बठिंडा के लोग हो रहे बेप्रवाह, लाकडाउन खत्म हुआ है लेकिन कोरोना का कहर जारी है, चार लोगों की मौत

-पुरानी बीमारी, जिनमें बीपी, शुगर के साथ लीवर व फेफड़ों की इफेक्शन से ग्रस्त लोग हो रहे कोरोना का शिकार -ज्यादा लापरवाही व बीमारी के प्रति लापरवाही बन रही मौत का कारण, अंतिम समय में पहुंच रहे अस्पताल

बठिंडा. अगर किसी को लग रहा है कि कोरोना खत्म हो गया है या इससे कोई नुकसान होने वाला नहीं है तो वह गलतफहमी में है। बठिंडा में कोरोना का शिकार होकर मौत के ग्रास में जाने वाले लोगों के परिवारों की दुखद दास्तां ऐसे हालात बयां कर रही है, जिससे सभी को सबक लेने की जरूरत है। महज एक माह में 85 लोगों की कोरोना से मौत हो गई। वही जिले में अब तक 135 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। ज्यादा मौतों का कारण पुरानी बीमारी, जिनमें बीपी, शुगर आदि हैं। इससे मरीजों को संक्रमण ज्यादा हो रहा है। सेहत तब बिगड़ती है जब मरीज बिना टेस्ट के बुखार और अन्य लक्षणों की सेल्फ मेडिकेशन शुरू कर देता है, जिसमें स्टीरॉइड और नॉन स्टीरॉइड दवा शामिल हैं।

जिससे संक्रमण दूसरी बीमारियों से मिल घातक साइड इफेक्ट दिखाता है। यही मौत का कारण बनता है। बिना मास्क के घूमने वाले व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने से गुरेज करने वाले लोगों के लिए कोरोना किसी बड़ी आफत से कम नहीं है। रविवार को जिले में चार और लोगों की कोरोना के संक्रमण से मौत हो गई। समान्य लक्षण वालों का तो सरकारी अस्पताल व कोविड सेंटरों में उपचार निशुल्क हो रहा है लेकिन जो लोग तीसरी व चौथी स्टेज में पहुंच रहे हैं उनके लिए दो ही अस्पताल है पहला फरीदकोट मेडिकल कालेज जहां पहले ही मालवा के विभिन्न जिलों से गंभीर मरीजों का ताता लगा हुआ है दूसरा लाखों रुपए खर्च कर प्राइवेट अस्पताल में उपचार करवाना जहां कुछ दिन में ही मरीजों के परिजनों की कमर टूट जाती है।

आर्थिक तौर पर मजबूत परिवार के लोग तो चंडीगढ़, मोहाली व दिल्ली जैसे बड़े अस्पतालों की तरफ रुख कर लेते हैं लेकिन मध्यम वर्ग शहर के विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में जा रहे हैं जहां अस्पताल मनमाने ढंग से मरीजों से उपचार की फीस वसूल कर रहे हैं। मरीज के मरने के बाद परिजनों को लाखों रुपए का भुगतान इन अस्पतालों को करना पड़ रहा है जो आर्थिक मंदी के दौर में पूरे परिवार को मानसिक तौर पर परेशान कर देता है। फिलहाल इस तरह की स्थिति और प्रस्थिति से बचने का एक ही उपाय है कि सरकार ने बेशक लाकडाउन समाप्त कर दिया लेकिन कोरोना ने अपना असर कम नहीं किया है यह सोच स्वयं को सुरक्षित रखते सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते मास्क लगाकर रखे, बच्चों व बुजुर्ग लोगों को घरों से बाहर निकलने का गुरेज रखे।

जिले में फिलहाल इस सब के बीच राहत वाली बात यह है कि लंबे समय बाद कोरोना का आंकड़ा कम होकर इकाई तक सिमटा है। शनिवार को मात्र 8 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं जबकि रविवार को बेशक चार लोगों की मौत हुई पर नए मरीज कम मिले। रविवार को पहली मौत विजय कुमार उम्र 62 साल वासी गांव नथाना बठिंडा की रविवार की सुबह हुई। उन्हें सास में दिक्कत, गले में इफेक्शन व तेज बुखार के साथ प्लेटलेट्स कम होने पर आदेश अस्पताल बठिंडा में दाखिल करवाया गया जहां कोरोना जांच में रिपोर्ट पोजटिव मिली। उम्र के साथ विभिन्न समस्याओं के कारण उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो पाया। 21 सितंबर को अस्पताल में दाखिल होने व करीब 13 दिन तक अस्पताल में रहने के बावजूद उनकी मौत हो गई। परिजनों की माने तो 13 दिन के उपचार में उनका पांच से छह लाख का खर्च आया लेकिन फिर भी मरीज की जिंदगी नहीं बचा सके।

दूसरी मौत भजन लाल वासी रामदास नगर बठिंडा की हुई है। 55 साल के भजन लाल को भी सास में दिक्कत, बुखार, शूगर के साथ कमजोरी के चलते 20 सितंबर को कोरोना टेस्ट करवाने के बाद पोजटिव निकले थे व उन्हें फरीदकोट मेडिकल कालेज में रैफर कर दिया गया जहां 12 दिन के उपचार के बाद रविवार को सुबह पांच बजे के करीब उनकी मौत हो गई। तीसरी मौत आदर्श कपूर उम्र 67 साल वासी जवाहर नगर श्री गंगानगर की हुई है। 3 अक्तूबर को गंभीर हालत में उन्हें इंद्राणी अस्पताल बठिंडा में दाखिल करवाया गया जहां रविवार को उनकी मौत हो गई। चौथी मौत बलदेव सिंह उम्र 74 साल गली नंबर एक कृष्णा कालोनी नजदीक बाबा दीप सिंह नगर की हुई है। उन्हें कोरोना पोजटिव मिलने व सास के साथ लीवर में दिक्कत के चलते फरीदकोट मेडिकल कालेज में दाखिल करवाया गया था जहां उनकी मौत हो गई।

दूसरी तरफ शनिवार को 121 कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया। इस प्रकार जिले में पिछले दो-तीन दिनों से कोरोना के मरीजों के आंकड़े में गिरावट आयी है, वहीं डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इधर कोरोना संक्रमण की रफ्तार में आई कमी तथा प्रतिदिन पाए जाने वाले मरीजों की संख्या के न्यूनतम स्तर तक पहुंचने से इस काम में लगी स्वास्थ्य विभाग की टीम के अलावा जिला प्रशासनिक अधिकारियों समेत बठिंडा वासी बड़ी राहत महसूस कर रहे हैं।

बहरहाल जिले में 472 एक्टिव केस हैं। संक्रमितों में अधिकांश होम आइसोलेशन में हैं। शेष का इलाज जिले के आइसोलेशन ट्रीटमेंट सेंटरों में तथा कुछ गंभीर मरीजों का इलाज शहर के अलग-अलग निजी अस्पतालों में चल रहा है। जिले में अब संक्रमितों की कुल संख्या अब 5845 हो गई है।

 

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