चंडीगढ़। पंजाब में कभी किसान और उनके कई संगठन आढ़ती सिस्टम को खत्म करने की मांं करते थे और इसके लिए उन्होंने मुहिम भी चलाई थी। लेकिन, वे आज इसके लाए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। 2008 जब पंजाब में अचानक किसानों की आत्महत्याएं बढ़ी तो भारतीय किसान यूनियन (मान) ने मंडियों में से आढ़ती सिस्टम को खत्म करने की मांग की। इसे लेकर भारतीय किसान यूनियन (मान) के प्रधान भूपेंद्र सिंह मान ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को पत्र भी लिखा था, जिस पर पासवान ने पंजाब सरकार को किसानों की समस्या खत्म करने को लेकर पत्र लिखा।
2019 में किसान घोषणा पत्र जारी कर मांगें पूरा करने का आश्वासन देने वाली पार्टी को दिया समर्थन
इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में किसान संगठन ने दस मांगों पर आधारित किसान घोषणा पत्र जारी किया जिसमें कहा गया था कि जो सरकार उनकी मांगों को हल करने का आश्वासन देगी वह उसका समर्थन करेंगे। अब जब उन दस मांगों में से तीन मांगें केंद्र सरकार के नए कृषि सुधार कानून बनने से पूरी हो गई हैं तो किसान इन किसानों का विरोध कर रहे हैं। हालांकि 31 किसान संगठनों में भाकियू (मान) शामिल नहीं है लेकिन विरोध जरूर कर रही है।
कृषि सुधार कानूनों में तीन मांगें पूरी हुईं, भूपेंद्र मान ने कहा- नए कानूनों में अब भी बदलाव की जरूरत
यही नहीं, पंजाब के आर्थिक विशेषज्ञों ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि किसानों से ज्यादा तो आढ़तियों को मुनाफा होता है। उन्होंने किसानों को सीधी अदायगी करने तक की सिफारिशें कीं। यह केस पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में भी चला जहां भाकियू नेता सतनाम सिंह बेहरू ने केस करके मांग की कि किसानों को सीधी अदायगी करवाई जाए। उन्होंने कहा कि जब किसान अपना अनाज सरकारी एजेंसियों को बेचते हैं तो हम अनाज की अदायगी आढ़तियों के जरिए क्यों लें।
अब जबकि केंद्र सरकार ने तीन कृषि सुधार कानून बनाए हैैं और इनमें मंडी से बाहर बिकने वाले अनाज पर कोई टैक्स न लगाने आदि की व्यवस्था की गई है तो भाकियू नेता इसके विरोध में उतर आए हैं। भाकियू (मान) के प्रधान और पूर्व राज्यसभा सदस्य भूपेंद्र मान ने माना कि उन्होंने 2008 में किसानों को आढ़तियों के चंगुल से बाहर निकालने की मांग की थी।
वह कहते हैं, जब मैंने सुना कि केंद्र सरकार तीन नए कृषि सुधार कानून ला रही है तो मेरी उत्सुकता काफी बढ़ी। 1997 में हम लोगों ने पंजाब, हरियाणा, यूपी, एमपी, महाराष्ट्र के किसानों को लेकर अटारी (अमृतसर) सीमा तक मार्च भी निकाला था। जिसमें गेहूं को मुक्त व्यापार में शामिल करने की मांग प्रमुख थी। भारत सरकार ने हमारी इन्हीं मांगों के आधार पर तब एक हाई पावर्ड कमेटी बनाई, जिसमें किसान नेता शरद जोशी भी शामिल थे लेकिन उस तरह के कानून नहीं बने।
मान ने कहा कि इन तीनों कानूनों में भी वह बात नहीं है जिसकी हम मांग कर रहे थे। हमने अनिवार्य वस्तु कानून को रद्द करके इसकी जगह नया कानून लाने की मांग की थी, जिसमें हमें अदालत का दरवाजा खटखटाने का प्रावधान दिया गया हो लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नए कानून में भी नौंवें शेड्यूल में कोई बदलाव नहीं किया गया। लेकिन जो कानून मौजूदा केंद्र सरकार ने पारित किए हैं उनमें अब भी काफी सुधार की जरूरत है।
राहुल के ट्वीट के बाद कैप्टन का 2016 का ट्वीट वायरल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से सोमवार को ट्वीट किया गया जिसमें उन्होंने लिखा, ‘अंबानी-अडानी कृषि कानून रद करने होंगे और कुछ भी मंजूर नहीं।’ इस पर इंटरनेट मीडिया में लोगों ने कैप्टन के 2016 वाले ट्वीट को वायरल कर दिया। इस ट्वीट में कैप्टन ने कहा था कि हम पंजाब में रिलायंस ग्रुप को लाए थे, अकालियों ने उनके साथ डील रद करके पंजाब के डेढ़ लाख किसानों को नुकसान पहुंचाया। रिलायंस रिटेल 3000 करोड़ के एग्री बिजनेस से किसानों की आय तीन गुना हो जाती, परंतु अकालियों ने इसे रद कर दिया।