नवरात्र 17 अक्टूबर से:घट स्थापना के लिए 3 मुहूर्त, सर्वार्थसिद्धि और 3 राजयोग में नवरात्र शुरू होना देश के लिए शुभ

इस बार देवी का आगमन घोड़े पर और प्रस्थान भैंसे पर होना राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत नवरात्र में प्रॉपर्टी और व्हीकल खरीदारी के लिए रहेंगे विशेष शुभ मुहूर्त

17 अक्टूबर, शनिवार यानी कल से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है, जो 25 अक्टूबर तक रहेगी। शनिवार को घट स्थापना के लिए दिनभर में 3 शुभ मुहूर्त हैं। नवरात्रि के पहले दिन सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है, जिसका शुभ प्रभाव देशभर में रहेगा।

काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक, इस शक्ति पर्व के दौरान खरीदारी के लिए हर दिन शुभ मुहूर्त रहेंगे। साथ ही, महाभाग्य, सत्कीर्ति और शश नाम के 3 राजयोग में नवरात्र की शुरुआत हो रही है। सूर्य, चंद्रमा और शनि से बनने वाले इन शुभ योगों में नवरात्रि कलश स्थापना होना देश के लिए शुभ संकेत हैं।

इस तरह ग्रहों की शुभ स्थिति से देश में फैली बीमारी से राहत मिलने की संभावना है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि मजबूत होगी और देश उन्नति करेगा। इस नवरात्र में नवमी तिथि 24 और 25 अक्टूबर, यानी दोनों दिन है। इसलिए, पंचांग भेद होने की वजह से देश के कुछ हिस्सों में दशहरा 25 को, तो कहीं 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

घट स्थापना के शुभ मुहूर्त

  • सुबह 8:36 से 10:53 तक। ये वृश्चिक स्थिर लग्न मुहूर्त है। इस दौरान घट स्थापना करने से स्थिर सुख, समृद्धि और धन लाभ मिलने की मान्यता है।
  • सुबह 11:36 से दोपहर 12:24 तक। यह अभिजित मुहूर्त है। माना जाता है इस मुहूर्त में घट स्थापना करने से अच्छी सेहत, सौभाग्य और ऐश्वर्य बढ़ता है।
  • दोपहर 2:26 से शाम 4:17 तक। ये कुंभ लग्न है। मान्यता है कि इस लग्न में घट स्थापना करने से पराक्रम बढ़ता है, दुश्मनों पर जीत मिलती है और पद-प्रतिष्ठा भी मिलती है।
चौघड़िया अनुसार शुभ मुहूर्त
चौघड़िया समय
शुभ सुबह 8:00 से 9:30 तक
चर दोपहर 12:30 से 2:00 तक
लाभ दोपहर 2:00 से 3:30 तक
अमृत दोपहर 3:30 से शाम 5:00 तक

​​​​देवी का आगमन-प्रस्थान और शुभ मुहूर्त
इस बार देवी का आगमन घोड़े पर और प्रस्थान भैंसे पर होगा। इसका मिला-जुला फल देश की राजनीतिक स्थिति पर पड़ेगा, जिससे देश के कुछ हिस्सों में बड़े बदलाव हो सकते हैं। वहीं, तुला संक्रांति में नवरात्र शुरू होने से अशुभ फल में कमी आ सकती है। वहीं, नवरात्र में रवियोग, त्रिपुष्कर और सर्वार्थसिद्धि जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं। इनमें प्रॉपर्टी, व्हीकल और सुख-सुविधाओं के सामानों की खरीदारी करना शुभ रहेगा।

कलश स्थापना शुभ समय

घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है। अगर किसी कारणवश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं, तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। यह 40 मिनट का होता है। हालांकि, इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।

कलश स्था‍पना की तिथि और शुभ मुहूर्त

कलश स्था‍पना की तिथि: 17 अक्टूबर 2020

कलश स्था‍पना का शुभ मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक।

कुल अवधि: 03 घंटे 49 मिनट

कलश स्थापना कैसे करें

-नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें।

-मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं और कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।

अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्सेे में मौली बांधें।

-अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें।

-इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।

-अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें। फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें।

-अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें, जिसमें आपने जौ बोएं हैं।

-कलश स्थाशपना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्पब लिया जाता है।

-आप चाहें तो कलश स्था पना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योोति भी जला सकते हैं।

घोड़े पर सवार आएंगी मां दुर्गा

विद्वानों के अनुसार इस बार शनिवार को घट स्थापना होने से देवी का वाहन घोड़ा रहेगा। इसके प्रभाव से पड़ोसी देश से तनाव बढ़ने की आशंका है और देश में राजनीतिक उथल-पुथल भी हो सकती है।

जानिये किस दिन कौन-सी देवी की होगी पूजा

17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना

18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा

20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा

21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा

22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा

23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा

24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा

25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा

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