बिहार में चुनाव का ऐलान LIVE:बिहार में 3 चरण में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को वोटिंग, 10 नवंबर को नतीजे; शाम 5 की बजाय 6 बजे तक वोटिंग होगी यानी 11 घंटे

सीईसी सुनील अरोड़ा ने बताया- 1.73 लाख वीवीपैट, 46 लाख मास्क, 7.6 लाख फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े हैंड ग्लव्स और 6 लाख पीपीई किट्स का इस्तेमाल होगा ‘2015 में पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त 6.7 करोड़ वोटर थे, अब 7.29 करोड़ वोटर हैं’

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नई दिल्ली। चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हो चुकी है। कुछ देर में बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होगा। साथ ही मध्य प्रदेश की 28 सीटों समेत कुल 56 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की भी घोषणा होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव टालने की याचिका भी खारिज कर दी।

चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर रहा है। 3 चरणों में चुनाव होंगे। पहले फेज में 28 अक्टूबर को 71 सीटों पर चुनाव होंगे। इसमें 16 जिले, 31 हजार पोलिंग बूथ होंगे। दूसरे फेज में 3 नवंबर को 94 सीटों पर मतदान होगा। इसमें 17 जिले, 42 हजार पोलिंग बूथ होंगे। तीसरे फेज में 7 नवंबर को 78 सीटों पर वोटिंग होगी। इसमें 15 जिले, 33.5 हजार पोलिंग बूथ होंगे। 10 नवंबर को नतीजे आएंगे।

मुख्य चुनाव आयुक्त के ऐलान की बड़ी बातें

कोरोना दौर का सबसे बड़ा चुनाव

70 देशों ने चुनाव टाल दिए, लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गए न्यू नॉर्मल होता हो गया क्योंकि कोरोना के जल्दी खत्म होने के संकेत नहीं मिले। हम चाहते थे कि लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार बना रहे। उनके स्वास्थ्य की भी हमें चिंता करनी थी। आज हम यहां बिहार चुनाव की घोषणा करने आए हैं। यह कोरोना के दौर में देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया का पहला सबसे बड़ा चुनाव होने जा रहा है।’

बिहार में 243 सीटें हैं। 38 सीटें आरक्षित हैं। हमने एक पोलिंग बूथ पर वोटरों की संख्या 1500 की जगह 1000 रखने का फैसला किया था। 2015 में पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त 6.7 करोड़ वोटर थे। अब 7.29 करोड़ वोटर हैं।

मास्क-ग्लव्ज दिए जाएंगे, वोटिंग का समय भी बढ़ा

1.73 लाख वीवीपैट का इस्तेमाल होगा। 46 लाख मास्क, 7.6 लाख फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े हैंड ग्लव्स और 6 लाख पीपीई किट्स का इस्तेमाल होगा। वोटिंग का समय एक घंटा बढ़ा दिया गया है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को छोड़कर सामान्य इलाकों में सुबह 7 से शाम 5 की बजाय सुबह 7 से शाम 6 के बीच वोटिंग होगी।

नामांकन के लिए नियम तय

इस दौरान उम्मीदवार 5 की जगह 2 ही गाड़ियां साथ ले जा सकेंगे। कोरोना के जो मरीज क्वारैंटाइन हैं, वे वोटिंग के दिन आखिरी घंटे में ही मतदान कर पाएंगे।

सोशल मीडिया पर नजर

जिस जगह जरूरत और मांग होगी, वहां पोस्टल बैलट सुविधा दी जाएगी। सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर नजर रहेगी, ताकि सांप्रदायिक सद्भाव बना रहे। हेट स्पीच पर सख्ती से निपटेंगे।

चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर रहा है।। साथ ही मध्य प्रदेश की 28 सीटों समेत कुल 56 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की भी घोषणा होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव टालने की याचिका भी खारिज कर दी।

मुख्य चुनाव आयुक्त के ऐलान की बड़ी बातें

कोरोना दौर का सबसे बड़ा चुनाव

70 देशों ने चुनाव टाल दिए, लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गए न्यू नॉर्मल होता हो गया क्योंकि कोरोना के जल्दी खत्म होने के संकेत नहीं मिले। हम चाहते थे कि लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार बना रहे। उनके स्वास्थ्य की भी हमें चिंता करनी थी। आज हम यहां बिहार चुनाव की घोषणा करने आए हैं। यह कोरोना के दौर में देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया का पहला सबसे बड़ा चुनाव होने जा रहा है।’

बिहार में 243 सीटें हैं। 38 सीटें आरक्षित हैं। हमने एक पोलिंग बूथ पर वोटरों की संख्या 1500 की जगह 1000 रखने का फैसला किया था। 2015 में पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त 6.7 करोड़ वोटर थे। अब 7.29 करोड़ वोटर हैं।

मास्क-ग्लव्ज दिए जाएंगे, वोटिंग का समय भी बढ़ा

1.73 लाख वीवीपैट का इस्तेमाल होगा। 46 लाख मास्क, 7.6 लाख फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े हैंड ग्लव्स और 6 लाख पीपीई किट्स का इस्तेमाल होगा। वोटिंग का समय एक घंटा बढ़ा दिया गया है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को छोड़कर सामान्य इलाकों में सुबह 7 से शाम 5 की बजाय सुबह 7 से शाम 6 के बीच वोटिंग होगी।

नामांकन के लिए नियम तय

इस दौरान उम्मीदवार 5 की जगह 2 ही गाड़ियां साथ ले जा सकेंगे। कोरोना के जो मरीज क्वारैंटाइन हैं, वे वोटिंग के दिन आखिरी घंटे में ही मतदान कर पाएंगे।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की तारीखों का ऐलान हो गया है. कोरोना काल में यह पहला चुनाव है. बिहार में 7 करोड़ 79 लाख मतदाता हैं. इसमें महिला वोटर की संख्या 3 करोड़ 39 लाख है. चुनाव आयोग (Election Commission) ने बिहार में तीन चरणों में चुनाव कराने का फैसला किया है. पहले फेज में अक्टूबर को दूसरे फेज में….अक्टूबर को तीसरे फेज में… अक्टूबर को . और चौथे फेज में —तारीख को चुनाव होंगे.बिहार विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 243 है. 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं.

मतदान के अंतिम समय में कोरोना पीड़ित अपना वोट डाल सकेंगे, जिनके लिए अलग व्यवस्था होगी. प्रचार मूल रूप से वर्चुअल ही होगा, लेकिन डीएम छोटी रैली की जगह और वक्त तय करेंगे. हर पोलिंग बूथ पर साबुन, सैनिटाइजर समेत अन्य चीजों की व्यवस्था की जाएगी.

पिछला विधानसभा चुनाव 7 चरणों में संपन्न कराए गए थे. इस बार कोरोना और बाढ़ के चलते कम चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं. बता दें कि बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है. कोरोनाकाल में करवाए जा रहे इस इलेक्शन को लेकर चुनाव आयोग ‘सहज, सुगम और सुरक्षित मतदान’ का स्लोगन देने जा रहा है. इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में कोविड 19 संक्रमित मरीजों, दिव्यांगों और 80 वर्ष से अधिक आयु वाले मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट की सुविधा दी जा रही है.

कैसे होंगे चुनाव
कोरोना काल में चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए हैं. चुनाव आयोग के दिशानिर्देश के मुताबिक कोरोना में मास्क, सैनिटाइजर, ग्लव्स के इस्तेमाल के अलावा कई बातों का राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, मतदाताओं और चुनाव से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को ध्यान में रखना होगा. मतगणना के दिन एक हॉल में 7 से अधिक मतगणना टेबल नहीं होंगे. एक विधानसभा क्षेत्र की मतगणना 3 से 4 हॉल में होगी. उम्मीदवार को डोर टू डोर कैंपेन में सिर्फ 5 लोगों के जाने की इजाजत होगी. नामांकन के दौरान उम्मीदवार को अपने साथ दो लोग और दो गाड़ियों को ले जाने की इजाज़त होगी. बिहार विधान सभा चुनाव की घोषणा के बाद चुनाव आयोग आनेवाले दिनों में करेगा बिहार का दौरा.

आयोग ने बताया कि पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को  दूसरे चरण का मतदान  3 नवंबर और तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा. जबकि 10 नवंबर को परिणाम आएंगे.

बिहार में तीन चरणों में मतदान बताया गया कि बिहार में तीन चरणों में मतदान होगा. पहले चरण में 71, दूसरे में 94 सीटों पर मतदान होगा. CEC सुनील अरोड़ा ने बताया कि तीसरे चरण में 78 सीटों पर चुनाव होंगे.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी निर्देश- मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने प्लेटफ़ॉर्म के दुरुपयोग के खिलाफ सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम करें और अगर ऐसा कोई विवाद सामने आए ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए सख्त प्रोटोकॉल बनाए जाएं.

आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू- सीईसी अरोड़ा ने बताया कि इस घोषणा के साथ आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू हो गई है. इनके दिशानिर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने पहले से ही विस्तृत व्यवस्था की है.

पोलिंग बूथ पर खास व्यवस्था की जाएगी मतदान के दिन. लेकिन क्वारंटीन में रह रहे कोरोना पॉजिटिव लोग मतदान के दिन सबसे आखिरी घंटे में वोट दे सकेंगे. इस दौरान स्वास्थ्य अधिकारी मौजूद होंगे ताकि तमाम प्रोटोकॉल का पालन किया जा सके.

अगर किसी मतदाता का Temperature स्वास्थ्य मंत्रालय के तय तापमान से अधिक होता है तो ऐसे मतदाता को टोकन/सर्टिफिकेट दिया जाएगा और मतदान के आखिरी घंटे में मत देने के लिए बुलाया जाएगा. खास बात है कि कोरोना पॉजिटिव और संदिग्ध मतदाता को चुनाव आयोग ने पोस्टल बैलट की सुविधा भी प्रदान की है.

चुनाव प्रक्रिया के दौरान सैनिटाइजर, ग्लव्स, फेस शील्ड, मास्क, थर्मल स्कैनर का इस्तेमाल होगा.

चुनाव से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मियों को मास्क, सैनिटाइजर, फेस शील्ड, और ग्लव्स मिलेगा. सभी मतदाताओं को हैंड ग्लव्स दिये जाएंगे.

सिर्फ वर्चुअल प्रचार होगा- सीईसी अरोड़ा ने बताया कि सिर्फ वर्चुअल प्रचार होगा और अगर ऑफलाइन नामांकन कर रहे हैं तो 2 वाहन और 2 ही लोग साथ रहेंगे.

क्वारंटीन किए गए COVID19 मरीज़ वे मतदान के अंतिम दिन, अपने संबंधित मतदान केंद्रों पर, स्वास्थ्य अधिकारियों की देखरेख में अपना वोट डाल सकेंगे. : सीईसी सुनील अरोड़ा

बताया गया कि इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में पोलिंग बूथ पर वोटर्स की संख्या घटा दी गई है. राज्य में 7.29 करोड़ वोटर्स हैं  जिसमें 3.39 करोड़ महिला और 3.79 करोड़ पुरुष मतदाता हैं.

सीईसी सुनील अरोड़ा ने कहा कि जैसे-जैसे दिन- महीने बीतते गए और COVID19 का असर कम होने के  कोई संकेत नहीं दिखे तो यह महसूस किया गया कि लोगों को स्वास्थ्य और लोगों की सुरक्षा की सुरक्षा के लिए ईमानदार और व्यवस्थित प्रयास करते हुए मतदाताओं के लोकतांत्रिक अधिकारों को संतुलित करने के लिए कुछ रास्ता खोजना होगा.

ऑनलाइन कर सकेंगे नामांकन- इस बार विधानसभा चुनावों में प्रत्याशी ऑनलाइन नामांकन, डिपोजिट भर सकते हैं. साथ ही वे जीत का डिजिटल प्रमाण पत्र भी पा सकते हैं.

वोटिंग की समयावधि बढ़ी- इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव 7 बजे सुबह से 6 बजे शाम तक होंगे. हालांकि नक्सल प्रभावित इलाकों में यह लागू नहीं होगा.

CEC अरोड़ा ने जानकारी दी कि कोविड पेशेंट मतदान वाले दिन सबसे आखिरी में मतदान कर सकेंगे.

80 वर्ष या उससे ऊपर की उम्र वालों के लिए पोस्टल बैलेट- चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा ने जानकारी दी कि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में इस बार 80 वर्ष या उससे ऊपर की उम्र वाले लोग पोस्टल बैलेट से वोट डाल सकेंगे. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल 65 वर्ष से ही यह मांग कर रहे थे लेकिन ज्यादा बूथों की संख्या होने के कारण ऐसा नहीं किया गया.

विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर, 2020 को समाप्त –मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि बिहार राज्य में विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर, 2020 को समाप्त होने वाला है. बिहार विधानसभा में 243 सदस्यों की संख्या है, जिनमें से 38 सीटें एससी और दो एसटी के लिए आरक्षित हैं.

बता दें कोरोना काल में हो रहे चुनाव के लिए आयोग ने मतदान बूथों पर सोशल डिस्टेंसिंग के सख्ती से हो पालन करने, जहां महिला वोटरों की संख्या कम हो वहां ये संख्या बढ़ाने, कैम्प लगाकर पुरुष व महिला वोटरों का अनुपात ठीक करने, वापस आये मजदूरों को शत-प्रतिशत वोटर बनाने, दिव्यांग वोटरों की सहभगिता सौ प्रतिशत करने, कोरोना को देखते हुए क्राउड मैनेजमेंट हो बेहतर करने और पर्याप्त संख्या में निर्वाचनकर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए  हैं.

मध्य प्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव

मध्य प्रदेश में 22 सीटों से ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने इस्तीफा देकर कमलनाथ की सरकार मार्च में गिरा दी थी. जबकि दो सीटें भाजपा विधायकों के निधन से खाली हुई हैं. हाल ही में कांग्रेस का दामन छोड़कर तीन विधायकों प्रद्युम्न सिंह लोधी, सुमित्रा देवी और नारायण पटेल ने इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी.
यूपी में मल्हनी- जौनपुर, बांगरमऊ- उन्नाव ,देवरिया ,स्वार-रामपुर ,टूण्डला- फिरोजोबाद, बुलंदशहर, घाटमपुर- कानपुर और नौंगाव सादात सीट पर चुनाव होंगे.

उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश!
उम्मीदवार को डोर टू डोर कैंपेन में सिर्फ 5 लोगों के साथ जाने की इजाजत होगी. यानी उम्मीदवार अपने साथ सिर्फ 4 लोगों को साथ ले जा सकेगा. इसके अलावा नामांकन के दौरान उम्मीदवार को अपने साथ दो लोग और दो गाड़ियों को ले जाने की इजाजत होगी. इसके अलावा पहली बार जमानत राशि ऑनलाइन भरने की सुविधा दी गई है. पब्लिक मीटिंग और रोड शो की अनुमति गृह मंत्रालय और राज्यों के कोरोना पर दिशानिर्देशों के अनुसार मिलेगी. रोड शो में 5-5 गाड़ियों के बीच में आधे घंटे का गैप होना चाहिए.

अपडेट्स…
  • मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा, ‘‘70 देशों ने चुनाव टाल दिए, लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गए न्यू नॉर्मल होता हो गया क्योंकि कोरोना के जल्दी खत्म होने के संकेत नहीं मिले। हम चाहते थे कि लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार बना रहे। उनके स्वास्थ्य की भी हमें चिंता करनी थी। आज हम यहां बिहार चुनाव की घोषणा करने आए हैं। यह कोरोना के दौर में देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया का पहला सबसे बड़ा चुनाव होने जा रहा है।’’
  • ‘‘बिहार में 243 सीटें हैं। 38 सीटें आरक्षित हैं। हमने एक पोलिंग बूथ पर वोटरों की संख्या 1500 की जगह 1000 रखने का फैसला किया था। 2015 में पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त 6.7 करोड़ वोटर थे। अब 7.29 करोड़ वोटर हैं।’’
  • ‘‘1.73 लाख वीवीपैट का इस्तेमाल होगा। 46 लाख मास्क, 7.6 लाख फेस शील्ड, 23 लाख हैंड ग्लव्स का इस्तेमाल होगा।’’
  • ‘‘वोटिंग का समय एक घंटा बढ़ा दिया गया है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को छोड़कर सामान्य इलाकों में सुबह 7 से शाम 5 की बजाय सुबह 7 से शाम 6 के बीच वोटिंग होगी।’’

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव टालने की खारिज कर दी। पिछले महीने भी कोर्ट ने ऐसी ही एक अर्जी खारिज की थी। कोर्ट ने कहा कि कोरोना के चलते एक राज्य के चुनाव को टाला नहीं जा सकता। कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश नहीं दे सकता। पिछले बार 5 चरणों में चुनाव हुए थे। कोरोना के चलते इस बार 2 से 3 चरणों में चुनाव कराए जा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विधानसभा चुनाव टाले जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार किया है. याचिकाकर्ता ने राज्य में कोरोना के चलते बिगड़े हालात का हवाला दिया था. कोर्ट ने कहा- हम पहले ही साफ कर चुके है कि  चुनाव आयोग  हालात के मुताबिक सभी चीजों को ध्यान में रखकर फैसला लेने में समर्थ है.

 

बिहार में कुल 243 सीटों पर चुनाव होगा, राज्य में 29 नवंबर तक विधानसभा का कार्यकाल है. इस बार पोलिंग स्टेशन की संख्या और मैनपावर को बढ़ाया गया है. बिहार में 2020 के चुनाव में सात करोड़ से अधिक वोटर मतदान करेंगे. इस बार एक बूथ पर सिर्फ एक हजार ही मतदाता होंगे.
इस बार चुनाव में 6 लाख पीपीई किट राज्य चुनाव आयोग को दी जाएंगी, 46 लाख मास्क का इस्तेमाल भी होगा. सात लाख हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाएगा, साथ ही 6 लाख फेस शील्ड को उपयोग में लाया जाएगा.

चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हो गई है और अब चुनाव तारीखों का ऐलान हो रहा है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कोरोना संकट की वजह से दुनिया के 70 देशों में चुनावों को टाल दिया गया. कोरोना संकट के बीच बिहार और उपचुनावों को लेकर लगातार मंथन किया गया. बिहार चुनाव देश के सबसे बड़े राज्यों में है और ये चुनाव कोरोना काल का सबसे बड़ा चुनाव है.

2015 में साथ लड़े थे राजद और जदयू

2015 के चुनाव में राजद जदयू और कांग्रेस साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था। इस गठबंधन को 178 सीटें मिलीं थी। लेकिन, डेढ़ साल बाद ही नीतीश महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में चले गए। इस चुनाव में एनडीए में भाजपा, लोजपा और हम (सेक्युलर) के साथ जदयू भी है। वहीं, पिछले चुनाव में एनडीए का हिस्सा रही रालोसपा महागठबंधन के साथ है।

2019 लोकसभा चुनाव में 223 विधानसभा सीटों पर आगे था एनडीए

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में 39 सीटें एनडीए को मिली थीं। सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार जीता था। लोकसभा के नतीजों को अगर विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से देखें तो एनडीए को 223 सीटों पर बढ़त मिली थी। इनमें से 96 सीटों पर भाजपा तो 92 सीटों पर जदयू आगे थी। लोजपा 35 सीटों पर आगे थी। एक सीट जीतने वाला महागठबंधन विधानसभा के लिहाज से 17 सीटों पर आगे था। इनमें 9 सीट पर राजद, 5 पर कांग्रेस, दो पर हम (सेक्युलर) जो अब एनडीए का हिस्सा हैं और एक सीट पर रालोसपा को बढ़त मिली थी। अन्य दलों में दो विधानसभा क्षेत्रों में एआईएमआईएम और एक पर सीपीआई एमएल आगे थी।

मुख्यमंत्री पद के दावेदार

  • नीतीश कुमार: 2010 के चुनाव में नीतीश एनडीए की ओर से तो 2015 में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा थे। इस बार फिर वो एनडीए की ओर से सीएम फेस होंगे। पिछले 15 साल से राज्य में नीतीश की पार्टी सत्ता में है। इनमें 14 साल से ज्यादा नीतीश ही मुख्यमंत्री रहे हैं।
  • तेजस्वी यादव: महागठबंधन की ओर से इस बार तेजस्वी यादव चेहरा हो सकते हैं। लालू यादव के जेल जाने के बाद महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद का चेहरा तेजस्वी ही हैं। हाल ही में, राजद के पार्टी कार्यालय के बाहर चुनाव से जुड़ा जो पोस्टर लगाया गया उसमें अकेले तेजस्वी नजर आ रहे थे। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का चेहरा पोस्टर से गायब था।

चुनाव के बड़े मुद्दे

  • कोरोना: कोरोना के बीच हो रहे इन चुनावों में कोरोना भी मुद्दा होगा। तेजस्वी यादव कोरोना को लेकर लगातार सरकार पर हमला कर रहे हैं। कोरोनाकाल में नीतीश कुमार के घर से बाहर नहीं निकलने को भी उन्होंने मुद्दा बनाया है। वहीं, नीतीश की ओर से सरकार द्वारा पिछले छह महीने में उठाए कदमों को गिनाया जा रहा है।
  • किसान और खेती: केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े दो नए बिल भी इन चुनावों में बड़ा मुद्दा होंगे।
  • बेरोजगारी: राजद बेरोजगारी के मुद्दे को लगातार उठा रही है। प्रधानमंत्री के जन्मदिन को राजद ने राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस के रूप में मनाया। नीतीश सरकार लॉकडाउन के दौरान बिहार लौटे प्रवासियों से बिहार में ही रोजगार देने का दावा कर रही है।
  • विकास: जदयू और भाजपा जहां पिछली केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किए गए कामों को गिना रहे हैं। वहीं, राजद पिछले 15 साल में किए विकास के दावों को लगातार चुनौती दे रहा है।
  • प्रवासी मजदूर: लॉकडाउन के दौरान बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भी इस चुनाव में अहम होगा। सरकार जहां इन्हें प्रदेश में ही हर संभव मदद देने की बात कर रही है। वहीं, विपक्ष प्रवासियों के लिए समुचित इंतजाम नहीं करने पर सवाल उठा रहा है।
  • राम मंदिर : पिछले 30 साल से चुनावी मुद्दा रहा राम मंदिर इस बार भी बड़ा मुद्दा बना रहेगा। फर्क सिर्फ इतना होगा कि इस बार भाजपा इसके शिलान्यास को अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिनाएगी।

चुनाव प्रचार के चेहरे

  • नरेंद्र मोदी: भाजपा ने 2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद से हर चुनाव में मोदी ही भाजपा के लिए प्रचार का प्रमुख चेहरा रहे हैं। उनकी रैलियां भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का बड़ा जरिया रही हैं। इस बार बड़ी रैलियां होना मुश्किल है। ऐसे में मोदी की वर्चुअल रैलियां वोटर्स पर कितना असर डालती हैं ये देखना होगा।
  • नीतीश कुमार: जदयू और उससे पहले समता पार्टी के दौर से ही नीतीश हर चुनाव प्रचार में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा रहे हैं। इस चुनाव में एनडीए गठबंधन उनके ही चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगा।
  • तेजस्वी यादव: चुनावी राजनीति में महज पांच साल का अनुभव रखने वाले तेजस्वी यादव के हाथ में इस बार के चुनाव प्रचार की कमान होगी। राजद के गठन के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव होगा जब पार्टी लालू के बिना लड़ेगी।
  • राहुल गांधी: राहुल गांधी भले कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं लेकिन, चुनाव प्रचार में वो कितने सक्रिय रहते हैं इस पर नजर रहेगी। प्रियंका गांधी के चुनाव प्रचार पर भी सभी की नजर रहेगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तबियत को देखते हुए पार्टी राहुल और प्रियंका गांधी को आगे कर सकती है।
  • चिराग पासवान: लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान चुनाव प्रचार में अपनी पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा होंगे। एनडीए युवाओं और दलितों को लुभाने के लिए उनका इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि, पासवान और उनकी पार्टी की ओर से जिस तरह सीटों के लेकर बयान आ रहे हैं उससे तय है कि एनडीए में सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं होने वाला है।

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