पहले चरण में हो रहा था लेकिन असल खेल ब्लड बैंक में मोटी कमाई करने से भी जोड़ा जा रहा है। फिलहाल जांच टीम इस पूरे मामले में अधिकारियों को भी बख्शने के मूड में नहीं है। लंबे समय से चल रहे खेल में आला अधिकारियों जिसमें सिविल सर्जन दफ्तर से लेकर नीचले स्तर पर जिम्मेवार इंचार्जों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। उक्त लोग पूर्व की तरह गंभीर मामले की गहराई तक जाने की बजाय उसे किसी तरह निपटाने की कोशिश करते रहे जिसका नतीजा यह रहा कि लोगों को बिना जांच पड़ताल के लिए संक्रमित खून चढ़ाया गया। अभी तक चार लोगों के संबंध में खुलासा हुआ है जबकि इस तरह की लापरवाही कई लोगों के साथ होने की आशंका जताई जा रही है जिसमें सिविल अस्पताल में रक्त लेने आए लोगों के साथ ऐसे मरीजों की लिस्ट निकलवाई जा रही है जिन्हें आपातकाल में रक्त अस्पताल के ब्लड बैंक से लेकर चढाया गया है। इन तमाम लोगों के सैंपल फिर से लेकर जांचा जाएगा कि कही वह एचआईवी पोजटिव तो नहीं है।

नियमानुसार नहीं की जा रही है दान किए रक्त की जांच 

सात नवंबर को रक्त दान करने वाले डूनर लवप्रीत सिंह सिविल अस्पताल में इससे पहले तीन बार रक्तदान कर चुका था व उसके रक्त की नियमानुसार जांच ही नहीं की गई जिसके चलते संक्रमित खून तीन बार लोगों को चढ़ाया गया इसमें एक मामले का हाल में पता चला है जबकि दो अन्य लोगों को खून कब व किसे चढाया गया इसका खुलासा जांच के बाद ही हो सकेगा। दूसरी तरफ सूत्रों का कहना है कि बठिंडा में सात नवंबर को थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को सिविल अस्पताल में एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ने के तार भी पहले वाले अक्तूबर में हुए मामले से जोड़े जा रहे हैं, ताकि इस बार संक्रमित रक्त चढ़ाने वालों को बचाया जा सके।

आरोपियों को बचाने की की जा रही है कोशिश

फिलहाल प्रभावित परिवार ने आशंका जताई है कि सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक ने बिना जांच के उनके 11 साल के बच्चे को रक्त चढाया पर अब जांच में ऐसे बिंदुओं को शामिल किया जा रहा है, जिससे साबित हो सके कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चा पहले से एचआईवी संक्रमित था और अक्तूबर के मामले के आरोपियों ने इस बच्चे को भी संक्रमित रक्त चढ़ाया था। इससे अस्पताल प्रशासन साफ-साफ बच जाएगा और वाहवाही भी मिलेगी कि उन्होंने यह मामला पकड़ा। उधर, बच्चे के पिता से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि उनका बच्चा पहले से संक्रमित नहीं था, सात नवंबर को संक्रमित रक्त चढ़ाने के बाद ही बच्चा एचआईवी पॉजिटिव हुआ है। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी रक्त साजिश के तहत चढ़ाया जा रहा। इस नए मामले के पीछे कोई ऐसा व्यक्ति शामिल है, जो अक्तूबर वाले मामले में अपने आप बेगुनाह बताने का प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक पूरा सच सामने नहीं आया है। इस मामले की जांच के लिए डा. गुरमेल सिंह, डा. सतीश जिदल व डा. मनिदपाल कौर की अगुआई में एक जांच कमेटी का गठन किया गया है।

नहीं छोड़ेगे किसी भी आरोपी को-एसोसिएशन

दूसरी तरफ थैलेसिमिया एसोसिएशन के सदस्य महिंदर सिंह व प्रवीण कुमार ने कहा कि थैलेसिमिया पीड़ित बच्चे को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाएगी व इसमें जो भी दोषी है उनके खिलाफ कारर्वाई के लिए प्रशासन पर जबाव बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सोमवार को परिवार के सदस्यों को गठित टीम वे बुलाया था व उनके बयान दर्ज किए है।

इन तर्कों का दिया जा रहा हवाला

सूत्रों के मुताबिक सात नवंबर को 11 बजे पीड़ित बच्चे के सैंपल लिए गए और साढे़ बारह बजे बच्चा रक्त चढ़वाने के लिए दाखिल हुआ। जब रक्त चढ़ रहा होता है तो 12:50 पर बच्चे के एचआईवी संक्रमित होने का खुलासा हुआ है। अक्तूबर वाले मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ था और जब बच्चे को रक्त चढ़ाया गया तो उसके बाद ही पता चला था कि रक्त एचआईवी संक्रमित है। डूनर लवप्रीत सिंह ने सात नवंबर को बैच नंबर 6916 में रक्तदान किया। इस बैग की नियमानुसार एचआईवी व हेपाटाइटेंस व दूसरी गंभीर बीमारियों से संबंधित जांच नहीं की गई व सीधा पूर्व की तरह जरूरतमंद को चढ़ा दिया गया। इस संबंध में एसएमओ डाक्टर मनिंदरपाल सिंह का कहना था कि पहले वाले मामले की जांच अभी चल रही है। जब तक जांच पूरी नहीं होती तब तक वह कुछ नहीं बता सकते। पीड़ित बच्चे के परिजनों ने डिप्टी कमिश्नर बी श्रीनिवासन और सिविल अस्पताल के एसएमओ को लिखित शिकायत देकर इंसाफ की मांग की थी। वहीं गत शुक्रवार को पीड़ित बच्चे का परिवार बयान दर्ज करवाने अस्पताल पहुंचा  लेकिन चार घंटे तक बाहर बिठाकर रखा और बयान नहीं दर्ज किए।

अक्तूबर में यह मामला आया था सामने

अक्तूबर के पहले सप्ताह में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को ब्लड बैंक कर्मियों ने आपसी रंजिश में एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ा दिया था। जिसके बाद पूरे मामले की जांच तीन डाक्टरों ने की और उसके आधार पर सेहत विभाग ने सीनियर लैब टेक्नीशियन रोमाना को सस्पेंड कर उसके खिलाफ हत्या के प्रयास के तहत थाना कोतवाली में केस दर्ज कर गिरफ्तार किया था। इसके अलावा डाक्टर करिश्मा और जूनियर लैब टेक्नीशियन रुचि को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।

इलाज करवा रहे परिजनों में खौफ का माहौल

बठिंडा के सिविल अस्पताल में पिछले पांच माह में तीन एचआईवी संक्रमित ब्लड चढ़ाने के मामले सामने आने के बाद अब बच्चों के परिजनों में खौफ का माहौल है। उन्हें डर है कि न जाने कब उनके बच्चे को एचआईवी संक्रमित ब्लड चढ़ा दिया जाए। यहां 80 से अधिक थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे इलाज करवा रहे हैं।

इससे पहले भी जांच में शामिल होने के लिए बुलाया था

पहले सात साल के बच्चे के बाद अब 11 साल के थैलेसीमिया बच्चे को एचआईवी पाजिटिव रक्त चढ़ाने के मामले में वीरवार को पीड़ित बच्चे व उसके परिजनों के बयान तक दर्ज नहीं किए गए है, जबकि पीड़ित बच्चा व उसके माता-पिता वीरवार सुबह मामले की जांच को लेकर गठित कमेटी के पास अपने बयान दर्ज करवाने के लिए पहुंचे थे, लेकिन करीब दो घंटे तक एसएमओ दफ्तर के बाहर बैठकर इंतजार करने के बाद बिना बयान दर्ज करवाएं बैरंग चले गए। पीड़ित परिवार के जाने के बाद जांच कमेटी ने उन्हें फोन कर उन्हें बयान देने के लिए दोबारा बुलाया, लेकिन पीड़ित परिवार ने शुक्रवार को आने की बात कहीं। वहीं दूसरी तरफ शहर की समाजसेवी संस्था श्री गणेश वेलफेयर सोसायटी ने सेहतमंत्री बलवीर सिंह सिद्धू समेत तमाम उच्चाधिकारियों को लिखित शिकायत भेजकर मामले की जांच करवाने और आरोपित लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की।

  • उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि सरकारी ब्लड बैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों की इन लापरवाही के कारण रक्तदान की मुहिम का झटका लग रहा है और सरकारी ब्लड बैंक के प्रति विश्वास उठता जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ थैलेसीमिया एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि बठिडा जिले में करीब 80 से ज्यादा बच्चे थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित है, जिनमें से ज्यादा तरह गरीब व मध्यवर्ग के परिवार से संबंधित है और उनका इलाज सिविल अस्पताल से चल रहा है।
  • ऐसे में पहले ही बीमारी से पीड़ित बच्चों को रक्त के जरिए एचआईवी जैसी खतरनाक बीमारियां ब्लड़ बैंक के अधिकारियों की तरफ से बांटी जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व छह माह से ब्लड़ बैंक में इलाइजा टेस्ट करने के बजाय केवल रैपिड टेस्ट किए जा रहे है।

गौर हो कि एसएमओ डा. मनिदरपाल सिंह को महिला ने शिकायत दी कि उसके थैलेसीमिया बेटे को हर महीने सरकारी अस्पताल में ब्लड चढ़ता है। सात नवंबर को ब्लड लगवाने अस्पताल गईं। जब बच्चे को ब्लड लग रहा था उस समय लैब कर्मी ने बच्चे का ब्लड सैंपल लिया और कोई जानकारी नहीं दी कि क्यों लिया गया है। सोमवार को बच्चे को फिर से सरकारी अस्पताल बुलाया और ब्लड टेस्ट हुआ। उसके बाद बताया गया कि उनका बेटा एचआईवी पाजिटिव है। उन्हें शक है कि ये बीमारी बेटे को ब्लड चढ़ने से हुई है। बच्चे की मां ने एसएमओ से जिम्मेदार आरोपितों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की।

उधर, एसएमओ डा. मनिदपाल सिंह का कहना है कि पीड़ित परिवार आज बयान दर्ज करवाने के लिए आएं थे, लेकिन वह पहले चिल्ड्रन अस्पताल चले गए और उसके बाद वह उनके पास आएं, तब वह कोई जरूरी मीटिग कर रहे थे। उन्हें कुछ देर इंतजार करने के लिए कहां गया था, लेकिन वह बिना बताएं चले गए। अब दोबारा उन्हें बुलाया गया है। मामले की जांच चल रही है, जो कोई भी आरोपित होगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

 

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