दिल्ली में कई जगह रूट डायवर्जन, नोएडा से डीएनडी के रास्ते दिल्ली जा रहे वाहन चालक जाम में फंसे

Delhi Farmers Protest LIVE Update किसानों के हिंसक प्रदर्शन के बाद एहतियात के तौर पर बुधवार को दिल्ली के कई इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से सड़कों पुलिस जवान तैनात हैं और मेट्रो स्टेशन पर एंट्री बंद कर दिए गए हैं। हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश बॉर्डर तक आपसी होड़, शक्ति प्रदर्शन और सियासत के चलते यह आंदोलन बेलगाम और हिंसक हो गया। इसकी पटकथा तभी लिख दी गई थी, जब 40 संगठनों के किसान नेताओं की जमात ने तीनों कानूनों को वापस लेने की जिद पकड़ ली थी। उन्हें मनाने की हर संभव कोशिशें हुई। सरकार ने उनकी हर शंका के समाधान की कोशिश की, पर ये सभी अड़े रहे। इन्हें भय था कि अगर एक ने भी सकारात्मक रुख दिखाने की कोशिश की तो उसे आंदोलन से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।

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नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के बाद नोएडा-दिल्ली बार्डर की सड़कों पर बुधवार को जाम रहा। सरकारी कार्यदिवस होने के चलते फैक्ट्री, दफ्तर खुले होने के चलते नोएडा से दिल्ली जा रहे वाहन चालक डीएनडी व कालिंदी कुंज के पास जाम में फंसे। सबसे अधिक जाम सेक्टर-16 फिल्म सिटी फ्लाईओवर से डीएनडी टोल प्लाजा तक जाम रहा। करीब तीन किलोमीटर लंबा जाम रहा। जाम में फंसे वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

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Delhi Farmers Protest LIVE Update:

  • दिल्ली-एनसीआर में बुधवार सुबह 10: 30 बजे के करीब इंटरनेट सेवा बहाल हो गई। इससे दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों लोगों ने राहत की सांस ली है। इससे पहले मंगलवार को दोपहर में दिल्ली के कई इलाकों के साथ सोनीपत, नोएडा और गाजियाबाद में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी।
  • केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने बुधवार सुबह लाल किला पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। एक दिन पहले मंगलवार को प्रदर्शनकारी किसानों ने हिंसा के दौरा लाल किल पर झंडा लगा दिया था। इसके साथ लाल किला परिसर के अंदर घुसकर तोड़फोड़ भी की थी। इसकी तस्वीरें बुधवार को समाचार एजेंसी एएनआइ ने जारी की हैं।

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  • हालात को देखते हुए गाज़ीपुर मंडी, नेशनल हाइवे-9 और नेशनल हाइवे-24  को बंद कर दिया है। इसी के साथ ही दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने अपील है कि है कि जिसे दिल्ली से गाज़ियाबाद जाना है वह कड़कड़ी मोड़, शाहदरा और DND का प्रयोग करें। बताया जा रहा है कि मंगलवार को किसान दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे से दिल्ली में जबरन घुस गए थे। ऐसे में पुलिस ने बुधवार को एक्सप्रेस वे को बंद किया हुआ है, जबकि एनएच-9 पर यातायात चल रहा है।

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  • कालिंदी कुंज से नोएडा और नोएडा से कालिंदी कुंज के बीच भारी ट्रैफिक जाम लगा हुआ है। इस रूट पर दोनों ओर से एक लेन बंद कर दी गई है।
  • दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को हुए उपद्रव को लेकर बुधवार को पत्रकार वार्ता बुलाई है, जिसमें वह कई अहम खुलासे कर सकती है।
  • मंगलवार को देश की राजधानी में किसानों के उपद्रव के बाद बुधवार को सारे शहर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। संवेदनशील इलाकों में पुलिस के जवान तैनात हैं, तो सादी वर्दी में भी सुरक्षा कर्मी गश्त कर रहे हैं। वहीं, किसानों के हिंसक प्रदर्शन के बाद एहतियात के तौर पर बुधवार को दिल्ली के कई इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से सड़कों और मेट्रो स्टेशन पर एंट्री बंद कर दिए गए हैं।

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  • दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक बुधवार को होगी, जिसमें कुछ अहम फैसले लिए जा सकते हैं।
  • दिल्ली में आईटीओ, क्नॉट प्लेस, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, मिंटो रोड, राजघाट रोड, लाल किला रोड और प्रगति मैदान में सड़कों को बंद रखा गया है। इसके अलावा बारापूला से उतरकर लोधी रोड की तरफ बढ़ने वाला रास्ता, दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ जाने वाला रास्ता और पुरानी दिल्ली की तरफ जाने वाला रास्ता भी बंद है।

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भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait, BKU) का कहना है कि दीप सिद्धू सिख नहीं हैं, वे भाजपा के कार्यकर्ता हैं। पीएम के साथ उनकी एक तस्वीर है। यह किसानों का आंदोलन है और ऐसा ही रहेगा। कुछ लोगों को तुरंत इस जगह को छोड़ना होगा। जो लोग बैरिकेडिंग तोड़ चुके हैं वे कभी भी आंदोलन का हिस्सा नहीं होंगे। मंगलवार को हुई हिंसा के मद्देनजर 12 लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया है।

ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की AAP ने की निंदा

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ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की आम आदमी पार्टी (AAP) ने निंदा की है। साथ ही AAP ने हिंसा भड़कने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा है। पार्टी की तरफ से एक बयान जारी कर कहा गया कि आम आदमी पार्टी प्रदर्शन में हिंसा की कड़ी निंदा करती है। यह दुखद है कि केंद्र सरकार ने स्थिति को इस हद तक बिगड़ जाने दिया, जबकि यह आंदोलन पिछले दो महीने से पूरी तरह शांतिपूर्ण चल रहा है।

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AAP के प्रवक्ता व विधायक राघव चड्ढा ने ट्वीट किया कि किसान नेताओं का कहना है कि जो लोग आज की हिंसा में शामिल थे, वे इस आंदोलन का हिस्सा नहीं थे, बल्कि बाहरी तत्व थे। ये जो भी लोग हैं, लेकिन उनकी हिंसा ने निश्चित रूप से उस आंदोलन को कमजोर कर दिया है, जो शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से चल रहा था।

तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान पिछले दो महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन्होंने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड का एलान किया था। दिल्ली पुलिस के साथ मैराथन बैठक के बाद किसानों को परेड की अनुमति दी गई थी। इस दौरान किसानों ने वादा किया था कि परेड दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड के पास नहीं जाएगी, लेकिन मंगलवार सुबह प्रदर्शनकारी दिल्ली में घुसने पर अड़ गए। बैरिकेड तोड़ते हुए लाल किले तक पहुंच गए। इस दौरान किसानों को रोकने का पुलिस ने प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुए।

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क्या कुछ दिन पहले ही लिख दी गई थी किसान हिंसा की पटकथा?

हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश बॉर्डर तक आपसी होड़, शक्ति प्रदर्शन और सियासत के चलते यह आंदोलन बेलगाम और हिंसक हो गया। इसकी पटकथा तभी लिख दी गई थी, जब 40 संगठनों के किसान नेताओं की जमात ने तीनों कानूनों को वापस लेने की जिद पकड़ ली थी। उन्हें मनाने की हर संभव कोशिशें हुई। सरकार ने उनकी हर शंका के समाधान की कोशिश की, पर ये सभी अड़े रहे। इन्हें भय था कि अगर एक ने भी सकारात्मक रुख दिखाने की कोशिश की तो उसे आंदोलन से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। शुरू से ही यह कहा जा रहा था कि यह किसानों का आंदोलन नहीं है, बल्कि असली किसान तो खेतों में काम कर रहे हैं।

AAP says violence has weakened the farmers' movement, condemns attack |  Hindustan Times

महीनों से आंदोलन पर बैठे किसानों का धैर्य जवाब देने लगा तो इन किसान नेताओं ने गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने का मंसूबा बनाया ताकि सरकार की फजीहत कर आंदोलन में नई जान फूंकी जा सके। इस पर भी सरकार और पुलिस इन्हें समझाती रही। कानून व्यवस्था बिगड़ने का अनुमान लग रहा था। इनके एक गुट ने ऐन वक्त पर ऐलान कर दिया था कि वह तो लालकिले और संसद भवन तक जाएंगे और हुआ भी यही।

यहां पर बता दें कि किसानों ने लिखित आश्वासन भी दिया था कि वह तय रूटों और शर्तों का पालन करेंगे तथा ट्रैक्टर परेड को हिंसक नहीं होने देंगे। हालांकि, जो यात्र सुबह 10 बजे निकाली जानी थी, उसे नौ बजे ही बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़ा दिया गया और किसान नेता तमाशबीन बने रहे। कहने को तो इसमें किसान नेता थे, लेकिन आंदोलन में सभी किसान नेता कहीं न कहीं अपना हित साध रहे थे।

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इसमें से कई नेताओं पर खालिस्तान समर्थकों तथा विपक्षी दलों के नेताओं के इशारे पर काम करने का भी आरोप लगता रहा है। इनमें कई मौकों पर आपसी मतभेद भी खुलकर सामने आए थे। इन सबके चलते कोई एक नेता उभर कर सामने नहीं आ सका। नतीजतन आंदोलन किसानों की जगह अराजक तत्वों और विपक्षी दलों का आंदोलन ज्यादा लग रहा था। अंत में हिंसा के साथ यह सिद्ध भी हो गया ।

 

Violent Protesters on Brand-New Tractors Who Unleashed Mayhem in Delhi Were  Not Farmers

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