बठिंडा की दीपाली ने टीम के साथ मिलकर तैयार किया अंग्रेजी को भारतीय सांकेतिक भाषा में बदलने वाला सॉफ्टवेयर

-पंजाबी यूनिवर्सिटी में रिसर्च के दौरान विश्व का पहला जटिल और मिश्रित वाक्यों के लिए तैयार हो रहा है सॉफ्ट्वेयर

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बठिंडा. पंजाबी यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर विभाग का रिर्सच सैंटर गूँगे और बहरे लोगों की ज़िंदगी को आसान बनाने के लिए लगातार साफ्ट्वेयर तैयार कर रहा है। यह रिर्सच सैंटर भारत का पहला ऐसा सैंटर है जिसने मार्च 2011 में दो मोबाइल पर चलने वाली एपलीकेशन बनाई। इस साफ्टवेयर को तैयार करने में बठिंडा की रहने वाली दीपाली गोयल व उनकी टीम ने अहम भूमिका निभाई है। दीपाली के इस प्रयास की जिले भर में प्रशंसा हो रही है। एक एप्लीकेशन अंधे लोगों को रंग बताने वाली है और दूसरी अपंग बच्चों की असैस्समेंट पंजाबी में करने वाली है। यह दोनों साफ्ट्वेयर पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चासलर डा. बी.एस घुम्मण ने रिलीज किए। इससे पहले साल 3 दिसंबर 2017 में (वर्ल्ड डिसबिलटी डे) को डा. विशाल गोयल और डा. ललित गोयल की तरफ से साधारण वाक्य को संकेतक भाषा में बदलने वाला भारत का पहला साफ्ट्वेयर रिलीज किया गया था। डा. गोयल की रिर्सच टीम दिन रात एक कर काम कर रही है जिससे इस साफ्ट्वेयर को जटिल और मिशरित वाक्यों के लिए भी तैयार किया जा सके। इस काम के लिए डा. विशाल गोयल और डा. ललित गोयल के साथ रिर्सच स्कालर दीपाली गोयल, रिर्सच स्कालर अमनदीप कौर और गुरदीप कौर, और अंग्रेज़ी को भारतीय संकेतिक भाषा में बदलने की माहिर करिश्मा दिन रात एक कर काम कर रहे हैं।

इस काम को पूरा करने के लिए बहुत सी चुनोतियां थी जैसे कि भारतीय संकेतिक भाषा के व्याकरण के नियम जो जटिल और मिश्रित वाक्यों के लिए मानक नहीं हैं। भारतीय संकेतिक भाषा का शब्दकोश बहुत ज़्यादा विकसित नहीं है और बहुत सी शब्दों के वीडियो भी उपलब्ध नहीं हैं। डा. विशाल ने बताया इस काम को पूरा करने के लिए हमारे पास कोई अनुदान उपलब्ध नहीं थी। बिना अनुदान से इस काम को पूरा करना नामुमकिन सा लगता था परन्तु हमारी टीम के सभी साथियों ने 3 साल दिन रात मेहनत कर काम किया और इस मुश्किल काम को कर दिखाया।

डा.विशाल गोयल और डा. ललित गोयल की तरफ से गूँगे और बधीर लोगों के लिए सार्वजिनक स्थानों पर घोषणा करने वाला साफ्ट्वेयर तैयार किया गया है। यह साफ्ट्वेयर दुनिया का घोषणा करने वाला पहला ऐसा साफ्ट्वेयर है जो भारतीय संकेतिक भाषा में घोषणाएं करता है। इस साफ्ट्वेयर का उद्घाटन आज वर्ल्ड डिसबिलटी डे 3 दिसंबर को विशेष ओलम्पिक भारत पंजाब चैप्टर द्वारा मनाए जाने वाली सांस्कृतिक दिवस के मौके पर किया जाना है। इस सौफ्ट्वेयर का उद्घाटन प्रमुख सचिव, सामाजिक न्याय और भलाई मंत्रालय, चण्डीगढ़ और स्पोर्ट्स और यूथ अफेयर के डायरैक्टर आईएएस डी.पी खरबन्दा की तरफ से किया जाएगा।

डा गोयल ने बताया कि सार्वजनिक स्थानों पर घोषणा करने वाला साफ्ट्वेयर का विचार तब आया जब वह “सुगम भारत अभियान का एक वीडियो देख रहे थे। इस वीडियो में रेलवे स्टेशन पर एक बहरा व्यक्ति एक औरत से अपनी संकेतिक भाषा में पूछ रहा है कि स्टेशन पर क्या घोषणा हो रही है। यह सीन देख कर मन में विचार आया कि एक ऐसा साफ्ट्वेयर तैयार किया जा सकता है जो अंग्रेज़ी को संकेतिक भाषा में बदल सकता है। डा. विशाल और डा ललित ने गूँगे और बहरे लोगों के लिए रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर जनतक घोषणाएं करने वाला साफ्ट्वेयर तैयार किया। डा. विशाल ने सांझा किया कि यदि यह साफ्ट्वेयर रेलवे स्टेशनों पर इंस्टाल कर दिया जाए तो गूँगे और बोले लोगों के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है। इसके इलावा रेलवे स्टेशन पर चलने वाला यह साफ्ट्वेयर दुनिया का पहला सौफ्ट्वेयर होगा और भारत को इसपर मान होगा। इस साफ्ट्वेयर की डिटेल पूछने पर डा. गोयल ने बताया कि उन्हें रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर होने वाली अलाउंसमेंट (घोषणा) इकट्ठे करने के लिए बहुत मुश्किल आई। यह घोषणाएं इकट्ठे करने के बाद सभी घोषणाएं को दो श्रेणियों में बाटा गया। स्टेटिक घोषणाएं जो कोई स्थिर होती हैं और उन्हें कोई तबदील होने वाला शब्द नहीं होता। जैसे “रेलवे स्टेशन पर सिगरेट पीना मना है। “, “किसी अजनबी से कोई भी खाने वाली चीज़ न लो “, “हम आपकी बेहतर यात्रा की कामना करते हैं। ” दूसरी श्रेणी की घोषणाएं को डायनामिक घोषणाएं कहा जाता है। यह वह घोषणाएं हैं जिन में सभी शब्द स्थिर नहीं होते। कई शब्द ऐसे होते हैं जो स्थिति के साथ तबदील होते हैं। जैसे कि स्टेशन पर आने व जाने वाली गाड़ी का समय और उनके प्लेटफार्म नंबर तबदील होते हैं। डा. गोयल ने कहा यह साफ्ट्वेयर पहला मैक इन इंडिया साफ्ट्वेयर होगा जो गूँगे और बोले लोगों के लिए लाभकारी होगा।

डा. गोयल ने बताया कि इस क्षेत्र में कई अन्य खोज भी की जा रही हैं। जैसे कि एक स्कालर गुरदीप सिंह पंजाबी भाषा को संकेतिक भाषा में बदलने वाला साफ्ट्वेयर बना रहा है। एक ओर चुनौती भरा काम जो स्कालर अन्नु रानी कर रही है। अन्नु गूँगे और बोले व्यक्तियों के लिए इस ऐसा सौफ्ट्वेयर तैयार कर रही है जो भारतीय संकेतिक भाषा में खबरें का आटोमैटिक टैलिकास्ट कर सकेगा। यह साफ्ट्वेयर भी दुनिया का पहला ऐसा साफ्ट्वेयर होगा जो अंग्रेज़ी खबरों को संकेतिक भाषा में तबदील करेगा। इस रिर्सच में अन्नु का साथ रिर्सच स्कालर करिश्मा ने दिया जो अंग्रेज़ी को भारतीय संकेतिक भाषा में बदलने की माहिर है।

 

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