जीएसटी में आधार के जरिए हो सकेगा रजिस्ट्रेशन, सालाना रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 2 महीने बढ़ी

नई सरकार बनने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक हुई, जीएसटी रिटर्न फाइल करने की समय सीमा 30 जून से बढ़ाकर 30 अगस्त की गई जीएसटी रेट कट का उपभोक्ताओं तक फायदा ना पहुंचाने वाली इकाइयों पर 10% जुर्माना लगेगा

0 853,563

नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक हुई। इसमें कई अहम फैसले लिए गए। राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने बताया कि बैठक में यह फैसला लिया गया कि अब व्यापारी आधार के जरिए जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। पहले इसके लिए कई दस्तावेजों की जरूरत होती थी। उन्होंने बताया कि आधार के जरिए रजिस्ट्रेशन से व्यापारियों को कई फायदे भी होंगे।

कारोबारियों को अब जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कागजी कार्यवाही से राहत देते हुए राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने बताया, ‘मुख्य बदलावों में से एक हमने जीएसटी पंजीकरण को आसान बनाया है. पहले की व्यवस्था में लोगों को विभिन्न दस्तावेज देने होते थे. अब हमने आधार कार्ड का इस्तेमाल करने का फैसला किया है. आधार का इस्तेमाल करने से कारोबार को कई फायदे होंगे.’

अजय भूषण ने बताया कि कारोबारी आवेदन ऑनलाइन कर सकते है. इसके लिए वे अपने आधार नंबर का इस्तेमाल करके ओटीपी के माध्यम से जीएसटीएन पोर्टल पर खुद को पंजीकृत कर सकते हैं और जीएसटीएन रजिस्ट्रेशन नंबर हासिल कर सकते हैं.

नया रिटर्न फाइलिंग सिस्टम 1 जनवरी 2020 से लागू होगा
  • पांडेय ने कहा- हमने जीएसटी रजिस्ट्रेशन को आसान बनाने के लिए आधार के इस्तेमाल का फैसला लिया है। अब व्यक्ति आधार के जरिए ऑनलाइन जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कर सकता है। इसके बाद उसे ओटीपी मिलेगा, जिसके जरिए वह जीएसटीएन पोर्टल पर खुद को रजिस्टर कर सकता है और रजिस्ट्रेशन नंबर हासिल कर सकता है।
  • जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रु. सालाना टर्नओवर कर दिया गया है।
  • “जीएसटी के तहत सालाना रिटर्न फाइल करने की समय सीमा दो महीने बढ़ाकर 30 अगस्त 2019 कर दी गई है। पहले यह 30 जून थी 2019 थी। जीएसटी का नया रिटर्न फाइलिंग सिस्टम 1 जनवरी 2020 से लागू होगा।”
  • पांडेय ने कहा- काउंसिल ने जीएसटी एंटी-प्रॉफीटियरिंग अथॉरिटी का कार्यकाल भी 2 साल तक बढ़ा दिया है।
इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का टैक्स स्लैब घटाने का प्रस्ताव

“काउंसिल ने प्रस्ताव भेजा है कि इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% किया जाए। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक चार्जरों को भी 18% की बजाय 12% की टैक्स स्लैब में लाया जाए।”

  • जो इकाइयां जीएसटी के रेट कट का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं दे रही हैं, उनक पर 10% जुर्माना लगाने के प्रस्ताव को भी काउंसिल ने मंजूरी दी।
इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयसिंग व्यवस्था को मंजूरी

काउंसिल ने इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयसिंग व्यवस्था और मल्टीप्लेक्स में ई-टिकटिंग को भी मंजूरी दे दी। काउंसिल ने देश में बिजनेस टू बिजनेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयसिंग सिस्टम (ई-इनवॉयस) को चरणबद्ध तरीके से लाने का फैसला किया है। ये तेजी से विकसित होती तकनीक है जो टैक्सपेयर्स को बैकवर्ड इंटिग्रेशन और टैक्स संबंधी प्रक्रियाओं के ऑटोमेशन में मदद करेगी। इसके आने से अधिकारियों को टैक्स चोरी पकड़ने में भी सहायता होगी। इस सिस्टम को अमल में लाने के लिए पहले चरण को स्वैच्छिक बनाया गया है और ये जनवरी 2020 से शुरू होगा। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक की. बजट पूर्व बैठक में उन्‍होंने कहा कि केंद्र आर्थिक वृद्धि की दिशा तय करता है, लेकिन जमीन पर इसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना राज्यों का काम है. निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि जब तक राज्य और केंद्र मिलकर काम नहीं करेंगे, लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकता.

Leave A Reply

Your email address will not be published.