Economic Survey 2021 LIVE Updates: बजट सत्र से पहले सरकार की विपक्ष को मनाने की कोशिश, अभिभाषण के बहिष्कार पर पुनर्विचार करने को कहा

Budget Economic Survey 2021 LIVE Updates: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ आज बजट सत्र की शुरुआत होगी. इसके साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी. वहीं विपक्ष ने बजट सत्र में सरकार को घेरने के मंसूबे साफ कर दिए हैं. 18 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाहिष्कार का एलान किया है.

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Budget Economic Survey 2021 : राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ आज से संसद का बजट सत्र शुरू होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी. हालांकि किसानों के मुद्दों को लेकर 18 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का एलान किया है. जिसमें कांग्रेस समेत एनसीपी, टीएमसी, शिवसेना, एसपी, शिरोमणि अकाली दल, बीएसपी और आम आदमी पार्टी शामिल है.

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सत्र की शुरुआत से पहले कहा कि विपक्षी दलों के नेता राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें. बजट सत्र को लेकर दोपहर 2 बजे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. आपको बता दें कि 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी.

राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने की घोषणा करके विपक्षी दलों ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिये हैं. विपक्षी दलों ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन एवं उससे जुड़े घटनाक्रम पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है. इसके अलावा पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध, अर्थव्यवस्था की स्थिति, महंगाई जैसे मुद्दों को भी विपक्षी दल संसद में जोरदार ढंग से उठायेंगे.

पिछली बार मानसून सत्र की तरह ही इस सत्र में भी कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा और लोकसभा एवं राज्यसभा की कार्यवाही पांच-पांच घंटे की पालियों में संचालित होगी. राज्यसभा की कार्यवाही सुबह की पाली में और लोकसभा की कार्यवाही शाम की पाली में चलेगी. गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जा सका था. बजट सत्र में प्रश्नकाल आयोजित होगा. समय की कमी के कारण पिछले सत्र में प्रश्नकाल नहीं हो सका.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती की पार्टी बीएसपी ने भी आज किसान आंदोलन के समर्थन में आज संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार का फैसला किया है. मायावती ने ट्ववीट किया, ”बी.एस.पी. ने, देश के आन्दोलित किसानों के तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं मानने व जनहित आदि के मामलों में भी लगातार काफी ढुलमुल रवैया अपनाने के विरोध में, आज मा. राष्ट्रपति के संसद में होने वाले अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला लिया है. साथ ही, कृषि कानूनों को वापस लेकर दिल्ली आदि में स्थिति को सामान्य करने का केन्द्र से पुनः अनुरोध तथा गणतंत्र दिवस के दिन हुए दंगे की आड़ में निर्दोष किसान नेताओं को बलि का बकरा न बनाए. इस मामले में यूपी के बीकेयू व अन्य नेताओं की आपत्ति में भी काफी सच्चाई. सरकार ध्यान दे.”

सत्र से पहले सरकार की विपक्ष को मनाने की कोशिश
किसानों के मुद्दों को लेकर 18 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का एलान किया है. जिसमें कांग्रेस समेत एनसीपी, टीएमसी, शिवसेना, एसपी, शिरोमणि अकाली दल, बीएसपी और आम आदमी पार्टी शामिल है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सत्र की शुरुआत से पहले कहा कि विपक्षी दलों के नेता राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें.

बजट पेश होने से पहले संसद में एक दस्तावेज पेश होता है, उसे इकोनॉमिक सर्वे या आर्थिक सर्वेक्षण कहते हैं। ये तो रही इकोनॉमिक सर्वे की एक लाइन की परिभाषा। लेकिन, इकोनॉमिक सर्वे होता क्या है? ये कितना जरूरी होता है? इसके बारे में अब आसान भाषा में समझते हैं…

सबसे पहले बात, ये इकोनॉमिक सर्वे चीज क्या है?
हम उस देश में रहते हैं, जहां मिडिल क्लास लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। हमारे यहां ज्यादातर घरों में एक डायरी बनाई जाती है। इस डायरी में पूरा हिसाब-किताब रखते हैं। साल खत्म होने के बाद जब हम देखते हैं तो पता चलता है कि हमारा घर कैसा चला? हमने कहां खर्च किया? कितना कमाया? कितना बचाया? इसके आधार पर फिर हम तय करते हैं कि हमें आने वाले साल में किस तरह खर्च करना है? बचत कितनी करनी है? हमारी हालत कैसी रहेगी?

ठीक हमारे घर की डायरी की तरह ही होता है इकोनॉमिक सर्वे। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है? इकोनॉमिक सर्वे में बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र रहता है। इकोनॉमिक सर्वे को बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।

इकोनॉमिक सर्वे कौन तैयार करता है?
वित्त मंत्रालय के अंडर एक डिपार्टमेंट है इकोनॉमिक अफेयर्स। इसके अंडर एक इकोनॉमिक डिवीजन है। यही इकोनॉमिक डिवीजन चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर यानी CEA की देख-रेख में इकोनॉमिक सर्वे तैयार करती है।

इस वक्त CEA डॉक्टर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम हैं। पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में पेश किया गया था। 1964 तक इसे बजट के साथ ही पेश किया जाता था। लेकिन, बाद में इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा।

इकोनॉमिक सर्वे क्यों जरूरी होता है?
ये कई मायनों में जरूरी होता है। इकोनॉमिक सर्वे एक तरह से हमारी अर्थव्यवस्था के लिए डायरेक्शन की तरह काम करता है। क्योंकि इसी से पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है और इसमें सुधार के लिए हमें क्या करने की जरूरत है?

इकोनॉमिक सर्वे से ही अर्थव्यवस्था का ट्रेंड पता चलता है। इसी के आधार पर सरकार को सुझाव दिए जाते हैं। जैसे-पिछले साल के इकोनॉमिक सर्वे में सुझाव दिया गया था कि अगर भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, तो इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 1.4 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने की जरूरत है।

क्या सरकार के लिए इसे पेश करना जरूरी है?
ऐसा जरूरी तो नहीं है। सरकार इकोनॉमिक सर्वे को पेश करने और इसमें दिए गए सुझावों या सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं है। अगर सरकार चाहे तो इसमें दिए गए सारे सुझावों को खारिज कर सकती है। फिर भी इसकी अहमियत है क्योंकि इससे बीते साल की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा पता चलता है।

दो वॉल्यूम में आता है इकोनॉमिक सर्वे
पहले इकोनॉमिक सर्वे एक ही वॉल्यूम में पेश किया जाता था। लेकिन, 2014-15 से इसे दो वॉल्यूम में पेश किया जाने लगा। आमतौर पर पहले वॉल्यूम में अर्थव्यवस्था की चुनौतियों पर फोकस रहता है और दूसरे वॉल्यूम में अर्थव्यवस्था के सभी खास सेक्टर्स का रिव्यू होता है। इसके अलावा स्टेटिस्टिकल अपेंडिक्स भी आता है, जिसमें कई तरह के आंकड़े होते हैं।

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