ब्याज पर ब्याज न वसूलने के सरकार के प्रस्ताव का आपकी ईएमआई पर क्या असर पड़ेगा?

राहत मिलना तय है, लेकिन कितनी और कैसे? इसका जवाब जल्द ही मिलेगा सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर को केंद्र सरकार के एफिडेविट पर जवाबों को सुनेगी

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नई दिल्ली। सरकार ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दो करोड़ रुपए तक के कर्ज पर मोरेटोरियम पीरियड में ब्याज पर ब्याज नहीं देना पड़ेगा। केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन लेने वालों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।

भले ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर जवाब देने के लिए सभी संबंधितों को एक हफ्ते का समय दिया है, कर्ज लेने वाले बड़ी राहत की उम्मीद कर सकते हैं। कोर्ट में इस मामले में अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। यानी इस प्रस्ताव का वास्तविक असर आपके लोन पर कितना पड़ेगा, यह आपके लोन अमाउंट, इंटरेस्ट रेट, बची हुई ईएमआई का टेन्योर और मोरेटोरियम में कितने महीने तक लाभ उठाया है, इस पर निर्भर करेगा। हमने बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी से यह समझने की कोशिश की कि सरकारी प्रस्ताव आपकी ईएमआई को कैसे प्रभावित करेगा?

सबसे पहले, यह मामला है क्या?

  • रिजर्व बैंक ने जब मोरेटोरियम की घोषणा की, तो वह लोन में कोई छूट नहीं थी। वह एक सुविधा थी, ताकि कोविड-19 से प्रभावित लोगों को तत्काल राहत मिल सके। लोन पर ब्याज तो लगना ही था और वह प्रिंसिपल लोन अमाउंट में जुड़ा और उस ब्याज पर भी ब्याज लगा। सुप्रीम कोर्ट में जो केस चल रहा है, वह इसी ब्याज पर ब्याज माफ करने के लिए है।
  • केंद्र सरकार ने कोर्ट में पिछले हफ्ते कहा कि वह 2 करोड़ रुपए तक के व्यक्तिगत और एमएसएमई के लोन पर ब्याज पर ब्याज नहीं लगने देगी। यह वह अपनी ओर से चुकाएगी। सूत्रों का कहना है कि इसमें 6 से 7 हजार करोड़ रुपए लग सकते हैं। हालांकि, इस पीरियड में जो ब्याज लगा, वह सरकार नहीं देने वाली। वह तो लोन लेने वाले को ही चुकाना होगा।

ब्याज पर ब्याज कितना नुकसान कराता?

  • मान लीजिए कि आपने 20 साल के लिए 8.50% की ब्याज दर से 50 लाख रुपए का होम लोन लिया है। इस होम लोन पर 1.041 करोड़ रुपए चुकाने हैं। पहली 12 ईएमआई आपने चुका दी थी। फिर ईएमआई नंबर 13 से 19 तक आपने कोविड-19 के लिए मिले मोरेटोरियम का लाभ उठाया।
  • इससे, आपको जो कुल अमाउंट बैंक को लौटाना था, वह 1.041 करोड़ से बढ़कर 1.18 करोड़ रुपए हो गया। लोन टेन्योर भी 240 से बढ़कर 280 महीने हो गया। लोन मोरेटोरियम का लाभ उठाने वालों को बहुत नुकसान होता। सरकार के प्रस्ताव से उन्हें काफी हद तक राहत मिलेगी।

सरकारी प्रस्ताव से क्या राहत मिलेगी?

  • कंज्यूमर को यह समझना होगा कि सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला सुनाएं, मुद्दा ब्याज का नहीं है, बल्कि उस पर लगने वाले कम्पाउंडिंग इंटरेस्ट यानी चक्रवृद्धि ब्याज का है। उन्हें मोरेटोरियम का लाभ उठाने पर ब्याज तो चुकाना ही होगा। पूरा ब्याज माफ नहीं होने वाला।
  • ऊपर दी गई परिस्थिति को ही आधार माने तो 50 लाख रुपए के होम लोन पर मोरेटोरियम के दौरान दो लाख रुपए से ज्यादा का ब्याज बना। यह कंज्यूमर को चुकाना ही होगा। यह ब्याज आपके प्रिंसिपल अमाउंट में जुड़ा और इस पर भी ब्याज बना। यह ब्याज पर ब्याज आपकी ओर से सरकार चुकाएगी।

सरकारी प्रस्ताव से आपको क्या फायदा होने वाला है?

  • मोरेटोरियम पीरियड में दो लाख रुपए का अतिरिक्त ब्याज आपके प्रिंसिपल अमाउंट से जुड़ा था। यदि आप ईएमआई टेन्योर नहीं बढ़ाते तो आपको यह दो लाख रुपए चुकाने के लिए 900 रुपए प्रतिमाह ईएमआई बढ़ानी होती। यानी बिना टेन्योर बढ़ाए आप 228 महीने बाद लोन से मुक्त हो सकते हैं।
  • यदि ब्याज पर भी ब्याज वसूला जाता तो 228 महीने तक इन दो लाख रुपए पर 8.50% की ब्याज वसूला जाता तो आपको यह दो लाख रुपए चुकाने के लिए करीब 1,700 रुपए की ईएमआई देनी होती। सरकार ब्याज पर ब्याज चुका रही है। इससे आपको हर महीने 800 रुपए की बचत होगी।

राहत का कैलकुलेशन इस समय क्यों नहीं किया जा सकता?

  • हमने जो भी डिस्कस किया, वह सरकार के प्रस्ताव के आधार पर है। सुप्रीम कोर्ट ने अब तक फैसला नहीं सुनाया है। इतना ही नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं है कि जिन लोगों ने मोरेटोरियम का लाभ नहीं उठाया और इस दौरान ईएमआई चुकाई, उन्हें क्या लाभ मिलेगा?
  • अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार सभी को राहत देने के लिए उपाय कर रही है। यह क्या और कैसे होगा, आने वाले दिनों में साफ हो सकेगा। अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी आपको बैंक से ही पता चल सकेगा कि कितना और कैसा लाभ हुआ है।

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