बठिंडा में कोरोना वायरस से संक्रमित एक फौजी की मौत, 18 सैनिक सहित 60 केस पोजटिव
कोविड मरीजों को लिए जिला प्रशासन की तरफ से बनाए गए डीडीआरसी सेंटर में मरीजों को फिलहाल आक्सोमीटर व थर्मामीटर नहीं मिलने से परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रशासन की तरफ से रेडक्रास सोसायटी की तरफ से दी जाने वाली कीट उक्त मरीजों के साथ घरों में आइसोलेट होने वाले लोगों के लिए उपलब्ध करवाई गई है लेकिन उक्त कीट के संबंध में समुचित जानकारी नहीं होने के चलते मरीज बाजार से 2200 से 2500 रुपए खर्च कर इनकी खरीद कर रहे हैं।
बठिंडा. जिले में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लोगों की मौत का सिलसिला भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को जहां सैनिक छावनी में 18 सैनिक व कर्मी कोरोना पोजटिव मिले वही एक सैनिक की मौत हो गई। वही 60 नए कोरोना पोजटिव केस सामने आए है। 47 साल के सैनिक का बठिंडा में नौजवान वैलफेयर सोसायटी की रहनुमाई में अंतिम संस्कार किया गया जिसमें सैनिक की पत्नी ने शव को मुख्ग्नि दी। मृतक जवान की पहचान ध्यानी गुप्ता के तौर पर हुई है जो डायबीटिज टाइप टू से ग्रस्त थे व पिछले कुछ दिनों से सास लेने की दिक्कत का सामना कर रहे थे। इसके चलते उन्हें जांच के लिए सिविल अस्पताल लाया गया जहां कोरोना की पुष्टी के बाद सैनिक अस्पताल में उपचाराधीन थे जहां शनिवार की सुबह उनकी मौत हो गई। सैनिक की मृत्यु के बाद प्रशासन द्वारा सूचना मिलने पर समाजसेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसाइटी बठिंडा की टीम मौके पर मिल्ट्री अस्पताल पहुंची तथा मृतक देह को शमशान भूमि पहुंचाया। जहां संस्था के सदस्यों राकेश जिंदल, जसकरन रॉयल, निर्भय सिंह सोनू माहेश्वरी ने तहसीलदार सुखबीर सिंह बराड़ की अगुवाई में मृतक का अंतिम संस्कार पीपीई किट्स डालकर कर दिया। इस मौके पर मृतक की पत्नी में मृतक फौजी जवान की चिता को अग्नि भेंट की। उन्होंने बताया कि मृतक डायबिटीज से भी पीड़ित था। वही दूसरी तरफ जिले में 114 लोगों की कोरोना से मौत हुई है जबकि अकेले सितंबर माह में ही 71 लोग कोरोना का शिकार होकर मौत के मुंह में जा चुके हैं।
वर्तमान में जिला व आर्मी प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण सैनिक छावनी में निरंतर बढ़ रहे कोरोना पोजटिव केस है। गत शुक्रवार को जहां कैंट क्षेत्र में 27 के करीब केस सामने आए वही शनिवार को बी 18 कोरोना पोजटिव केस इसी क्षेत्र से मिले हैं। पिछले तीन माह में सैनिक चावनी व भिसियाना एयरफोर्स क्षेत्र में डेढ़ सौ के करीब लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। इसके आलावा सेंट्रल जेल में सात, कोटफत्ता में एक, आदेश में एक, रामपुरा टाउन में एक, भुच्चों मंडी में क, माडल टाउन फेस तीन में क, आवा बस्ती में एक, शहीद भगत सिंह नगर गली नंबर 9 में एक, शक्ति नगर में एक, गुरु गोबिंद सिंह नगर गली नंबर 9 में एक, जुझार सिंह नगर गली नंबर 4 में एक, बसंत बिहार गली नंबर 5 में एक, खोवाली मुक्तसर में एक, सुच्चा सिंह नगर में दो, बठिंडा शहरी में एक, गोनियाना मंडी में दो, ग्रीन सिटी फेस तीन में एक, नथाना में एक, दियालपुरा में एक, जीतमल रोड रामपुरा में एक, दाना मंडी में दो, हंस नगर गली नंबर दो में दो, जवाहर मेडिकल हाल में एक, बठिंडा शहरी क्षेत्र में एक, एनसीसी कंपनी एम्स में एक, संगत में एक, अजीत रोड गली नंबर 13 में एक, दीपगढ़ बरनाला में एक, जनता नगर में एक, घुम्मन कला में एक, कोटकपूरा में एक व तपा मंडी में एक कोरोना पोजटिव केस सामने आया है।
डीडीआरसी सेंटर में आक्सोमीटर व थर्मामीटर को लेकर समस्या
कोविड मरीजों को लिए जिला प्रशासन की तरफ से बनाए गए डीडीआरसी सेंटर में मरीजों को फिलहाल आक्सोमीटर व थर्मामीटर नहीं मिलने से परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रशासन की तरफ से रेडक्रास सोसायटी की तरफ से दी जाने वाली कीट उक्त मरीजों के साथ घरों में आइसोलेट होने वाले लोगों के लिए उपलब्ध करवाई गई है लेकिन उक्त कीट के संबंध में समुचित जानकारी नहीं होने के चलते मरीज बाजार से 2200 से 2500 रुपए खर्च कर इनकी खरीद कर रहे हैं। वही रेडक्रास सोसायटी की तरफ से दी जाने वाली कीट की कीमत केवल 1100 रुपए रखी गई है इसमें आक्सोमीटर, थर्मामीटर, इम्यूनिटी बूस्टर के लिए वीटामीन सी, जिंक सल्फेट व मल्टीविटामन के साथ बुखार के लिए पेरासिटामोल दवा का 15 दिन का कोर्स दिया जाता है। इसके विपरित बाजार में आक्सोमीटर व थर्मामीटर के ही 2200 रुपए वसूल किए जा रहे हैं जबकि विटामीन सी का 15 गोलियों का पैकेट 35 रुपए तो जिंक का 10 गोलियों का पैकेट 45 रुपए में दिया जा रहा है। इस तरह से दवा साथ में लेने पर मरीज 2500 से ऊपर की राशि अपनी जेब से खर्च करने पर मजबूर होता है। फिलहाल डीडीआरसी सेंटर में तैनात कर्मी भी मरीज व उनके परिजनों को इस बाबत जानकारी नहीं दे रहे हैं व कहा जा रहा है कि वह कही से भी इसकी खरीद कर ले। इसी तरह सेंटर में दाखिल होने वाले 60 साल से ऊपर के मरीज व अधिक बीमार लोगों की देखरेख के लिए सेंटर में उनके परिजनों को भी मौखिक अनुमति दी जा रही है जिससे मरीज के परिजन मात्र मास्क के सहारे ही सेंटर में मरीज के साथ रह रहे हैं व कई बार घरेलु काम से वह घर भी जा रहे हैं जिससे दूसरे व्यक्ति को इफेक्शन फैलने व वायरस का शिकार होने की संभावना बनी रहती है।