देश व्यापी हड़ताल का बठिंडा में समर्थन, कई बैंकों में रखा कामकाज बंद, ठेका प्रणाली पर भर्ती बंद करने व लोक विरोधी कानूनों को रद्द करने की रखी मांग

देश व्यापी हड़ताल और किसानों की हिमायत में रैली और मुज़ाहरा खेती आर्डीनैंस,बिजली संशोधन बिल 2020,नए कामगार कानूनों समेत दूसरे लोकविरोधी कानूनों को रद्द करे सरकार-नेता

बठिंडा. केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ मजदूर संघों की एक दिन की हड़ताल से जिले में सरकारी विभागों में कामकाज पूरी तरह से प्रभावित रहा। इस हड़ताल में कई बैंक कर्मचारी संगठनों के शामिल होने से गुरुवार को बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुई। वही नगर निगम, सीवरेज बोर्ड के साथ कुछ संगठनों के प्राइवेट कर्मियों ने भी हड़ताल के समर्थन में कामकाज बंद रखा। इस हड़ताल में सार्वजनिक, निजी और कुछ विदेशी बैंकों के जिले में तीन हजार से अधिक कर्मचारी शामिल हुए हैं। भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर 10 केंद्रीय मजदूर संगठनों ने सरकार की विभिन्न नीतियों के खिलाफ गुरुवार को एक दिन की हड़ताल का आह्वान किया।

इस बीच कई बैंकों ने अपने ग्राहकों को पहले ही सूचित किया था कि वे बैंकिंग संबंधित लेनदेन और अन्य सेवाओं के लिए इंटरनेट, मोबाइल बैंकिंग और एटीएम जैसे डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करें। ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लॉइज (एनसीबीई) और बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) से जुड़े बैंक कर्मचारी हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं। बैंक अधिकारियों के एक संगठन- अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने भी हड़ताल को समर्थन दिया है। एआईबीईए, भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक के कर्मचारियों को छोड़कर लगभग सभी बैंक कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था हड़ताल में शामिल है। विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्र के पुराने बैंकों समेत कुछ विदेशी बैंकों के कर्मचारी भी एआईबीईए के सदस्य हैं। बैंक कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन की वजह से बैंकों का निजीकरण और क्षेत्र में विभिन्न नौकरियों को आउटसोर्स करना या संविदा पर करना है। इसके अलावा बैंक कर्मचारियों की मांग क्षेत्र के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों की भर्ती करना और बड़े कॉरेपोरेट ऋण चूककर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना भी है।


पंजाब एंड चंडीगढ़ मेडिकल एंड सेल्ज रीप्रेजेटिव यूनियन ने दवाईयों की आनलाइन बिक्री व मेडिकल डिवाइस बेचने के साथ किसान व कर्मचारी विरोधी नीति के खिलाफ बठिंडा में प्रदर्शन किया। एसोसिएशन के प्रधान अमृतपाल सिंह, सचिव एमआर गणेश ने कहा कि पीसीएसएसआरयू बठिंडा के अहवान पर वीरवार को हड़ताल रखी गई व किसानों व कर्मियों के आंदोलन का समर्थन किया गया। वही सफाई कर्मचारी यूनियन नगर निगम बठिंडा ने भी हड़ताल का समर्थन करते अपनी लंबित मांगों को जल्द पूरा करवाने के लिए अधिकारियों को मांगपत्र सौंपा। इसमें दोपहर बाद कामकाज बंद रख नगर निगम दफ्तर के समक्ष धरना देकर रैली निकाली गई। यूनियन के प्रधान वीरभान, संरक्षक जगदीश कुमार, उप संरक्षक किशोर कुमार, चेयरमैन अर्जुन गोहर, उपचेयरमैन होला, महसचिव विक्रम कुमार विक्की, ज्वाइंट सचिव जसपाल जस्सू ने कहा कि कर्मचारियों की खाली पोस्टों को भरने, ठेके पर भर्ती कर्मियों को पक्का करने, कर्मचारियों को सुविधाएं प्रदान करने सहित दर्जनों मांगों को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है।

वही सफाई सेवक यूनियन पंजाब के प्रधान अशोक सारवान, वित्त सचिव रमेश कुमार वैद्य़,महासचिव रमेश गौचड, सोमनाथ, फतेह चंद सहित सैकड़ों कर्मियों ने मांग पत्र निगम अधिकारियों को सौंपते ठेका प्रणाली को समाप्त करने, ठेके पर रखे कर्मियों को पक्का करने, शहर की बीट अनुसार नई भर्ती करने, समान काम समान वेतन नीति लागू करे, दफ्तरी कर्मचारियों से विभाग के अलावा दूसरा काम नहीं लिया जाए, नीचले स्तर पर काम कर रहे कर्मियों की प्रमोशन, सफाई कर्मियों को काम संबंधी साजों सामान देने जैसे दर्जनों मांगों को जल्द पूरा करने के लिए कहा। वही पंजाब सबोर्डिनेट सर्विस फैडरेशन ने भी देश व्यापी हड़ताल में हिस्सा लिया। एसोसिएशन के प्रधान हंसराज बिजवा, कोशाध्यक्ष जीतराम दोदड़ा, महासचिव गुरदीप सिंह बराड़ ने रोष रैली कर लंबित सरकारी कर्मियों की मांगों को जल्द पूरा करने के लिए कहा। इसमें जेपीएसयू की तरफ से बठिंडा में आयोजित रैली में संपर्क सिंह, प्रकाश सिंह पासा, रविंदर सिंह प्रधान पीआरटीसी आजाद यूनियन ने भी हिस्सा लिया।

देश व्यापी हड़ताल और किसानों की हिमायत में रैली और मुज़ाहरा- खेती आर्डीनैंस,बिजली संशोधन बिल 2020,नए कामगार कानूनों समेत दूसरे लोकविरोधी कानूनों को रद्द करे सरकार-नेता

बठिंडा. वीरवार को बठिंडा जिले की जनतक जत्थेबंदियों के नेताओं ठेका मुलाजीम संघर्ष मोर्चा पंजाब ने किसानों के समर्थन में हड़ताल कर विरोध जताया। इस दौरान संगठन के जगरूप सिंह, गुरविन्दर सिंह पन्नूं, वरिन्दर सिंह बीबीवाला, संदीप खान, डी.टी.एफ.पंजाब के रेशम सिंह खेमूआना,नौजवान भारत सभा से अश्वनी घुद्दा, टी.एस.यू.(भंगल) से सतीन्द्र सोनी और नरिन्दर कुमार, रमसा अध्यापक यूनियन (पंजाब) से हरजीत जीता, पंजाब खेत मज़दूर यूनियन से मनदीप सिविया,मज़दूर मुक्ति मोर्चा(पंजाब) से हरविन्दर सेमा, क्रांतिकारी ग्रामीण मज़दूर यूनियन (पंजाब) से सुखपाल ख्यालीवाला,जम्हूरी अधिकार सभा संतोष सिंह मल्लण, एस.एल.ई.यूनियन से गुरविन्दर सिंह, ई कोर्ट यूनियन से कमल कुमार, आंगणवाड़ी वर्कर्ज़ यूनियन से जसवीर कौर ने देश व्यापी हड़ताल और किसानी संघर्ष की ज़ोरदार हिमायत में डिप्टी कमिशनर दफ़्तर के सामने दिए धरने में हिस्सा लिया। उक्त नेताओं ने कहा कि केंद्र और सूबा सरकार की तरफ से सम्राजवाद और नई आर्थिक नीतियों के अंतर्गत आर्थिक सुधारों के नाम पर कोरोना वायरस की आड़ में लोगों को परेशान किया जा रहा है।

इसमें सरकार समूह कानूनों में लोक विरोधी संशोधन करके नए कामगार कानूनों में गैरमानवीय शोध,8 घंटे से काम समय बढ़ाकर 12 घंटे करना, चार कामगार कानूनों को तोड़कर एक सिविल कोड बनाना,नए खेती कानून, बिजली संशोधन कानून 2020, समेत कई दूसरे काले कानून लाकर लोगों पर मढ़ने जा रही हैं। यही नहीं समूह सरकारी संस्थानों जैसे कि सरकारी थर्मल, बिजली, पानी, सेहत, शिक्षा, ट्रांसपोर्ट, बीमों,बैंकों, एयरपोर्ट और हवाई एयरप्लेन आदि को कारपोरेटें के हवाले करने की नीयत के साथ समूह अदारों का पूर्ण निजीकरण किया जा रहा है। औद्योगिक विकास के नाम पर आदिवासियों, किसानों, खेत मज़दूरों की ज़मीन, जल, जंगल, कोयला खानों आदि पर जबरन कॉर्पोरेट घरानों के हवाले किये जा रहे हैं। धरने के दौरान नेताओं ने माँग रखी कि नये खेती कानूनों, बिजली संशोधन बिल 2020, नये कामगार कानूनों समेत ओर काले कानूनों को रद्द किया जाए, समूह विभागों के निजीकरण और पुनर्गठन की नीति को रद्द कर विभागों का सरकारीकरण किया जाए, समूह विभागों में ठेका भर्ती बंद करके पक्की भर्ती की जाए, आहलूवालीया समिति की सिफारश रद्द करके समिति को भी भंग किया जाए, समूह विभागों के ठेका मुलाजिमों को “वैल्लफेयर एक्ट 2016 अधीन लाकर रेगुलर किया जाए और वैल्लफेयर एक्ट 2016 को तोड़ने की नीति रद्द की जाये। धरने दौरान नेताओं ने हरियाणा की खट्टर सरकार की तरफ से किसानों पर किए अत्याचार और किसान जत्थों को रोकने के लिए पत्थरों, बेरीगेट और कँटीली तारों लगाकर संघर्ष करने के लोकतांत्रिक हकों को दबाने का विरोध किया गया। इस प्रदर्शन में जगसीर सिंह भंगू, खुशदीप सिंह, परविन्दर सिंह,गुरविन्दर सिंह, जसविन्दर सिंह आदि नेता हाजिर रहे।

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