इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को लाखों डॉलर के मनी लॉन्ड्रिंग के एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया है. सोमवार को नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) ने पूर्व राष्ट्रपति को गिरफ्तार किया है. आसिफ अली जरदारी पर आरोप है कि वे पैराथन नाम से एक फेक फ्रंट कंपनी चला रहे थे. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक पाक लेन प्रॉपर्टीज में वे खाताधारक भी हैं.
Asif Ali Zardari's interview taken off air from Pakistani TV channel
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एनएबी के अनुसार फर्जी बैंक खातों के माध्यम से जरदारी ने 15 करोड़ रुपये का लेन-देन किया था. विपक्षी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के 63 वर्षीय सह-अध्यक्ष और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के पति को पार्क लेन मामले में गिरफ्तार किया गया था.
Former Pakistan President Asif Ali Zardari arrested in Park Lane Properties case
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2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद आसिफ अली जरदारी, पीपीपी के सह-अध्यक्ष बने थे. उनकी गिरफ्तारी तब हुई जब उन्होंने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के खिलाफ दायर अपनी अंतरिम जमानत की अर्जी वापस ले ली. आसिफ अली जरदारी ने कहा था कि अगर उन्हें जमानत दे दी गई तो एनएबी अधिक फर्जी मामलों का आरोप लगाएगा.
पिछले सप्ताह में, वह पहली बार संसद में गिरफ्तारी के बाद गए थे और कहा था कि उनकी गिरफ्तारी को खत्म किया जाए. उन्होंने कहा कि इसे सिर्फ माहौल खराब होगा, कुछ और नहीं होगा. अब एनएबी पार्क लेन इस मामले में केस पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को रिमांड पर रखेगा.
आसिफ अली जरदारी और उनकी बहन फरयाल तालपुर पर भ्रष्टाचार के तमाम केस दर्ज हैं. दोनों पर फर्जी बैंक खातों और कई बैंकों के जरिए अरबों मूल्य के हुए फर्जी लेनदेन की जांच से संबंधित एक मामला चल रहा है. इन फर्जी खातों का इस्तेमाल रिश्वत के जरिए मिली भारी भरकम रकम को ठिकाने लगाने के लिए किया गया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक जरदारी और तालपुर समेत सात लोग कथित रूप से कुल 35 अरब रुपए के संदिग्ध लेनदेन के लिए खास बैंक खातों के इस्तेमाल में शामिल रहे हैं.
आसिफ अली जरदारी पर हमेशा से ही भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन किसी भी मामले में कोर्ट ने उन्हें पूरी तरह दोषी नहीं ठहराया है. आसिफ अली जरदारी साल 2008 से 2013 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे हैं. हर बार पूछताछ में उन्होंने यही कहा है कि किसी भी फर्जी खाते से उनका कोई संबंध नहीं है. यह सब विपक्षी पार्टियों की साजिश है.