नई दिल्ली। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के जिस टीचिंग ब्लॉक (Teaching Block) में शनिवार (Saturday) को भीषण आग (Massive Fire) लगी थी, उसके पास फायर एनओसी (Fire NOC) नहीं थी. फायर अधिकारियों कहना है कि एम्स में फायर नियमों का सही से पालन नहीं किया गया. इमारत पुरानी होने के कारण हर तीन साल में फायर एनओसी लेना अनिवार्य होता है. इसके बावजूद एम्स प्रशासन ने एनओसी नहीं ली और न ही किसी तरह की कोई जानकारी साझा की. अग्निशामन विभाग का कहना है कि फायर एनओसी को सर्टिफाइड भी नहीं करवाया गया था ?
दिल्ली पुलिस ने शुरू की जांच
वहीं दिल्ली पुलिस ने एम्स में आग लगने की जांच शुरू कर दी है. दिल्ली के हौजखास थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा 285, 336, 436 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. दिल्ली पुलिस के अधिकारी पता कर रहे हैं कि आखिर आग लगने की वजह क्या थी और इसके पीछे किसकी लापरवाही थी.
बता दें कि एम्स के टीचिंग ब्लॉक में शनिवार शाम भीषण आग लग गई थी. आग इतनी भयानक थी कि दमकल विभाग के 40 से ज्यादा गाड़ियां करीब 5 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद काबू पाया. इस कड़ी मशक्कत में दिल्ली अग्निशमन विभाग के साथ-साथ एनडीआरएफ (NDRF) की भी सहायता ली गई थी. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन रविवार को घटनास्थल का मुआयना किया.
एम्स के पास एनओसी नहीं थी
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया और कई वरिष्ठ अधिकारी और फैकेल्टी मेंबर हेल्थ मिनिस्टर के साथ थे. वहीं एम्स प्रशासन ने भी इस मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है. एम्स ने अपने बयान में कहा है कि उसके पास आग से बचाव का रेगुलर सिस्टम है और 24 घंटे अग्निशमन कर्मी तैनात रहते हैं. एम्स सूत्रों का कहना है कि इस घटना के बाद डायरेक्टर ने सभी डिपार्टमेंट के प्रमुखों के साथ एक बैठक की है.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी रविवार को एम्स पहुंच कर आग लगने और नुकसान संबंधित जानकारी एम्स निदेशक से ली. चौबे को निदेशक एम्स डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने आग की घटना और उसके उपरांत उठाए गए सभी कदमों से अवगत कराया.
बता दें कि पिछले कुछ सालों से दिल्ली में बिना एनओसी चल रही कुछ बिल्डिंग के साथ-साथ कई सरकारी इमारतें भी शामिल हैं. इसी साल फरवरी महीने में करोल बाग के अर्पित होटल में भीषण आग लग गई थी, जिसमें 17 लोगों की मौत और 35 लोग घायल हो गए थे.
करोलबाग की अर्पित होटल घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य केजे राव और भूरे लाल यादव ने अर्पित होटल का दौरा किया था. कमिटी ने एमसीडी और दिल्ली पुलिस से पूरी रिपोर्ट मांगी थी. मॉनिटरिंग कमेटी का मानना था कि दिल्ली के अधिकांश होटल मालिक, लॉज और गेस्ट हाउस मालिकों ने मास्टर प्लान 2020 का उल्लंघन किया है. अधिकांश गेस्ट हाउस को बिल्डिंग लॉज का उल्लंघन कर होटलों में तब्दील कर दिया गया है.
लेकिन, एम्स में हुए इस घटना के बाद से अब दिल्ली की कई सरकारी बिल्डिंगों पर भी शिकंजा कस सकता है. इस घटना के बाद से अब सरकारी मकानों में भी बिल्डिंग बायलॉज का पालन करना अनिवार्य हो सकता है.