नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने देश की अर्थव्यस्था की हालत खस्ता कर दी यह बात किसी से अब छुपी नहीं है. जीडीपी के आंकड़ें हों या फिर रिकॉर्ड बेरोजगारी दर, हर तरफ से आम आदमी पर कोरोना की मार पड़ी है. इस बीच एक और चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. वेतनभोगी वर्ग पर कोरोना का बेहद बुरा असर पड़ा है.
ईपीएफओ (एंप्लॉय प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन) के मुताबिक अप्रैल-दिसंबर 2020 के बीच 71,01,929 पीएफ खाते बंद हुए, जबकि साल 2019 में यह आंकड़ा 66,66,563 था. साल 2020 की बात करें तो सबसे ज्यादा पीएफ खाते अक्टूबर (11,18,751) के महीने में बंद हुए, इसके बाद सितंबर में (11,18,517) पीएफ खाते बंद हुए.
अप्रैल-दिसंबर 2020 के बीच निकासी भी बढ़ी
इसके साथ ही बेहद जरूरी समय के लिए बचाए जाने वाले पीएफ फंड से निकासी का आंकड़ा भी बढ़ा है. अप्रैल-दिसंबर 2020 के बीच पीएफ खातों से 73,498 करोड़ रुपये निकाले गए. साल 2019 में इसी समय के लिए यह आंकड़ा 55,125 था. केंद्र सरकार की ओर से यह जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने एक सवाल के जवाब में दी.
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मार्च 2020 में कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए ईपीएफ से पैसे निकालने के नियमों में भी छूट दी थी. एक ईपीएफ खाताधारकों को मूल वेतन और महंगाई भत्ते से नॉन-रिफंडेबल अमाउंट निकलाने की सुविधा दी गयी थी. यह खाते की राशि का 75 फीसदी या तीन महीने के महंगाई भत्ते (जो भी कम हो) के बराबर थी.
पिछले साल के मुकाबले बढ़ा पीएफ में निवेश
वहीं एक दूसरे सवाल के जवाब में श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि पिछले कुछ सालों मे ईपीएफ में निवेश बढ़ा है. साल 2019-20 में ईपीएफ में कुल 1.68 लाख करोड़ रुपये जमा हुए. जबकि साल 2018-19 में 1.41 लाख करोड़ और साल 2017-18 में 1.26 लाख करोड़ रुपये जमा हुए. इस महीने के शुरुआत में ईपीएफओ ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए लिए पीएफ की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. वित्तीय वर्ष 2020-21 में पीएफ अंशधारकों को पिछले साल की तरह ही 8.50 फीसदी ब्याज दर रखने का फैसला हुआ.