दिल्ली में ऑड-ईवन: नए नियमों पर हंगामा मचना तय, बढ़ सकती है लोगों की मुश्किलें

पिछली बार भी महिलाओं को छूट मिली थी लेकिन इस बार प्राइवेट सीएनजी गाड़ियों को इस बार राहत नहीं मिलेगी. वहीं दोपहिया वाहनों को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है. हालांकि उम्मीद है कि ये उसपर लागू नहीं होगा.

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नई दिल्ली: दिल्ली में 4 से 15 नवंबर के बीच ऑड ईवन लागू होने जा रहा है, लेकिन इस बार दिल्ली सरकार ने ऑड ईवन के लिए जो नियम तय किए हैं, उससे आम लोगों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. इस बार प्रदूषण कम करने की दिशा में दिल्ली सरकार ने जो फैसला किया है, उस पर हंगामा मचना तय है. दिल्ली सरकार के मुताबिक इस साल प्राइवेट सीएनजी कारों को ऑड ईवन से छूट नहीं मिलेगी. सीएनजी वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट को ऑड ईवन से छूट जारी रखी गई है यानी बसें, ऑटो और एप बेस्ड कारों को छूट जारी रहेगी.

 

बता दें कि अब तक जितनी बार भी दिल्ली में ऑड-इवेन स्कीम को लागू किया गया, सीएनजी वाहनों को छूट मिलती रही है. इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि ये वाहन प्रदूषण नहीं फैलाते हैं. इतना ही नहीं, पिछले कई बार लागू हुए ऑड-इवेन के दौरान लोगों ने सीएनजी कारों में ‘कार पूलिंग’ को प्राथमिकता दी थी. लेकिन इस हकीकत से वाकिफ होने के बावजूद दिल्ली सरकार का ये फैसला हैरान करने वाला है. दिल्ली सरकार ने निजी सीएनजी कारों पर ऑड ईवन लागू करने की जो वजह बताई है उसके मुताबिक आम लोग ही इसके लिए जिम्मेदार हैं.

 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने परिवहन विभाग को निर्देश दिया था कि वह इस पर राय दे कि ऑड-इवेन के दौरान किसे छूट दी जाए. परिवहन विभाग की रिपोर्ट के आधार पर ही निजी सीएनजी कारों को राहत नहीं देने का फैसला लिया गया है. इस फैसले के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. मसलन सीएनजी कार जब प्रदूषण नहीं फैलाते हैं तो उन पर पाबंदी क्यों लगाई जा रही है? जिन लोगों ने ज्यादा पैसे खर्च करके सीएनजी कार खरीदी है या सीएनजी किट लगवाई है, उन पर ऑड ईवन की गाज क्यों गिराई जा रही है? दिल्ली सरकार ईमानदारी से नियमों का पालने करने वाले लोगों के लिए मुश्किलें क्यों खड़ी कर रही है? अगर ऑड ईवन लागू करवा पाने में प्रशासन नाकाम है तो इसका खामियाजा आम जनता क्यों भुगते? सीएनजी कारों पर भी पाबंदी लगाने से पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जो बोझ बढ़ेगा क्या वो दिल्ली सरकार संभाल पाएगी?

 

दिल्ली में ऑड-ईवेन के दौरान लोगों की निर्भरता दिल्ली मेट्रो और दिल्ली परिवहन निगम की बसों में बढ़ जाती थी, लेकिन दोनों की क्षमता सीमित है. ऐसे में सीएनजी वाहनों को भी ऑड-ईवन के दायरे में लाए जाने की स्थिति में दिल्ली की परिवहन व्यवस्था ही चरमरा जाएगी. सरकार के इस फैसले से दिल्ली जनता में भी नाराजगी नजर आ रही है. लोगों के इस गुस्से को विपक्षी पार्टियां बड़ा मुद्दा बना सकती हैं… यानी लोगों को प्रदूषण से राहत देने के लिए दिल्ली सरकार जो कदम उठा रही है, वो उसके गले की हड्डी बन सकती है.

 

दो पहिया वाहनों को ऑड ईवन से छूट क्यों?
इस बार दो पहिया वाहनों को ऑड ईवन के दायरे से बाहर रखने की कोशिश हो रही है. जबकि दिल्ली सरकार भी मानती है कि दो पहिया वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं. दिल्ली सरकार का दावा है कि बाइक, स्कूटर जैसे दो पहिया वाहनों को सड़क से हटा देने पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर बोझ बढ़ जाएगा. दिल्ली में रजिस्टर्ड कार और जीप की तादाद है तकरीबन 32 लाख जबकि रजिस्टर्ड स्कूटर और मोटरसाइकिल 70 लाख से भी ज्यादा हैं.

 

यानी चार पहिया की तुलना में दो पहिया वाहनों की गिनती दोगुने से भी ज्यादा है. ये आंकड़ा सिर्फ दिल्ली में रजिस्टर्ड गाड़ियों का है, इनके अलावा दिल्ली में गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद और एनसीआर के दूसरे शहरों से भी वाहन आते हैं. जाहिर है उनमें भी दो पहिया वाहनों की तादाद ज्यादा होती है. दिल्ली में प्रदूषण फैलाने में ट्रक की 25 फीसदी, दो पहिया वाहनों की 18 फीसदी और कारों की 15 फीसदी हिस्सेदारी है. यानी ट्रकों के बाद सबसे ज्यादा प्रदूषण दो पहिया वाहन ही फैला रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली सरकार इन तथ्यों को नजरअंदाज क्यों कर रही है. कहीं ऐसा तो नहीं कि केजरीवाल सरकार टू व्हीलर वाले अपने वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है.

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