नोएडा प्रशासन ने रविवार को आदेश जारी किया कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कोई भी शैक्षिक संस्थान पैरंट्स को लॉकडाउन पीरियड के दौरान फीस जमा करने के लिए मजबूर नहीं करेंगे। फीस नहीं जमा करने की स्थिति में छात्रों को ऑनलाइन कोर्स की सुविधा से भी वंचित नहीं किया जा सकता है। वहीं हरियाणा सरकार ने पिछले हफ्ते आदेश दिया था कि लॉकडाउन के समाप्त होने तक स्कूलों में फीस कलेक्शन की सभी गतिविधियों को रोक दिया जाए।
एक अभिभावक शुभम भारद्वाज ने कहा, ‘जब गुड़गांव और नोएडा के स्कूल ऐसा कर सकते हैं तो दिल्ली के स्कूल क्यों नहीं कर सकते हैं। सरकार को लॉकडाउन के लिए राहत पैकेज की घोषणा करके स्कूलों की ओर से फीस तलबी का समाधान किया जाना चाहिए।’ शुभम भारद्वाज एक आर्किटेक्ट हैं जिनका बिजनस लॉकडाउन की वजह से प्रभावित हुआ है। उनके दो बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं जिनकी फीस जमा करने के लिए स्कूल की ओर से मेसेज भेजे गए हैं।
एक अभिभावक ने अपनी चिंता साझा करते हुए कहा, ‘मुझे अपने दो बच्चों के लिए बस फीस के तौर पर 10-10 हजार रुपये देने पड़ते हैं। जब बच्चे बस का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो ऐसे में बस फीस वसूलना अनुचित है।’
दिल्ली पैरंट्स असोसिएशन ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है और लॉकडाउन की अवधि तक स्कूल फीस जमा से राहत दिलाने का आग्रह किया है।
असोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है, ‘चूंकि छोटे और मध्यम उद्यमों से कमाई बंद हो गई है और लोगों ने जो बचाकर रखा था, उसे भी रोजाना की जरूरतों के लिए खर्च कर दिया है, ऐसे में लोगों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। हम आग्रह करते हैं कि कम से कम तीन महीने के लिए फीस कलेक्शन पर रोक लगा दी जाए।’
डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन के अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में अभी कोई हल नहीं निकाला गया है और विभिन्न हितधारकों से सुझाव मांगे जा रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हमें पैरंट्स की ओर से मेसेज आ रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि लॉकडाउन पीरियड के लिए फीस माफ कर दी जाए। लेकिन स्कूलों का कहना है कि वे स्टाफ को सैलरी कैसे देंगे। उनकी भी चिंता जायज है। जहां तक फीस मामले का संबंध है तो सरकार ने पैरंट्स के लिए सक्रिय रूप से काम किया है लेकिन यह पेचीदा स्थिति है। अगर किसी के पास स्थिति का संतुलित हल है तो हम उनसे इसे साझा करने का आग्रह करते हैं।’
प्राइवेट स्कूलों का कहना है कि लॉकडाउन की पीरियड कोई छुट्टी का समय नहीं है। स्टाफ जैसे स्कूल में काम करते थे, वैसे ही घरों पर कर रहे हैं बल्कि शिक्षकों का काम और मुश्किल हो गया है।
आपको बता दें कि देश में कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन चल रहा है। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और सभी शैक्षिक संस्थान बंद हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रविवार को कहा कि स्थिति की समीक्षा करने के बाद 14 अप्रैल को स्कूलों और कॉलेजों को खोलने पर फैसला लिया जाएगा।