बठिंडा में एक और कोरोना मरीज की मौत. 15 नए संक्रमण के मामले आए सामने

-सोशल मीडिया से अधूरा ज्ञान लेकर कोरोना के टेस्ट नहीं करवाने वाले लोगों ने बढ़ाई चिंता -अंतिम चरण में पहुंचने के बाद लोग पहुंच रहे सिविल अस्पताल, तब अधिकतर की हालत हो रही गंभीर

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बठिंडा. जिले में वीरवार को एक कोरोना मरीज की मौत हो गई जबकि संक्रमण के 15 नए मामले सामने आए है। मृतक की पहचान बीके सिंगला वासी माडल टाउन फेस वन के तौर पर हुई है। हालत खराब होने पर उन्हें पंचकुला में प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवाया गया था जहां दोपहर बाद मौत हो गई। वही जिले में कोरोना से मरने वाले लोगों की तादाद 39 पहुंच गई है।

इन स्थानों में मिले नए कोरोना पोजटिव केस

वीरवार को सर्वाधिक कोरोना मरीज रामा मंडी से सामने आए इसमें बैंक बाजार, बंसल कालोनी टाउनशीप, वाल्मीकि चौक, बजरंग कालोनी में पांच कोरोना मरीज मिले हैं। वही अमरिंक सिंह रोड बठिंडा में दो केस, वीर कालोनी हाउस नंबर 32 बठिंडा में एक, परसराम नगर गली नंबर दो में एक, बठिंडा शहर में एक अध्यापक, गोनियाना मंडी में एक, कौंट में एक, पुहला में एक, सेंट्रल जेल में दो कोरोना से संक्रमित मरीजों की पुष्टी की गई है। जिले में पिछले दो माह से कोरोना के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है हालात यह है कि जिला प्रशासन के अनुसार कोरोना मरीजों की तादाद वर्तमान में 2500 से अधिक है जबकि 39 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। वही जिले से बाहर के लोगों को इसमें मिला लिया जाए तो यह तादाद 3285 के करीब हो चुकी हैं।

घरों में आइसोलेंट होने वाले लोगों को लेकर परेशानी

दूसरी तरफ जिला प्रशासन व सेहत विभाग मरीजों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर लोगों को समय पर जांच करवाने व डाक्टरी सलाह के बाद घरों में आइसोलेट होने की अपील कर रहा है लेकिन अधिकतर लोग इस अपील पर बुखार होने, गले में इफेक्शन होने या फिर आक्सीजन लेबल कम होने पर सास लेने में दिक्कत जैसे लक्षणों के बावजूद सेहत विभाग से संपर्क करने व अपनी जांच करवाने में कतरा रहे हैं। इसमें लोग सोशल मीडिया में चल रही विभिन्न तरह की अफवाह व उपचार को लेकर सलाह पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं व देशी नुस्कों से उपचार करवा रहे हैं। इसका विपरित असर यह हो रहा है कि मरीज की हालत गंभीर होने या फिर तीसरे चरण में पहुंचने के बाद ही वह अस्पतालों में जाकर जांच करवा रहे हैं इसमें अधिकतर लोगों की हालत इस दौरान गंभीर हो रही है व अंतिम परिणाम मौत के तौर पर सामने आ रही है।

सोशल मीडिया का आधा अधूरा ज्ञान बना चुनौती

यही नहीं सोशल मीडिया में जिला व सेहत विभाग के कोविड सेंटरों को लेकर दिखाई जा रही नेगटिव क्षवि के कारण भी लोगों में घबराहट हो रही है वह इस बात को लेकर चिंतित दिखाई दे रहे हैं कि सरकारी सेंटर में दाखिल होने के बाद उन्हें किसी तरह की केयर नहीं मिलेगी। इसी के चलते कई स्थानों में लोगों की जांच करने के लिए जाने वाली टीमों का विरोध किया जा रहा है। इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए अब राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को आगे आना पड़ा व वाइस मैसेज के माध्यम से लोगों को जानकारी दी जा रही है कि अगर वह जांच करवाते हैं व उनका पहला चरण का कोरोना है व स्थिति गंभीर नहीं है तो सेहत विभाग उन्हें अपने सेंटर में दाखिल नहीं करेगा व पूरी प्रक्रिया के तहत घर में ही आइसोलेट करवाकर उपचार किया जाएगा। इसमें केवल लोगों को डाक्टर की तरफ से दी हिदायतों व दवाईयों का इस्तेमाल करना है। यही नहीं डीसी बी श्रीनिवासन के साथ सिविल सर्जन डा. अमरिक सिंह सिद्धू भी लोगों को लगातार अपील कर रहे हैं कि वह आरंभिक लक्षण दिखाई देने पर बिना किसी देरी के सिविल अस्पताल में आकर अपना कोरोना टेस्ट जरूर करवाए जो पूरा तरह से निशुल्क है व इसकी किसी तरह की फीस नहीं है। वही प्राइवेट अस्पतालों व लैब में टेस्ट करवाने पर एक मुस्त सरकार की तरफ से तय फीस का भुगतान करना पड़ता है।

आने वाले समय में बढ़ेगी चुनौती

वही जिले में कोरोना मरीजों के उपचार की बात करे तो जिले में विभिन्न अस्पतालों में 1163 के करीब मरीजों को दाखिल करने की क्षमता है इसमें लेबल वन में 983, लेबल टू में 170 व लेबल थ्री में केवल 10 बैड की व्यवस्था है। इस स्थिति में सरकार की मान रही है कि सितंबर से लेकर नवंबर तक कोरोना मरीजों की तादाद में बढ़ोतरी होगी। इसके चलते प्रशासन व सेहत विभाग के लिए चिंता की बात यह है कि गंभीर स्थिति व तीसरी स्टेज के मरीजों को वह कहां रखेगी व उनका उपचार कैसे होगा। तीसरी स्टेज के मरीजों के लिए सबसे जरुरी उपकरण आक्सीजन व वेंटीलेंटर है। वर्तमान में जिले में वेंटीलेंटर की कमी है जिसमें सिविल अस्पताल में मात्र एक वेंटीलेटर है जबकि प्राइवेट अस्पतालों की तरफ से जिला प्रशासन को जरुरत पड़ने पर करीब सात वेंटीलेंटर देने की बात कही है।

दूसरी तरफ अब समस्या का हल क्या है इसे लेकर जिला प्रशासन पहले व दूसरी स्टेज के मरीजों को घरों में आईसोलेट करने पर जोर दे रहा है। वही दूसरी तरफ लोग प्रशासन की गाइडलाइन के विपरित कोरोना के लक्षण दिखाई देने के बाद भी अस्पतालो में टेस्ट करवाने की बजाय स्वयं ही घरों में उपचार करने व आइसोलेट होने का काम कर रहे हैं जो खतरनाक स्थिति पैदा कर रहा है। इसमें हालत यह है कि बुखार, गले में इफेक्शन व सास लेने में दिक्कत जैसी समस्या के बावजूद घरेलु उपचार मरीजों पर भारी पड़ रहा है। अधिकतर मामले ऐसे सामने आए है जिसमें मरीज तीसरे चरण में जाकर अस्पतालों में पहुंच रहे हैं इस स्थिति में अस्पताल में कुछ समय बाद ही उनकी मौत हो रही है। जिला सेहत विभाग इसे लेकर बार-बार लोगों को चेतावनी दे रहा है कि वह बिना डाक्टरी सलाह के कोई भी कदम अपने स्तर पर न उठाए वही थोड़ा तबीयत खराब होने पर भी अस्पताल में पहले जांच करवाएं। इसमें जरूरी नहीं कि मरीज को अस्पताल में दाखिल ही होना पड़े बल्कि उनकी सुविधा अनुसार उन्हें घरों में ही एकांतवास में रखकर डाक्टरी सलाह के बाद उपचार दिया जा रहा है। इसमें मरीज ठीक भी हो रहे हैं पर इसमें जरूरी है कि मरीज पहले चरण में ही डाक्टरों के संपर्क में आकर दी जाने वाली सलाह व मेडिसन का इस्तेमाल करना शुरू करे।

जिले में अगस्त माह की शुरुआत से कोरोना मरीजों की संख्या में पांच गुणा बढ़ोतरी हुई है। हर रोज 70 से लेकर 100 नए संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। जून के अंत तक जिले में 200 के करीब कोरोना संक्रमित मरीज थे और केवल दो लोगों की मौत हुई थी, लेकिन जुलाई के आखिरी सप्ताह से कोरोना से संक्रमित मरीज बढ़ने लगे, जिसके साथ संख्या 3285 से ज्यादा हो गई और अब तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है।

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