DAY 7: अयोध्या मामले में सुनवाई के दौरान रामलला के वकील ने कहा- 2 हज़ार साल पहले भी विवादित जगह पर था भव्य राम मंदिर

रामलला के वकील ने दलील दी, "जिस स्थान को लेकर यह मुकदमा चल रहा है, वह विवादित ढांचा बनने से पहले कोई खेती की जमीन नहीं थी. आज से दो हजार से भी ज्यादा साल पहले, ईस्वी पूर्व 200 में वहां 50 गुणा 30 मीटर का विशालकाय निर्माण किया गया था. तमाम सबूत इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि वह निर्माण और कुछ नहीं बल्कि भगवान राम के जन्म स्थान पर बना भव्य राम मंदिर था."

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नई दिल्ली: अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के सातवें दिन रामलला के वकील ने नक्शों, तस्वीरों और पुरातात्विक सबूतों के जरिए साबित करने की कोशिश की कि विवादित स्थान पर आज से 2 हज़ार साल पहले भी भव्य राम मंदिर था. मंदिर के ढांचे के ऊपर ही विवादित इमारत को बनाया गया. प्राचीन मंदिर के खंभों और दूसरी सामग्री का इस्तेमाल भी उसके निर्माण में किया गया. उन्होंने कहा इस तरह की इमारत शरीयत के हिसाब से मस्जिद नहीं हो सकती.

सुनवाई की शुरुआत में रामलला के वकील सी एस वैद्यनाथन ने 1950 में फैजाबाद के कोर्ट कमिश्नर की तरफ से तैयार नक्शे से की. इसमें साफ दिखाया गया था कि विवादित ढांचे के दायरे में हिंदू पूरे विधि विधान से पूजा कर रहे थे. इसके बाद उन्होंने 1990 में ली गई विवादित ढांचे की तस्वीरों को कोर्ट में रखा. उन्होंने दिखाया ढांचा जिन खंभों पर बना था; उनमें तांडव मुद्रा में शिव, हनुमान और कमल के अलावा शेरों के बीच बैठे गरुड़ की आकृति बनी थी. वैद्यनाथन ने कहा, “यह आकृतियां इस्लामिक नहीं हैं. इनकी मौजूदगी वाली इमारत को मस्जिद नहीं कहा जा सकता.”

 

वैद्यनाथन ने आगे कहा, “उस स्थान के राम जन्मभूमि होने को लेकर हजारों सालों से हिंदुओं में आस्था है. हिंदू उस जगह को पूजते रहे. कुछ सालों तक नमाज़ पढ़ने से कोई जगह मस्जिद नहीं बन जाती. कई बार लोग सड़क पर नमाज पढ़ते हैं. सिर्फ नमाज पढ़ लेने भर से उस जगह को मस्जिद का दर्जा नहीं मिल जाता है.”

 

रामलला के वकील ने आगे दलील दी, “जिस स्थान को लेकर यह मुकदमा चल रहा है, वह विवादित ढांचा बनने से पहले कोई खेती की जमीन नहीं थी. आज से दो हजार से भी ज्यादा साल पहले, ईस्वी पूर्व 200 में वहां 50 गुणा 30 मीटर का विशालकाय निर्माण किया गया था. तमाम सबूत इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि वह निर्माण और कुछ नहीं बल्कि भगवान राम के जन्म स्थान पर बना भव्य राम मंदिर था.”

 

5 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने इस पर सवाल किया, “सभ्यताएं हमेशा से नदियों के किनारे बसती रही हैं. आप यह कैसे कह सकते हैं कि 2000 साल पहले बनी इमारत मंदिर ही थी?” वैद्यनाथन ने जवाब दिया, “पुरातात्विक सबूतों से साफ पता चलता है कि वह इमारत आम लोगों के लिए खुली थी. कोई भी वहां आ जा सकता था. ऐसी इमारत सिर्फ मंदिर हो सकती है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाईकोर्ट के आदेश पर कराई गई खुदाई की रिपोर्ट में कहा है कि उस जगह पर जो इमारत थी वह उत्तर भारतीय शैली में बना एक मंदिर था.” सुनवाई सोमवार को जारी रहेगी. वैद्यनाथन ने कहा है कि वो उस दिन अपनी दलीलें पूरी कर लेंगे.

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