बठिंडा में कोरोना संक्रमित एक ओर व्यक्ति की मौत, 9 पीआरटीसी कर्मी सहित 50 नए मरीज मिले

सरकार एक तरफ राज्य में आक्सीजन की प्रार्याप्त मात्रा होने का दावा कर रही है वही दूसरी तरफ सरकार ने इसकी मांग बढ़ने व काला बाजारी को रोकने के लिए सख्त हिदायते जारी कर आक्सीजन बचाने के लिए टिप्स पर गौर करने व इसे सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में सख्ती से लागू करने के आदेश दिए है। सरकार का ध्यान गैस की बर्बादी को रोकने पर है। आम तौर पर रिपोर्ट मिल रही थी कि सरकारी अस्पतालों में आक्सीजन प्लाटों व सप्लाई लाइनों में आए दिन फाल्ट व लीकेज के कारण भारी तादाद में आक्सीजन की बर्बादी हो रही है वही कई डाक्टरों को व उनके साथ जुड़े सहायकों को आक्सीजन देने संबंधी स्पष्ट हिदायते नहीं थी जिससे एक मरीज को जरूरत से ज्यादा आक्सीजन दी जा रही थी।

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बठिंडा. जिले में कोरोना वायरस से एक और व्यक्ति की मौत हो गई जबकि विभिन्न स्थानों में 50 कोरोना से संक्रमित मरीज मिले हैं इसमें नौ कोरोना पोजटिव मरीज पीआरटीसी डिपों में तैनात ड्राइवर है। इस तरह से कोरोना की चपेट में पिछले तीन दिनों में अब तक 22 अधिकारी, कंडक्टर व ड्राइवर आ चुके हैं जिससे पीआरटीसी के सामने अपने सभी रूटों को चलाना मुश्किल हो गया है जबकि कई रुटों को बंद कर दिया गया है।जिले में अब तक कोरोना पोजटिव होने के बाद 90 लोगों की मौत हो चुकी है।
जानकारी अनुसार जिले में रविवार को 62 साल के रमेश कुमार वासी साबुन वाली गली नजदीक पुराना थाना बठिंडा की मौत हो गई। रमेश कुमार के ब्लड में इंफेक्शन होने के साथ शरीर में पानी भरने के कारण उनका उपचार बठिंडा के एक निजी अस्पताल में पिछले 10 दिनों से चल रहा था। 19 सितंबर की रात को सास लेने में दिक्कत के चलते रात के समय उनका टेस्ट करवाने पर वह करोना पॉजिटिव पाए गए। जिसके बाद अस्पताल द्वारा मरीज को किसी अन्य अस्पताल में ले जाने के लिए उनके परिजनों को कहा गया। रमेश कुमार के परिजन उसको गिलपत्ती स्थित अपने गोदाम में बने कमरे में ले गए तथा सुबह दिल्ली या लुधियाना किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की तैयारी शुरू करने लगे। लेकिन सुबह ही रमेश कुमार की मौत हो गई। सूचना मिलने पर समाजसेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसायटी के वालंटियर मौके पर पहुंचे तथा मृतक के शव को बॉडी बैग में डालकर बठिंडा के दाना मंडी स्थित श्मशान भूमि में पहुंचाया। जहां तहसीलदार सुखबीर सिंह बराड़ की अगुवाई में मृतक का अंतिम संस्कार संस्था के हाईवे इंचार्ज सुखप्रीत सिंह, सदस्य कमलजीत सिंह, राकेश जिंदल, राजविंदर धालीवाल, कुनाल बांसल, भूषण बांसल, निर्भय सिंह बॉबी द्वारा पीपीपी किट्स डालकर कर दिया गया। इस मौके पर मृतक के परिजन भी उपस्थित थे।
वही रविवार को सर्वाधिक सात कोरोना पोजटिव मामले आर्मी क्षेत्र से मिले हैं। वही सिविल अस्पताल व एसएमओ दफ्तर में दो, ग्रीन सिटी में एक, एम्स अस्पताल में तीन, माडल टाउन में फेस एक व चार में तीन, झुंबा गांव में एक, रामपुरा जंगलात में एक, नथाना में एक, मौड़ मंडी में एक, जैतो टाउन में एक, ढिपाली रामपुरा में एक, जलाल भगता में एक, कोटाक महिंदरा बैंक में चार कर्मी, पुखराज कालोनी में दो, मैहणा चौक में एक, आदेश यूनिवर्सिटी हास्टल में एक, सीआईए स्टाफ टू में एक, टाडिया में एक, जोगी नगर गली नंबर एक में एक, प्रताप नगर गली नंबर एक में एक, सराभा नगर गली नंबर 1-3 में एक, गणेश नगर मौड़ में क, वीर कालोनी में एक, जुझार सिंह नगर में एक, नहियावाला में एक, बुडलाड़ा टाउन में एक, खालसा हास्टल रामा में एक व फूला में एक कोरोना संक्रमित मरीज मिला है।
जिले में अब तक जिले के अंदर कोविड-19 के 4820 पॉजिटिव केस आए है। इनमें से 3016 कोरोना पीड़ित व्यक्ति ठीक होकर घर लौट गए है। जिले में कुल 1115 केस एिक्टव हैं और 614 केस ओर जिलों में शिफ्ट हो चुके हैं। इसके इलावा अब तक जिले के अंदर 90 करोना प्रभावित व्यक्तियों की मौत हो चुकी है।

आक्सीजन की कमी के बाद बढ़ती काला बाजारी को रोकने के लिए जारी की गाइडलाइन
  • सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों को आक्सीजन की तय मात्रा का इस्तेमाल करने की हिदायत
  • जिले में प्रतिदिन हो रही है 300 सिलेंडरों की खपत, कोरोना मरीज बढ़े तो बढ़ सकती है आक्सीजन की मांग

बठिंडा. सरकार एक तरफ राज्य में आक्सीजन की प्रार्याप्त मात्रा होने का दावा कर रही है वही दूसरी तरफ सरकार ने इसकी मांग बढ़ने व काला बाजारी को रोकने के लिए सख्त हिदायते जारी कर आक्सीजन बचाने के लिए टिप्स पर गौर करने व इसे सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में सख्ती से लागू करने के आदेश दिए है। सरकार का ध्यान गैस की बर्बादी को रोकने पर है। आम तौर पर रिपोर्ट मिल रही थी कि सरकारी अस्पतालों में आक्सीजन प्लाटों व सप्लाई लाइनों में आए दिन फाल्ट व लीकेज के कारण भारी तादाद में आक्सीजन की बर्बादी हो रही है वही कई डाक्टरों को व उनके साथ जुड़े सहायकों को आक्सीजन देने संबंधी स्पष्ट हिदायते नहीं थी जिससे एक मरीज को जरूरत से ज्यादा आक्सीजन दी जा रही थी। ज्यादा आक्सीजन देने का नुकसान तो कई नहीं है लेकिन इसमें बर्बादी ज्यादा हो रही थी। सरकार का मानना है कि अगर गाइडलाइन को सख्ती से लागू करे जहां एक जिले में प्रतिदिन 300 सिलेंडर की खप्त है वह कम होकर दो सौ तक पहुंच सकती है व आक्सीजन की कमी के साथ काला बाजारी को रोका जा सकता है। फिलहाल राज्य सरकार ने विभिन्न स्थानों में आए दिन बढ़ रहे कोरोना पोजटिव केसों के चलते आक्सीजन की सप्लाई को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है।

मरीजों की ताताद के अनुसार जरूरत बढ़ती है तो तीन सदस्यों की कमेटी इस बाबत सप्लाई को दुरुस्त करने का काम

इसमें जहां आक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए हिदायते दी गई है वही दावा किया गया है कि राज्य में आक्सीजन सिलेंडरों की किसी तरह की कमी नहीं है बल्कि जिन स्थानों में बढ़ते मरीजों की ताताद के अनुसार जरूरत बढ़ती है तो तीन सदस्यों की कमेटी इस बाबत सप्लाई को दुरुस्त करने का काम करेगी। इस कमेटी में सरकारी मेडिकल कालेज पटियाला के डा. हरदीप बराड़, सरकारी मेडिकल कालेज फरीदकोट के डा. गुरकिरण कौर, सरकारी मेडिकल कालेज अमृतसर के गगनदीप कौर को शामिल किया गया है। इस कमेटी की तरफ से सबी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों को आक्सीजन के इस्तेमाल को लेकर भी हिदायतें जारी की गई है। इन हिदायतों के तहत कोविड-19 के ऐसे मरीज जो कमरे की हवा पर 94 फीसदी से अधिक आक्सीजन हासिल कर रहा है तो उन्हें चिकित्सक की सलाह पर आक्सीजन देने की जरूरत नहीं बल्कि एंटीवाय़रल उपचार ही दिया जाए।

  • वही जिन मरीजों का लेबल 90 से 94 के बीच कम व बढ़ रहा है तो उन्हें केवल पांच मिनट तक नाक से आक्सीजन दे तो आक्सीजन की 40 फीसदी एफआई02 की बचत की जा सकती है। आक्सीजन के प्रेसर में पांच एल प्रति मिनट के दौरान बढ़ोतरी नही करे। 90 फीसदी से कम वाले केस में नाक से आक्सीजन देते एफआईएल-2 को 60 फीसदी तक प्राप्त करने के लिए 6एल प्रति मिनट और प्रवाह दर 10 एल प्रति मिनट तक बढ़ाया जा सकता है। इस तरह प्रवाह दर में वृद्धि 10एल प्रति मिनट तक न करे।
  • वेंचुरी मास्क का उपयोग न करें क्योंकि इसके लिए अधिक ऑक्सीजन प्रवाह दर की आवश्यकता होती है। फिलहाल कमेटी ने आक्सीजन की बर्बादी को रोकने के लिए इस्तेमाल नहीं करने पर रेगुलेटर से पूरी तरह बंद कर लाक करने, समय-समय पर आक्सीजन की पाइपों की जांच करवाने ताकि आक्सीजन की बर्बादी न हो सके जैसी हिदायतों की सख्ती से पालना करने के लिए कहा गया है.
  • इसके पीछे बड़ा कारण यह भी है कि विभिन्न शहर में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। शहर में रोजाना औसतन 120 से 150 नए कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। वर्तमान में जिले के अंदर 4820 पॉजिटिव केस आ चुके हैं। इसमें 1115 एक्टिव केस है। इसमें 40 से 50 मरीज 65 साल से अधिक उम्र वाले मरीज आ रहे है, जिन्हें आक्सीजन की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ रही हैं।
  • ऐसे में कोरोना के मरीज बढ़ने से शहर के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में 50 फीसदी आक्सीजन सिलेंडरों की मांग बढ़ गई है। कोरोना काल में पॉजिटिव मिल रहे हैं और इस वायरस का असर फेफड़ों पर ही सबसे ज्यादा पड़ता है। लिहाजा सांस की तकलीफ होने पर ऑक्सीजन की जरूरत सबसे ज्यादा पड़ती है। अब हालात ये हैं कि पहले जिले के विभिन्न अस्पतालों में हर रोज आक्सीजन की 100 सिलेंडर की खपत थी, जोकि अब बढ़कर 300 तक पहुंच गई है।

यह डिमांड पिछले दो माह में से बढ़ी है, चूकिं कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ रही है। एक दम आक्सीजन की डिमांड बढ़ने से इसकी बिक्री करने वाले व्यापारियों के पास आर्डर की डिमांड बढ़ गई हैं, वहीं डिमांड अनुसार इसकी सप्लाई नहीं मिलने के कारण इसके रेटों में दोगुणा इजाफा हो गया हैं।
बता दें कि बठिंडा में ज्यादा तरह आक्सीजन के सिलेंडर हिमाचल प्रदेश से आते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के चलते आक्सीजन की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों की बढ़ती संख्या सेहत विभाग के साथ ही निजी अस्पतालों के लिए भी परेशानी का सबब बनती जा रही है। जानकारों की मानने तो कोरोना महामारी के के बाद पिछले तीन माह में ऑक्सीजन की मांग पहले की अपेक्षा 60 से 65 फीसदी तक ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में एक तरफ आपूर्तिकर्ता जहां ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में लेटलतीफी कर रहे हैं, वहीं कीमत भी बढ़ा दी गई है। इससे अस्पताल प्रबंधन के साथ ही मरीज और उनके परिजन भी परेशान हैं।

दो माह से ऑक्सीजन की सप्लाई अचानक तेजी से बढ़ गई है

बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान पिछले दो माह से ऑक्सीजन की सप्लाई अचानक तेजी से बढ़ गई है। बठिंडा के बाला जी गैस कंपनी के मालिक सतपाल गर्ग ने बताया कि दो महीने से ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ने के साथ ही उसकी सप्लाई बाधित हो रही है। उन्होंने बताया कि बठिंडा में ज्यादा तरह आक्सीजन गैंस की सिलेंडर हिमाचल प्रदेश के विभिन्न शहरों से आती हैं, लेकिन देशभर में कोरोना के तेजी से बढ़ते मरीजों की संख्या के कारण डिमांड समय पर पूरी नहीं हो पा रही है। इसके अलावा घर पर भी मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड काफी संख्या में की जा रही है। स्टॉक न होने से सप्लाई समय पर करने में समस्या हो रही है। इसके कारण निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो रही है। अचानक से बढ़ी ऑक्सीजन की डिमांड के कारण इसकी कीमत भी बढ़ा दी गई है। अब कंपनियां छोटे सिलेंडर की कीमतों में 60 से 80 रुपये तक का इजाफा कर दिया है। पहले जो एक से डेढ़ क्यूबिक मीटर वाला सिलेंडर 150 रुपये का मिलता था, अब वह 250 से 300 रुपये में मिल रहा है, जबकि सात क्यूबिक मीटर वाल बड़ा सिलेंडर 600 से 700 रुपये बिक रहा हैं। बढ़ी कीमत को लेकर कंपनियों का कहना है कि सप्लाई बाधित होने के कारण रेट बढ़ाना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पास भी स्टॉक काफी कम रह गए हैं। वहीं सरकारी अस्पतालों के तुलना में निजी अस्पतालों की स्थिति काफी ठीक है। इसका कारण उनके यहां ऑक्सीजन प्लांट का होना है। जिले में ऑक्सीजन सिलेंडर के लगभग 10 सप्लायर्स हैं, जिनके पास मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं आ पा रही है। यही कारण है कि सात क्यूबिक का एक सिलेंडर जो एक माह पूर्व तीन सौ से चार सौ रुपये के बीच जरूरतमंद हो पड़ता था, अब उसकी कीमत लगभग सात सौ रुपये हो गई है। सिलेंडर सप्लायर्स मूल्य में अभी और वृद्धि की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। सरकार का निर्देश है कि 80 फीसदी ऑक्सीजन मेडिकल के लिए रिजर्व है और 20 फीसदी इंडस्ट्रीज के लिए है।

 

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