कोरोना: भारत की सबसे बड़ी मुश्किल होगी हल, IIT ने दिया ये फॉर्मूला

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आईआईटी जोधपुर के अध्ययनकर्ताओं का दावा है कि बगैर लक्षण वाले कोरोना मरीजों की भी पहचान की जा सकती है. आईआईटी जोधपुर के बायो साइंस विभाग के शोध पत्र में बताया कि कोरोना पॉजिटिव रोगियों में गंध या सूंघने की क्षमता खत्म हो जाती है. गन्ध के आधार पर स्क्रीनिंग कर कोरोना वायरस पॉजिटिव रोगियों का पता लगाया जा सकता है.

  • इस रिसर्च में बताया गया है कि  कि  SARS-CoV-2 hACE2 (ह्यूमन एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग इंजाइम 2) नामक एक विशिष्ट मानव रिसेप्टर से संपर्क के लिए जाना जाता है. ये वायरस का प्रवेश बिंदु भी होता है, जो बाद में फेफड़ों समेत शरीर के अन्य हिस्सों में फैलता है. आईआईटी जोधपुर का ये शोध पत्र अमेरिकन केमिकल सोसायटी के जनरल न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुआ है.

कोरोना वायरस में अब तक कई ऐसे पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं जहां रोगी में बीमारी के लक्षण नहीं नजर आते हैं, लेकिन उनमें सूंघने या जीभ से स्वाद को पहचानने की शक्ति खत्म हो जाती है. मेडिकल की भाषा में इसे क्रमश: एनोस्मिया और एगिसिया कहा जाता है.

लक्षण न दिखने पर ऐसे रोगियों को नेफ्रोलॉजिस्ट से जांच के बाद सेल्फ क्वारनटीन के लिए भेजने में आसानी होगी. इससे रोगियों की जिंदगी भी खतरे में नहीं पड़ेगी और संक्रमण फैलने का जोखिम भी कम होगा.

भारत के परिपेक्ष में तो यह खोज और भी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, क्योंकि यहां 65 प्रतिशत से अधिक ऐसे मामले हैं जहां रोगियों लक्षणों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है.

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