ICMR के पूर्व प्रमुख का दावा, भारत होगा कोरोना का अगला बड़ा केंद्र

अभी सबसे बुरी हालत महाराष्ट्र की है. यहां 42 लोग संक्रमित हैं. एक की मौत हो चुकी है. अगर देश में आकार और जनता के दर से भी बीमारी फैलती है. भारत में प्रति वर्ग किलोमीटर 420 लोग रहते हैं. जबकि चीन में प्रति वर्ग किलोमीटर 148 लोग रहते हैं. अगर कोरोना वायरस ने भारत में कब्जा जमाया तो करीब तीन गुना ज्यादा असर होगा.

नई दिल्ली। देश के एक बड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने आशंका जताई है कि भारत कोरोना वायरस का अगला सबसे प्रमुख केंद्र बन सकता है. यानी चीन, इटली, ईरान के बाद भारत में यह संक्रमण बहुत ज्यादा प्रभावी हो सकता है. क्योंकि भारत में जो तैयारियां हैं इसे लेकर, वह बाकी एशियाई देशों की तुलना में कम और अपर्याप्त हैं. ये आशंका जताई है डॉक्टर टी. जैकब जॉन. डॉक्टर जॉन इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च सेंटर (ICMR) के एंडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी सेंटर के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं. डॉक्टर टी. जैकब जॉन ने कहा है कि भारत का मौसम और जनसंख्या इस वायरस को फैलाने के लिए काफी है. क्योंकि लोग इलाज से और क्वारंटीन से बचने के लिए भाग रहे हैं.

  • डॉ. टी. जैकब जॉन भारत सरकार के पोलियो मुक्त अभियान की सलाहकार समिति में भी थे. साथ ही वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज स्थित नेशनल एचआईवी/एड्स रिफरेंस सेंटर के प्रमुख भी रह चुके हैं. डॉ. जैकब ने कहा कि हर हफ्ते यह एक बड़ा एवलांच (हिमस्खलन) बनता जा रहै है जो कभी भी भारत पर गिर सकता है. डॉ. टी. जैकब जॉन ने कहा कि भारत के लगभग हर शहर में एक इलाका ऐसा होता है जहां लोगों के घरों और लोगों के बीच की दूरी बेहद कम होती है. इस हालात में कोरोना वायरस के फैलने का खतरा और बढ़ जाता है.
  • डॉ. जैकब जॉन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अभी तक कोरोना मरीजों की संख्या धीमी गति से बढ़ रही है. लेकिन 15 अप्रैल तक कोरोना मरीजों की संख्या में 10 से 15 गुना ज्यादा हो जाएगी. क्योंकि देश में कोरोना वायरस को लेकर उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं.
  • ICMR के वर्तमान प्रमुख डॉ. बलराम भार्गन ने 17 मार्च 2020 को कहा था कि अभी देश की क्षमता 8000 कोरोना सैंपल रोज जांचने की है. लेकिन अभी तक इस वायरस के थर्ड स्टेज में पहुंचने की जानकारी नहीं है. यानी सामुदायिक तौर पर यह नहीं फैल रहा है. अभी सबसे बुरी हालत महाराष्ट्र की है. यहां 42 लोग संक्रमित हैं. एक की मौत हो चुकी है. अगर देश में आकार और जनता के दर से भी बीमारी फैलती है. भारत में प्रति वर्ग किलोमीटर 420 लोग रहते हैं. जबकि चीन में प्रति वर्ग किलोमीटर 148 लोग रहते हैं. अगर कोरोना वायरस ने भारत में कब्जा जमाया तो करीब तीन गुना ज्यादा असर होगा. 

शोधः इंसानी मल से भी फैलता है कोरोना, दुनिया को जरुरत है स्टूल टेस्ट की

चीन की एक यूनिवर्सिटी ने नया खुलासा किया है. यहां के शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोरोना वायरस सिर्फ छूने, छींकने या खांसने से नहीं फैलता. यह कोरोना संक्रमित इंसान के मल से भी दूसरे इंसानों को जकड़ सकता है. इसलिए अब चीन के शोधकर्ता चाहते हैं कि दुनिया भर में सभी कोरोना संदिग्धों की स्टूल टेस्ट (मल जांच) भी हो. ताकि, कोरोना की पुष्टि और पुख्ता हो सके. चीन की हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग के शोधकर्ताओं ने हाल ही में 14 कोरोना वायरस कोविड-19 मरीजों के शरीर से 339 सैंपल लिए. इनमें मल, मूत्र, नाक से स्वैब, गले से थूक और खून शामिल था.  

इसमें पता चला कि तीन मरीजों के नाक के स्वैब, गले के थूक में कोरोना संक्रमण नहीं मिला. लेकिन सभी 14 मरीजों के मल में कोरोना का संक्रमण स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा था. ये सभी इंसानी मल की वजह से ही संक्रमित हुए भी थे.हैरतअंगेज बात ये है कि कोरोना वायरस इन 14 मरीजों के मूत्र यानी यूरिन में नहीं मिला. लेकिन चार मरीजों के खून में कोरोना का संक्रमण मिला.

प्रोफेसर पॉल चैन के-श्योंग ने बताया कि थूक से कोरोना संक्रमण की जांच करना बेहद कारगर है. लेकिन आजकल इंसानी शरीर वायरस और बैक्टीरिया का घर बना चुका है. इसलिए बाकी टेस्ट भी किए जाने जरूरी हैं, ताकि बीमारी की पुष्टि हो. प्रो. पॉल चैन के-श्योंग (फोटो में बाएं) ने बताया कि हॉन्गकॉन्ग में लोग यह जानते ही नहीं कि गले के अंदर जमा थूक को जोर से कैसे थूके कि वह सही तरीके से बाहर आए. इसलिए ये भी हो सकता है कि हॉन्गकॉन्ग में मौजूद लोगों ने सही कोरोना जांच न कराई हो. प्रोफेसर श्योंग ने बताया कि हमने जिन मरीजों की जांच की उनके थूक में 1 मिलिलीटर थूक में 32 लाख वायरस हैं. जबकि, इंसानी मल में 12 हजार वायरस प्रति मिलिलीटर था. यानी इंसानी मल में भी कोरोना वायरस ने कब्जा जमा लिया है.

प्रोफेसर पॉल चैल के-श्योंग ने लोगों से अपील की है कि वे हद से ज्यादा हाइजीन बनाए रखें. जितना ज्यादा सफाई में रहेंगे. जितना ज्यादा आइसोलेट रहेंगे उतना ज्यादा उम्मीद होगी कोरोना से बचे रहने की. सफाई और हाइजीन ही इसका बेहतर बचाव है. इसके बाद प्रोफेसर श्योंग ने बताया कि अब पूरी दुनिया को चाहिए कि वह कोरोना के संदिग्धों के मल की भी जांच करे. इससे ज्यादा बेहतर परिणाम सामने आएंगे. इससे चिकित्साकर्मियों को कोरोना मरीजों में संक्रमण की पुष्टि होगी.

 

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